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शराब घोटाले की रिपोर्ट पहुंची विज के पास, इन अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

गृह मंत्री अनिल विज ने शराब घोटाले की जांच के लिए बनाई एसईटी कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है. रिपोर्ट में पाया गया कि एसपी प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया की सहायता की.

haryana liquor scam investigation report
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Published : Aug 6, 2020, 11:03 PM IST

चंडीगढ़: लॉकडाउन के दौरान हुई शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है. जिसमें आबकारी एवं कराधान विभाग से जुड़े अधिकारियों के ऊपर उंगली उठाई गई है. एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक सिफारिश दी हैं. जिसको विज ने स्वीकार कर लिया है.

गृह मंत्री ने कहा कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए. इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, लेकिन आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई.

शराब घोटाले की रिपोर्ट की विज ने दी जानकारी, देखें वीडियो

इसके साथ ही शराब की एक्सायरी डेट के 2 साल बाद शराब को नष्ट भी करना होता है, लेकिन एक जिले को छोड़कर किसी अन्य जिला ने इसका पालन नहीं किया. इसके चलते रिपोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है.

एसपी ने की शराब माफिया की सहायता-विज

विज ने कहा इसी प्रकार एसईटी ने सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा एवं जशनदीप सिंह रंधावा से भी पूछताछ की है. टीम ने रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेन्द्र सिंह की न केवल सहायता की बल्कि उसे 2 अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए गए. इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजिलेंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समुचित जांच करवाने की सिफारिश की है. ताकि पूरे प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके. एसईटी ने पाया कि करीब 200 शराब वाहन चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी लेकिन असली अपराधी तक नहीं पहुंचा जा सका.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. ये गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी. अब शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है.

ये भी पढ़ें- रोहनात गांव की ये कहानी है अंग्रेजों के आगे कभी ना झुकने की, अब बन रही फिल्म

चंडीगढ़: लॉकडाउन के दौरान हुई शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है. जिसमें आबकारी एवं कराधान विभाग से जुड़े अधिकारियों के ऊपर उंगली उठाई गई है. एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक सिफारिश दी हैं. जिसको विज ने स्वीकार कर लिया है.

गृह मंत्री ने कहा कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए. इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, लेकिन आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई.

शराब घोटाले की रिपोर्ट की विज ने दी जानकारी, देखें वीडियो

इसके साथ ही शराब की एक्सायरी डेट के 2 साल बाद शराब को नष्ट भी करना होता है, लेकिन एक जिले को छोड़कर किसी अन्य जिला ने इसका पालन नहीं किया. इसके चलते रिपोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है.

एसपी ने की शराब माफिया की सहायता-विज

विज ने कहा इसी प्रकार एसईटी ने सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा एवं जशनदीप सिंह रंधावा से भी पूछताछ की है. टीम ने रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेन्द्र सिंह की न केवल सहायता की बल्कि उसे 2 अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए गए. इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजिलेंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समुचित जांच करवाने की सिफारिश की है. ताकि पूरे प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके. एसईटी ने पाया कि करीब 200 शराब वाहन चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी लेकिन असली अपराधी तक नहीं पहुंचा जा सका.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.

कैसे हुई तस्करी?

सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. ये गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी. अब शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है.

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