चंडीगढ़ः बीजेपी हरियाणा में किसी भी सांसद के पराजन या रिश्तेदार को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं देगी. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी आलाकमान ने .ये निर्देश दिए हैं कि किसी भी सांसद के रिश्तेदार या परिवार वाले का नाम टिकट के लिए आगे न भेजा जाए.
7 सांसदों ने मांगे थे परिजनों के लिए टिकट
खबर है कि बीजेपी के 7 सांसदों ने अपने परिवार वालों या रिश्तेदारों के लिए टिकट की सिफारिश की थी. लेकिन बीजेपी आलाकमान ने साफ कर दिया कि किसी भी सांसद के रिश्तेदार को टिकट नहीं मिलेगा. जिसके बाद हरियाणा बीजेपी ने किसी भी सांसद के रिश्तेदार का नाम टिकट के लिए आगे नहीं भेजा है.
प्रेमलता का नाम भेजा गया
बीरेंद्र सिंह की पत्नी और मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह की माता प्रेमलता का नाम टिकट के लिए भेजा गया है. क्योंकि वो मौजूदा विधायक हैं और उचाना से ही शायद उन्हें दोबारा टिकट भी मिल जाए. ये भी खबरें हैं कि प्रेमलता का नाम प्रदेश बीजेपी ने ही आलाकमान को भेजा है.
बीजेपी सांसदों के परिजनों को क्यों नहीं देना चाहती टिकट ?
दरअसल बीजेपी हरियाणा में लगातार दूसरी पार्टियों के परिवारवाद को निशाने पर लेती रही है. चौटाला परिवार और हुड्डा परिवार पर प्रधानमंत्री तक ने तंज किया है तो बीजेपी किसी भी हालत में विपक्ष को ये मौका नहीं देना चाहती कि वो ये कहने लगे कि बीजेपी ने परिवारवाद पर निशाना साधकर सरकार बनाई और अब उसी परिवारवाद के आगे घुटने टेक दिए.
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चुनाव में इसका असर क्या होगा ?
बीजेपी इस फैसले के बाद एक बार फिर परिवारवाद की राजनीति पर खुलकर प्रहार करेगी. क्योंकि कांग्रेस ने भी एक तरीके से इस चुनाव की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में दे रखी है जो दोनों बाप-बेटे राजनीति में हैं. इसके अलावा इनेलो की राजनीति में अब अभय चौटाला के बेटों ने भी एंट्री मार दी है और अजय चौटाला के बेटों ने तो पार्टी ही अलग बना ली है. इसलिए बीजेपी ने बहुत सोच-समझकर ये रणनीति बनाई है. क्योंकि बीजेपी को लगता है कि इस बार उनकी नांव पर जो भी सवार होगा उसे किनारा मिल ही जाएगा.