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CAG ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार को दिखाया आइना, मंत्रियों ने पुरानी सरकार को कोसा

हरियाणा की मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल में सबसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करती रही है. लेकिन सीएजी (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट की मानें तो स्थिति कुछ और ही है. सात राज्यों पर किए गए सर्वे में हरियाणा सबसे आखिरी स्थान पर रहा.

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Published : Jul 12, 2019, 10:49 AM IST

चंडीगढ़: कैग ने 7 राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक सर्वे किया, जिसमें हरियाणा सहित 7 राज्यों को शामिल किया गया. इस सर्वे की रिपोर्ट 2012 से लेकर 2017 के बीच के समय को लेकर बनाई गई. सर्वे के बाद ये सामने आया कि इन 7 राज्यों में से हरियाणा इन सेवाओं में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है.

कैग के सर्वे पर देखें ये स्पेशल रिपोर्ट.

स्वास्थ्य बजट है सबसे कम
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा का बजट भी जांच में शामिल किया और दिखाया है कि औसत स्वास्थ्य खर्च हरियाणा के बजट का महज 29 प्रतिशत था जबकि उत्तर प्रदेश में 74%, छत्तीसगढ़ में 78%, पश्चिम बंगाल में 47% प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किया जा रहा है.

वित्त मंत्री ने पुरानी सरकारों पर मढा दोष
वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के कम बजट को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह जो रिपोर्ट सामने आई है यह कहीं ना कहीं सच्चाई को उजागर करती है. पिछले 8 सालों में हमने हरियाणा का हेल्थ केयर बजट जो बहुत ही कम हुआ करता था उस पर काफी वृद्धि की है. पूर्व की सरकारों ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.

विज ने कहा ला रहे हैं नया कानून
इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया कि राष्ट्रीय सवास्थ्य नीति के तहत हर साल प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर 8 % की व्रद्धि करनी होती है, लेकिन इस ओर भी हरियाणा ने धयान नहीं दिया, इसमें सिर्फ असम ऐसा प्रदेश है जिस ने इस बात को अमल में लाया है. इस विषय पर हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज नीति आयोग की रिपोर्ट अभी हाल ही में आई है और उसमें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हरियाणा को सभी प्रदेशों से उतर पाया गया है हरियाणा को इसमें पहले नंबर पर आंका गया है.

उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार आई थी तब हरियाणा का बजट 2% से भी नीचे था उसे धीरे-धीरे बढ़ाकर डबल किया गया है और आने वाले समय में और बढ़ाया भी जाएगा. इसे एकदम से बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है. डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए हम कई तरह के उपाय कर रहे हैं इसमें एक हमने निर्णय लिया है कि जो भी एमबीबीएस करने वाला स्टूडेंट सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करेगा उसे 2 साल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देना जरूरी होगा.

एक्सपर्ट ने रिपोर्ट को माना सही
मंत्री जहां इस रिपोर्ट के बाद पुरानी सरकारों पर ठीकरा फोड़ते नजर आए तो वहीं मेडिकल एक्सपर्ट ने इस रिपोर्ट को सही करार दिया. इस रिपोर्ट पर एक एक्सपर्ट के तौर पर अपनी राय रखते हुए सीएमओ और पीएमओ जैसे प्रमुख पदों पर रहे डॉक्टर वीर सिंह सहरावत ने कहा कि हरियाणा निरंतर स्वास्थ्य की नीतियों पर काम कर रहा है लेकिन अभी भी उसके सामने कई सारी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि वह रिपोर्ट के आंकड़ों को सही मानते हैं और आज भी स्वास्थ्य के सामने कई सारी चुनौती हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत सी ऐसी चुनौतियों को देखा है.

कैग की इस रिपोर्ट के बाद हरियाणा के मंत्रियों को पुरानी सरकार पर आरोप मढ़ना बंद करना होगा और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर देना होगा क्योंकि अगर प्रदेश को स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में अव्वल आना होगा तो सरकार को बयानबाजी नहीं बल्कि मेहनत करनी होगी.

चंडीगढ़: कैग ने 7 राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक सर्वे किया, जिसमें हरियाणा सहित 7 राज्यों को शामिल किया गया. इस सर्वे की रिपोर्ट 2012 से लेकर 2017 के बीच के समय को लेकर बनाई गई. सर्वे के बाद ये सामने आया कि इन 7 राज्यों में से हरियाणा इन सेवाओं में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है.

कैग के सर्वे पर देखें ये स्पेशल रिपोर्ट.

स्वास्थ्य बजट है सबसे कम
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा का बजट भी जांच में शामिल किया और दिखाया है कि औसत स्वास्थ्य खर्च हरियाणा के बजट का महज 29 प्रतिशत था जबकि उत्तर प्रदेश में 74%, छत्तीसगढ़ में 78%, पश्चिम बंगाल में 47% प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किया जा रहा है.

वित्त मंत्री ने पुरानी सरकारों पर मढा दोष
वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के कम बजट को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह जो रिपोर्ट सामने आई है यह कहीं ना कहीं सच्चाई को उजागर करती है. पिछले 8 सालों में हमने हरियाणा का हेल्थ केयर बजट जो बहुत ही कम हुआ करता था उस पर काफी वृद्धि की है. पूर्व की सरकारों ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.

विज ने कहा ला रहे हैं नया कानून
इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया कि राष्ट्रीय सवास्थ्य नीति के तहत हर साल प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर 8 % की व्रद्धि करनी होती है, लेकिन इस ओर भी हरियाणा ने धयान नहीं दिया, इसमें सिर्फ असम ऐसा प्रदेश है जिस ने इस बात को अमल में लाया है. इस विषय पर हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज नीति आयोग की रिपोर्ट अभी हाल ही में आई है और उसमें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हरियाणा को सभी प्रदेशों से उतर पाया गया है हरियाणा को इसमें पहले नंबर पर आंका गया है.

उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार आई थी तब हरियाणा का बजट 2% से भी नीचे था उसे धीरे-धीरे बढ़ाकर डबल किया गया है और आने वाले समय में और बढ़ाया भी जाएगा. इसे एकदम से बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है. डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए हम कई तरह के उपाय कर रहे हैं इसमें एक हमने निर्णय लिया है कि जो भी एमबीबीएस करने वाला स्टूडेंट सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करेगा उसे 2 साल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देना जरूरी होगा.

एक्सपर्ट ने रिपोर्ट को माना सही
मंत्री जहां इस रिपोर्ट के बाद पुरानी सरकारों पर ठीकरा फोड़ते नजर आए तो वहीं मेडिकल एक्सपर्ट ने इस रिपोर्ट को सही करार दिया. इस रिपोर्ट पर एक एक्सपर्ट के तौर पर अपनी राय रखते हुए सीएमओ और पीएमओ जैसे प्रमुख पदों पर रहे डॉक्टर वीर सिंह सहरावत ने कहा कि हरियाणा निरंतर स्वास्थ्य की नीतियों पर काम कर रहा है लेकिन अभी भी उसके सामने कई सारी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि वह रिपोर्ट के आंकड़ों को सही मानते हैं और आज भी स्वास्थ्य के सामने कई सारी चुनौती हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत सी ऐसी चुनौतियों को देखा है.

कैग की इस रिपोर्ट के बाद हरियाणा के मंत्रियों को पुरानी सरकार पर आरोप मढ़ना बंद करना होगा और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर देना होगा क्योंकि अगर प्रदेश को स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में अव्वल आना होगा तो सरकार को बयानबाजी नहीं बल्कि मेहनत करनी होगी.

Intro:चंडीगढ, अभी हाल ही में CAG ने 7 राज्यों में स्वास्थ्य व्यय को लेकर एक सर्वे किया, जिसमें हरियाणा सहित 7 राज्यों को शामिल किया गया । इस सर्वे की रिपोर्ट 2012 से लेकर 2017 के बीच के समय को लेकर बनाई गई । सर्वे के के बाद यह सामने आया कि इन 7 राज्यों में से हरियाणा इन सेवाओं में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है । इस विषय में हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कि उनको पुराने समय में मिली अव्यवस्था व गंदगी को लेकर कुछ समय जरूर लग रहा है, प्रदेश में छोटे हस्पताल व ग्रमीण क्षेत्र में डिस्पेंसरियों को बढ़ाने पर विशेष फोकस तो है साथ साथ प्रदेश में डॉक्टरों की आने वाले समय में कमी ना रहने देने की बात भी कही । वहीं बजट बढ़ोतरी को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री ने कहा कि




Body:सीएजी ने ने बनाई अपनी रिपोर्ट में हरियाणा का बजट भी जांच में शामिल 7 राज्यों में से सबसे नीचे पाया सीएजी ने दिखाया है कि औसत स्वास्थ्य खर्च हरियाणा के बजट का महल 3 पॉइंट 29 प्रतिशत था जबकि महाराष्ट्र 4 पॉइंट 15% उत्तर प्रदेश 4 पॉइंट 74% छत्तीसगढ़ 4 पॉइंट 78% पश्चिम बंगाल 4 पॉइंट 47% असम 5 पॉइंट 32% व केरल 5 पॉइंट 24 प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कर रहा है ।

वहीं इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया कि राष्ट्रीय सवास्थ्य नीति के तहत हर साल प्रदेश सरकार को स्वास्थय सेवाओं को लेकर 8 % की व्रद्धि करनी होती है, लेकिन इस ओर भी हरियाणा ने धयान नही दिया, इस मे सिर्फ असम ऐसा प्रदेश है जिस ने इस बात को अमल में लाया है ।





Conclusion:इस विषय मे जब प्रदेश के सवास्थ्य मंत्री अनिल विज से की गई तो उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट अभी हाल ही में आई है और उसमें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हरियाणा को सभी प्रदेशों से उतर पाया गया है हरियाणा को इसमें पहले नंबर पर आंका गया है । उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार आई थी तब हरियाणा का बजट 2% से भी नीचे था उसे धीरे-धीरे बढ़ाकर डबल किया गया है और आने वाले समय में और बढ़ाया भी जाता रहेगा इसे एकदम से बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है वहीं डॉक्टरों की कमी को जल्द दूर किया जाएगा। मंत्री ने कहा प्रधानमंत्री का भी एक लॉक डॉक्टर बढ़ाने का लक्ष्य है उसी पर काम करते हुए प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए 4 मेडिकल कॉलेजों को अप्रूवल दी जा चुकी है जिसमें से एक नारनोल भिवानी जींद और गुड़गांव में बनने जा रहा है डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए हम कई तरह के उपाय कर रहे हैं इसमें एक हमने निर्णय लिया है कि जो भी एमबीबीएस करने वाला स्टूडेंट सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करेगा उसे 2 साल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देना जरूरी होगा वहीं हमने प्रत्येक जिले के सीएमओ को पावर देने जा रहे हैं कि वह अपने जिले के हिसाब से ad-hoc पर डॉक्टरों की भर्ती करें ।

वही स्वास्थ्य सेवाओं के कम बजट को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह जो रिपोर्ट सामने आई है यह कहीं ना कहीं सच्चाई को उजागर करती है पिछले 8 सालों में हमने हरियाणा का जो हेल्थ केयर बजट है जो बहुत ही कम हुआ करता था उस पर काफी वृद्धि की है हम पिछले 5 सालों में इसे बढ़ाते हुए यहां तक लाए हैं इसमें यह जरूर चिंता की बात है कि पूर्व की सरकारों ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया कैप्टन ने कहा कि हरियाणा तो वह राज्य है जिसने आयुष्मान भारत में भी सबसे बड़ा मुकाम हासिल किया पिछले 5 सालों में हमने पीएचसी सीएचसी अपडेशन सबसे ज्यादा की है जिसका परिणाम आने वाले समय में प्रदेश को मिलेगा वहीं हर जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हम करने जा रहे हैं इसी के साथ साथ एक मेडिकल कॉलेज के साथ साथ 700 से लेकर 800 बेड वाला एक अस्पताल भी स्थापित स्थापित किया जाएगा ।

वित्त मंत्री ने कहा कि मेडिकल एजुकेशन में हमने जो खर्च किया हॉस्पिटल बनाने में उसका खर्च हेल्थ डिपार्टमेंट से के खर्च से जोड़ा जाए तो वह काफी निकल कर सामने आएगा बजट पर बोलते हुए कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि हरियाणा देश में पहला राज्य है जिसने पिछले 2 सालों में अपने बजट को बढ़ाने में अपना लक्ष्य हासिल किया है जहां भी कमी बची है वह आने वाले दो-तीन साल में दूर कर दी जाएगी और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्राप्त बजट की व्यवस्था कर पाएंगे
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