चंडीगढ़: अमित शाह ने जींद से ही चुनावी शंखनाद करने का फैसला क्यों किया. ऐसी क्या वजह है कि अमित शाह ने जाट-बांगर बेल्ट से विधानसभा चुनाव में प्रचार का बिगुल फूंका है. शाह के जींद में बिगुल फूंकने के कई मायने हैं, एक तो जींद को ‘राजनीतिक राजधानी’ कहा जाता है, क्योंकि प्रदेश के राजनीतिक दलों के कई दिग्गजों ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत इसी धरती से की है और दूसरा जींद उपचुनाव के नतीजों ने हरियाणा बीजेपी के भविष्य की राजनीति की एक अलग तस्वीर पेश कर दी. क्योंकि जाटलैंड जींद में बीजेपी ने 52 साल के लंबे अंतराल के बाद पहली बार कमल खिलाया था.
क्या जींद की रैली में छिपे हैं बीरेंद्र सिंह के हित?
इसलिए आगामी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी जी-तोड़ कोशिशों में जुट गई. इन्हीं कोशिशों में रंग भरना भी अमित शाह की जींद में रैली का एक कारण है. कहने को तो इस रैली का आयोजन पीएम मोदी और शाह की जोड़ी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए हुआ है. लेकिन इस रैली के पीछे बीरेंद्र सिंह का अपना राजनीतिक एजेंडा भी है. वो अपने राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहते-रहते बृजेंद्र सिंह को पूरी तरह से बीजेपी के रंग में रंगना चाहते हैं ताकि उनका बेटा राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल सके. यही वजह है कि बीरेंद्र सिंह लगातार सरकार की पैरवी कर रहे हैं.
वक्त करेगा हार-जीत का फैसला
हालांकि ‘राजनीतिक राजधानी’ कही जाने वाली जींद की धरती पर विधानसभा चुनाव के रूप में होने वाला ‘संग्राम’ तय करेगा कि राज्य की राजनीतिक ‘राजधानी’ का सफर किस राजनीतिक दल के लिए आसान होगा है और किसके लिए कांटों भरा.