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फसलों के अवशेषों के प्रबंधन की योजना को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दी मंजूरी - पराली प्रबंधन हरियाणा

राज्य में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए सीएम मनोहर लाल ने एक व्यापक योजना की स्वीकृति प्रदान की है.

cm manohar lal approved  crop residue management plan in haryana
cm manohar lal approved crop residue management plan in haryana
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Published : Aug 3, 2020, 10:35 PM IST

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये की एक व्यापक योजना की स्वीकृति प्रदान की है. इस योजना का उद्देश्य राज्य में फसल अवशेषों को जलाने से रोकना है. केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य को 170 करोड़ रुपये मुहैया करवाए गए हैं.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने 'फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन' योजना के तहत केंद्र सरकार को 639.10 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तुत की है. कौशल ने बताया कि आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, इन प्रयासों के चलते साल 2018 की तुलना में आग की घटनाओं वाले वास्तविक स्थानों में 68.12 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि 6 से 30 नवंबर, 2018 के बीच राज्य में आग की घटनाओं वाले 4,122 स्थान पाए गए थे, जबकि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान ऐसे केवल 1,314 पाए गए.

'कस्टम हायरिंग सेंटर'

संजीव कौशल कहा कि इस योजना के तहत फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध के सम्बन्ध में प्रवर्तन उपायों के साथ-साथ फसल अवशेषों का इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन शामिल है. इसके लिए पिछले वर्ष की तरह सभी प्रशासनिक उपाय किए जाएंगे. योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कौशल ने बताया कि राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण वितरित करने, कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने और कृषि एवं किसान कल्याण निदेशालय में राज्य मुख्यालय पर समर्पित नियंत्रण स्थापित करने सहित धान की पुआल के प्रबंधन के लिए हरसंभव उपाय कर रही है.

'किसानों की मदद की'

संजीव कौशल कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत गैर-बासमती उत्पादकों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सात दिनों के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने पर्याप्त मशीनें और परिचालन लागत के रूप में 1,000 रुपये प्रति एकड़ प्रदान करके, गैर-बासमती तथा बासमती की मूच्छल किस्म उगाने वाले छोटे और सीमांत किसानों की मदद की है. इन दोनों उद्देश्यों के लिए, राज्य सरकार द्वारा राज्य बजट में पहले ही 453 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

'स्ट्रा बेलर इकाइयों की स्थापना की जाएगी'

कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा इन-सीटू प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रा बेलर इकाइयों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया गया है. इस पहल के तहत, 5 नवंबर, 2019 तक 64 ऐसी इकाइयां जबकि 6 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच 131 इकाइयां स्थापित की गईं. राज्य सरकार ने ऐसी इकाइयों की खरीद के लिए किसानों को 155 परमिट भी जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें- ना गांव गए ना शहर में काम मिला, कहां से देंगे ये प्रवासी मजदूर अपना किराया ?

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये की एक व्यापक योजना की स्वीकृति प्रदान की है. इस योजना का उद्देश्य राज्य में फसल अवशेषों को जलाने से रोकना है. केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य को 170 करोड़ रुपये मुहैया करवाए गए हैं.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने 'फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन' योजना के तहत केंद्र सरकार को 639.10 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तुत की है. कौशल ने बताया कि आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, इन प्रयासों के चलते साल 2018 की तुलना में आग की घटनाओं वाले वास्तविक स्थानों में 68.12 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि 6 से 30 नवंबर, 2018 के बीच राज्य में आग की घटनाओं वाले 4,122 स्थान पाए गए थे, जबकि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान ऐसे केवल 1,314 पाए गए.

'कस्टम हायरिंग सेंटर'

संजीव कौशल कहा कि इस योजना के तहत फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध के सम्बन्ध में प्रवर्तन उपायों के साथ-साथ फसल अवशेषों का इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन शामिल है. इसके लिए पिछले वर्ष की तरह सभी प्रशासनिक उपाय किए जाएंगे. योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कौशल ने बताया कि राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण वितरित करने, कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने और कृषि एवं किसान कल्याण निदेशालय में राज्य मुख्यालय पर समर्पित नियंत्रण स्थापित करने सहित धान की पुआल के प्रबंधन के लिए हरसंभव उपाय कर रही है.

'किसानों की मदद की'

संजीव कौशल कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत गैर-बासमती उत्पादकों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सात दिनों के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने पर्याप्त मशीनें और परिचालन लागत के रूप में 1,000 रुपये प्रति एकड़ प्रदान करके, गैर-बासमती तथा बासमती की मूच्छल किस्म उगाने वाले छोटे और सीमांत किसानों की मदद की है. इन दोनों उद्देश्यों के लिए, राज्य सरकार द्वारा राज्य बजट में पहले ही 453 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

'स्ट्रा बेलर इकाइयों की स्थापना की जाएगी'

कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा इन-सीटू प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रा बेलर इकाइयों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया गया है. इस पहल के तहत, 5 नवंबर, 2019 तक 64 ऐसी इकाइयां जबकि 6 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच 131 इकाइयां स्थापित की गईं. राज्य सरकार ने ऐसी इकाइयों की खरीद के लिए किसानों को 155 परमिट भी जारी किए हैं.

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