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'क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट के आधार पर इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती कंपनी'

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Published : Aug 3, 2020, 5:54 PM IST

एक इंश्योरेंस क्लेम के केस में चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट ने ग्राहक के हक में फैसला सुनाते हुए कंपनी को गाड़ी पर खर्च हुए 80 हजार रुपये लौटाने के निर्देश दिए. इसके साथ कंपनी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

chandigarh district consumer court said insurance company cannot reject the claim based on the Judgment of the Criminal Court
'क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट के आधार पर इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती कंपनी'

चंडीगढ़: डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट चंडीगढ़ ने आज इंश्योरेंस क्लेम करने वाले ग्राहक के हक में बड़ा फैसला सुनाया. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा कि अब कोई भी कंपनी क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट के आधार पर किसी कस्टमर का इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती है.

क्या था मामला?

कुछ समय पहले एक गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन हादसे के वक्त गाड़ी को गाड़ी का मालिक नहीं बल्कि उसका एक दोस्त चला रहा था. उस शख्स पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया, लेकिन कोर्ट से वह बरी हो गया. कोर्ट में साबित नहीं हो सका कि हादसे के वक्त वही गाड़ी चला रहा था. जब गाड़ी के मालिक ने इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मांगा तो कंपनी ने क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट को आधार बनाकर उसका क्लेम रिजेक्ट कर दिया.

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने और क्या कहा, देखिए रिपोर्ट

कंपनी ने कहा कि एक्सीडेंट तो कोर्ट में साबित ही नहीं हुआ. कंपनी की इन दलीलों को ना मानते हुए कंज्यूमर कमिशन ने इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया और कंपनी को गाड़ी पर खर्च हुए 80 हजार रुपये लौटाने के निर्देश दिए. इसके साथ कंपनी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

10 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी अदा करेगी कंपनी

बता दें कि कमीशन ने सेक्टर-36 की हरमीत कौर वालिया की शिकायत पर बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ यह फैसला सुनाया. कंपनी ने कंज्यूमर कमिशन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हादसे के दौरान गुरसाहिब सिंह सिद्धू गाड़ी नहीं चला रहा था और इसी आधार पर कोर्ट से बरी हो गया. गाड़ी के लोन के बारे में उन्हें काफी देर से जानकारी दी गई, लेकिन कंपनी की इन दलीलों को कंज्यूमर कमिशन ने नहीं माना. कंपनी ने कस्टमर के हक में फैसला सुनाया और कहा कि किसी भी क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट को सिविल कोर्ट में आधार नहीं बनाया जा सकता. कंज्यूमर कमीशन ने पीड़ित को 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी अदा करने के निर्देश दिए.

साल 2015 में हुआ था गाड़ी का एक्सीडेंट

बता दें कि यह इंश्योरेंस 14 जनवरी 2015 से 13 जनवरी 2016 तक वैलिड थी इसके लिए उन्होंने 33 हजार 612 रुपये प्रीमियम दिया था और उस वक्त गाड़ी कि क्लियर वैल्यू 9 लाख 67 हजार 278 रुपए थी. 28 अक्टूबर 2015 को उनकी गाड़ी का खन्ना चौराहा रोड के पास एक्सीडेंट हो गया, लेकिन उस वक्त गाड़ी को हरमीत कौर का फैमिली फ्रेंड गुरसाहिब सिंह सिद्धू चला रहा था.

इस एक्सीडेंट के बाद लोकल पुलिस ने सिद्धू के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने के तहत केस दर्ज कर दिया. वहीं हरमीत कौर ने गाड़ी के इंश्योरेंस क्लेम के लिए कंपनी को जानकारी दी और जरूरी डॉक्यूमेंट सबमिट कर दिए, लेकिन कंपनी ने उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया.

ये भी पढ़िए: पटरी पर लौट रहा है ज्वेलर्स का व्यापार, ग्राहकों को सता रहा भाव बढ़ने का डर

चंडीगढ़: डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट चंडीगढ़ ने आज इंश्योरेंस क्लेम करने वाले ग्राहक के हक में बड़ा फैसला सुनाया. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा कि अब कोई भी कंपनी क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट के आधार पर किसी कस्टमर का इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती है.

क्या था मामला?

कुछ समय पहले एक गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन हादसे के वक्त गाड़ी को गाड़ी का मालिक नहीं बल्कि उसका एक दोस्त चला रहा था. उस शख्स पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया, लेकिन कोर्ट से वह बरी हो गया. कोर्ट में साबित नहीं हो सका कि हादसे के वक्त वही गाड़ी चला रहा था. जब गाड़ी के मालिक ने इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मांगा तो कंपनी ने क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट को आधार बनाकर उसका क्लेम रिजेक्ट कर दिया.

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने और क्या कहा, देखिए रिपोर्ट

कंपनी ने कहा कि एक्सीडेंट तो कोर्ट में साबित ही नहीं हुआ. कंपनी की इन दलीलों को ना मानते हुए कंज्यूमर कमिशन ने इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया और कंपनी को गाड़ी पर खर्च हुए 80 हजार रुपये लौटाने के निर्देश दिए. इसके साथ कंपनी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

10 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी अदा करेगी कंपनी

बता दें कि कमीशन ने सेक्टर-36 की हरमीत कौर वालिया की शिकायत पर बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ यह फैसला सुनाया. कंपनी ने कंज्यूमर कमिशन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हादसे के दौरान गुरसाहिब सिंह सिद्धू गाड़ी नहीं चला रहा था और इसी आधार पर कोर्ट से बरी हो गया. गाड़ी के लोन के बारे में उन्हें काफी देर से जानकारी दी गई, लेकिन कंपनी की इन दलीलों को कंज्यूमर कमिशन ने नहीं माना. कंपनी ने कस्टमर के हक में फैसला सुनाया और कहा कि किसी भी क्रिमिनल कोर्ट के जजमेंट को सिविल कोर्ट में आधार नहीं बनाया जा सकता. कंज्यूमर कमीशन ने पीड़ित को 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी अदा करने के निर्देश दिए.

साल 2015 में हुआ था गाड़ी का एक्सीडेंट

बता दें कि यह इंश्योरेंस 14 जनवरी 2015 से 13 जनवरी 2016 तक वैलिड थी इसके लिए उन्होंने 33 हजार 612 रुपये प्रीमियम दिया था और उस वक्त गाड़ी कि क्लियर वैल्यू 9 लाख 67 हजार 278 रुपए थी. 28 अक्टूबर 2015 को उनकी गाड़ी का खन्ना चौराहा रोड के पास एक्सीडेंट हो गया, लेकिन उस वक्त गाड़ी को हरमीत कौर का फैमिली फ्रेंड गुरसाहिब सिंह सिद्धू चला रहा था.

इस एक्सीडेंट के बाद लोकल पुलिस ने सिद्धू के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने के तहत केस दर्ज कर दिया. वहीं हरमीत कौर ने गाड़ी के इंश्योरेंस क्लेम के लिए कंपनी को जानकारी दी और जरूरी डॉक्यूमेंट सबमिट कर दिए, लेकिन कंपनी ने उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया.

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