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चौधरी बीरेंद्र सिंह बोले, कांग्रेस की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण, गुलाम नबी ने सही निर्णय लिया - Ghulam Nabi Azad quits congress

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने 40 साल से ज्यादा तक कांग्रेस की राजनीति करने के बाद पार्टी को अलविदा कह दिया. पांच पन्नों के अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से संबंधित कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. उनके पार्टी छोड़ने के बाद अन्य पार्टियों के नेताओं द्वारा भी इस पर प्रतिक्रिया सामने आई हैं. ईटीवी भारत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह से इस विषय में बातचीत की.

Birender Singh on Ghulam Nabi Azad
Birender Singh on Ghulam Nabi Azad
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Published : Aug 26, 2022, 11:15 PM IST

दिल्ली: गुलाम नबी आजाद पर बोलत हुए चौधरी बिरेंद्र सिंह (Birender Singh on Ghulam Nabi Azad) ने बताया कि उनके संबंध 40 साल पुराने हैं और सन 1976 में दोनों ने एक साथ ही युवा कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उन नेताओं में से थे जो पार्टी के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह थे. कई भूमिकाओं में वह राजनीति में सक्रिय रहे हैं. ऐसे में उनका पार्टी छोड़कर जाना निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. अब कांग्रेस को सोचने की जरूरत है कि आखिर क्या वजह है कि एक-एक करके पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं. वीरेंद्र सिंह ने आगे कहा कि वह खुद भी 36 साल तक कांग्रेस पार्टी में रहे लेकिन परिस्थितियां ऐसी हुई कि उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी.

इसके अलावा पूर्व कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र ने कहा कि बीते कुछ सालों में कम से कम 20 ऐसे वरिष्ठ नेता रहे हैं जिनका कांग्रेस से जुड़ाव कई दशक पुराना था. उन्होंने पार्टी छोड़ने (Ghulam Nabi Azad resigned from congress) का निर्णय लिया क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें ऐसा लगा की पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक कैरियर पर बात करते हुए चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कहा कि वह उन नेताओं में से हैं जिन्हें कांग्रेस की नब्ज का पता है. इतना ही नहीं उन्हें विपक्षी पार्टियों के बारे में भी पूरी जानकारी रही है. गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का राजनीति में रहना जरूरी है.

चौधरी बीरेंद्र सिंह बोले, कांग्रेस की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण, गुलाम नबी ने सही निर्णय लिया

चौधरी बिरेंदर सिंह ने आगे कहा कि गुलाम नबी आजाद का निर्णय बिल्कुल सही है और यह दर्शाता है कि किस हद तक आप किसी व्यक्ति को नजरअंदाज कर सकते हो. कांग्रेस पार्टी उनकी वरिष्ठता की अहमियत को नहीं समझती. पार्टी में जो उनका योगदान रहा है वह नहीं समझते. हरियाणा की बात करें राव इंदरजीत सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. जिन्होंने पार्टी को अलविदा कहा था उसके बाद मैंने भी पार्टी छोड़ी.

गुलाम नबी आजाद की भारतीय राजनीति में आगे क्या भूमिका होगी यह आज की तारीख में सबसे बड़ा सवाल है. उनके पुराने मित्र रहे चौधरी बिरेंदर सिंह सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका पर बात करते हुए कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस को समझने के साथ-साथ विपक्ष को भी समझते हैं. उनका राजनीतिक करियर लगभग 50 साल का रहा है और 40 वर्ष से ज्यादा तक वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे हैं. पार्टी के महासचिव भी रहे है. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ उन्होंने काम किया. आगे जो भी फैसला लेंगे वह अपने अनुभव और क्षमता के आधार पर लेंगे.

दिल्ली: गुलाम नबी आजाद पर बोलत हुए चौधरी बिरेंद्र सिंह (Birender Singh on Ghulam Nabi Azad) ने बताया कि उनके संबंध 40 साल पुराने हैं और सन 1976 में दोनों ने एक साथ ही युवा कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उन नेताओं में से थे जो पार्टी के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह थे. कई भूमिकाओं में वह राजनीति में सक्रिय रहे हैं. ऐसे में उनका पार्टी छोड़कर जाना निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. अब कांग्रेस को सोचने की जरूरत है कि आखिर क्या वजह है कि एक-एक करके पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं. वीरेंद्र सिंह ने आगे कहा कि वह खुद भी 36 साल तक कांग्रेस पार्टी में रहे लेकिन परिस्थितियां ऐसी हुई कि उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी.

इसके अलावा पूर्व कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र ने कहा कि बीते कुछ सालों में कम से कम 20 ऐसे वरिष्ठ नेता रहे हैं जिनका कांग्रेस से जुड़ाव कई दशक पुराना था. उन्होंने पार्टी छोड़ने (Ghulam Nabi Azad resigned from congress) का निर्णय लिया क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें ऐसा लगा की पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक कैरियर पर बात करते हुए चौधरी बिरेंद्र सिंह ने कहा कि वह उन नेताओं में से हैं जिन्हें कांग्रेस की नब्ज का पता है. इतना ही नहीं उन्हें विपक्षी पार्टियों के बारे में भी पूरी जानकारी रही है. गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का राजनीति में रहना जरूरी है.

चौधरी बीरेंद्र सिंह बोले, कांग्रेस की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण, गुलाम नबी ने सही निर्णय लिया

चौधरी बिरेंदर सिंह ने आगे कहा कि गुलाम नबी आजाद का निर्णय बिल्कुल सही है और यह दर्शाता है कि किस हद तक आप किसी व्यक्ति को नजरअंदाज कर सकते हो. कांग्रेस पार्टी उनकी वरिष्ठता की अहमियत को नहीं समझती. पार्टी में जो उनका योगदान रहा है वह नहीं समझते. हरियाणा की बात करें राव इंदरजीत सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. जिन्होंने पार्टी को अलविदा कहा था उसके बाद मैंने भी पार्टी छोड़ी.

गुलाम नबी आजाद की भारतीय राजनीति में आगे क्या भूमिका होगी यह आज की तारीख में सबसे बड़ा सवाल है. उनके पुराने मित्र रहे चौधरी बिरेंदर सिंह सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका पर बात करते हुए कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस को समझने के साथ-साथ विपक्ष को भी समझते हैं. उनका राजनीतिक करियर लगभग 50 साल का रहा है और 40 वर्ष से ज्यादा तक वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे हैं. पार्टी के महासचिव भी रहे है. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ उन्होंने काम किया. आगे जो भी फैसला लेंगे वह अपने अनुभव और क्षमता के आधार पर लेंगे.

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