चंडीगढ़: कैग ने 7 राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक सर्वे किया, जिसमें हरियाणा सहित 7 राज्यों को शामिल किया गया. इस सर्वे की रिपोर्ट 2012 से लेकर 2017 के बीच के समय को लेकर बनाई गई. सर्वे के बाद ये सामने आया कि इन 7 राज्यों में से हरियाणा इन सेवाओं में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है.
स्वास्थ्य बजट है सबसे कम
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा का बजट भी जांच में शामिल किया और दिखाया है कि औसत स्वास्थ्य खर्च हरियाणा के बजट का महज 29 प्रतिशत था जबकि उत्तर प्रदेश में 74%, छत्तीसगढ़ में 78%, पश्चिम बंगाल में 47% प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किया जा रहा है.
वित्त मंत्री ने पुरानी सरकारों पर मढा दोष
वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के कम बजट को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि यह जो रिपोर्ट सामने आई है यह कहीं ना कहीं सच्चाई को उजागर करती है. पिछले 8 सालों में हमने हरियाणा का हेल्थ केयर बजट जो बहुत ही कम हुआ करता था उस पर काफी वृद्धि की है. पूर्व की सरकारों ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.
विज ने कहा ला रहे हैं नया कानून
इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया कि राष्ट्रीय सवास्थ्य नीति के तहत हर साल प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर 8 % की व्रद्धि करनी होती है, लेकिन इस ओर भी हरियाणा ने धयान नहीं दिया, इसमें सिर्फ असम ऐसा प्रदेश है जिस ने इस बात को अमल में लाया है. इस विषय पर हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज नीति आयोग की रिपोर्ट अभी हाल ही में आई है और उसमें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हरियाणा को सभी प्रदेशों से उतर पाया गया है हरियाणा को इसमें पहले नंबर पर आंका गया है.
उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार आई थी तब हरियाणा का बजट 2% से भी नीचे था उसे धीरे-धीरे बढ़ाकर डबल किया गया है और आने वाले समय में और बढ़ाया भी जाएगा. इसे एकदम से बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है. डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए हम कई तरह के उपाय कर रहे हैं इसमें एक हमने निर्णय लिया है कि जो भी एमबीबीएस करने वाला स्टूडेंट सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करेगा उसे 2 साल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देना जरूरी होगा.
एक्सपर्ट ने रिपोर्ट को माना सही
मंत्री जहां इस रिपोर्ट के बाद पुरानी सरकारों पर ठीकरा फोड़ते नजर आए तो वहीं मेडिकल एक्सपर्ट ने इस रिपोर्ट को सही करार दिया. इस रिपोर्ट पर एक एक्सपर्ट के तौर पर अपनी राय रखते हुए सीएमओ और पीएमओ जैसे प्रमुख पदों पर रहे डॉक्टर वीर सिंह सहरावत ने कहा कि हरियाणा निरंतर स्वास्थ्य की नीतियों पर काम कर रहा है लेकिन अभी भी उसके सामने कई सारी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि वह रिपोर्ट के आंकड़ों को सही मानते हैं और आज भी स्वास्थ्य के सामने कई सारी चुनौती हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत सी ऐसी चुनौतियों को देखा है.
कैग की इस रिपोर्ट के बाद हरियाणा के मंत्रियों को पुरानी सरकार पर आरोप मढ़ना बंद करना होगा और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर देना होगा क्योंकि अगर प्रदेश को स्वास्थ्य सेवा देने के मामले में अव्वल आना होगा तो सरकार को बयानबाजी नहीं बल्कि मेहनत करनी होगी.