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चौधर की जंग: अहीरवाल में इस बार क्या हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इससे पहले हमने आपको बताया था जाटलैंड की राजनीति के बारे में. इस बार हम बात करेंगे अहीरवाल क्षेत्र की.

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Published : Oct 9, 2019, 5:05 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 5:48 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दलों ने स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतार दी है. बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा 18 कैबिनेट मंत्री प्रचार करेंगे जबकि कांग्रेस की ओर से भी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई कद्दावर नेता कमान संभाल रहे हैं.

जानिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्या हैं अहीरवाल क्षेत्र के समीकरण.

कितना है अहीरवाल का असर?
हरियाणा की राजनीति में अहीरवाल क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ अहीरवाल में भी बेहतर प्रदर्शन किया था. अहीरवाल क्षेत्र हरियाणा में मुख्य रूप से गुरुग्राम और रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के हिस्से आते हैं. यहां की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी पहली बार जीती थी. यहां तक की पांच बार से लागातार जीत रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव तक चुनाव हार गए थे. यहां कुल आठ सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं.

2014 में बीजेपी का था दबदबा
2014 विधानसभा चुनाव में अहीरवाल के इकलौते राजा की संज्ञा रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह के सहारे बीजेपी ने यहां सभी सीटों पर कब्जा जमाया था. हालांकि इस बार वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी ने जिन विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से ज्यादतर राव इंद्रजीत समर्थक हैं और अहीरवाल के ही नेता हैं. हालांकि रेवाड़ी सीट से राव इंद्रजीत के समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट देकर बीजेपी ने उन्हें खुश रखने की भी कोशिश की है.

कांग्रेस की पकड़ हुई कमजोर
वहीं 2014 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस यहां कमजोर पड़ गई है और एक बार फिर अपना जनाधार तलाशने में जुटी हुई है. 2014 के चुनाव से पहले ही पार्टी के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इंद्रजीत के पार्टी छोड़ने के बाद से ही कांग्रेस को यहां से किसी चेहरे की तलाश थी. कांग्रेस ने इंद्रजीत के जाने के बाद अहीरवाल में कैप्टन अजय यादव पर दांव लगाया लेकिन कैप्टन लोकसभा चुनाव में इंद्रजीत के हाथों पटखनी खा गए.

कांग्रेस के कैप्टन भी हुए नाराज !
वहीं अब कैप्टन अजय यादव ने टिकट वितरण के बाद बगावती सुर उठा दिए हैं. कैप्टन ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाया हैं कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें गुरुग्राम लोकसभा सीट से हराने का काम किया था और उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया था.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर पहले ही टिकट वितरण पर सवाल उठाकर पार्टी छोड़ चुके हैं और अब कैप्टन अजय यादव के बगावती सुर उठने के बाद हरियाणा में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. इनेलो, जेजेपी और बाकी राजनीतिक दल अभी भी अहीरवाल क्षेत्र में अपने वजूद की तलाश में हैं.

क्या हैं इस बार समीकरण ?
फिलहाल यहां बीजेपी का सूरज बुलंदी पर है. सभी पार्टियों ने भी इलाके के जातीय मिजाज को देखते हुए उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने महेन्द्रगढ़ की अटेली से सीताराम यादव, नारनौल से ओम प्रकाश यादव और नांगल चौधरी से अभय सिंह यादव को टिकट दिया है. वहीं बादशाहपुर से राव नरबीर की जगह मनीष यादव को मैदान में उतारा है तो रेवाड़ी से सुनील मुसेपुर और कोसली से लक्ष्मण यादव पर भरोसा जताया है.

यही फॉर्मूला कांग्रेस ने भी अपनाया और अटेली से राव अर्जुन सिंह, महेन्द्रगढ़ से राव दान सिंह, नारनौल से नरेन्द्र सिंह को टिकट दिया, तो कोसली से यदुवेन्द्र यादव और रेवाड़ी से कैप्टन अजय यादव के बेटे राव चिरंजीव को मैदान में उतारा है. अब देखना होगा कि इस बार अहीरवाल की जनता किस पर भरोसा जताती है.

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दलों ने स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतार दी है. बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा 18 कैबिनेट मंत्री प्रचार करेंगे जबकि कांग्रेस की ओर से भी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई कद्दावर नेता कमान संभाल रहे हैं.

जानिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्या हैं अहीरवाल क्षेत्र के समीकरण.

कितना है अहीरवाल का असर?
हरियाणा की राजनीति में अहीरवाल क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ अहीरवाल में भी बेहतर प्रदर्शन किया था. अहीरवाल क्षेत्र हरियाणा में मुख्य रूप से गुरुग्राम और रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के हिस्से आते हैं. यहां की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी पहली बार जीती थी. यहां तक की पांच बार से लागातार जीत रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव तक चुनाव हार गए थे. यहां कुल आठ सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं.

2014 में बीजेपी का था दबदबा
2014 विधानसभा चुनाव में अहीरवाल के इकलौते राजा की संज्ञा रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह के सहारे बीजेपी ने यहां सभी सीटों पर कब्जा जमाया था. हालांकि इस बार वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी ने जिन विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से ज्यादतर राव इंद्रजीत समर्थक हैं और अहीरवाल के ही नेता हैं. हालांकि रेवाड़ी सीट से राव इंद्रजीत के समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट देकर बीजेपी ने उन्हें खुश रखने की भी कोशिश की है.

कांग्रेस की पकड़ हुई कमजोर
वहीं 2014 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस यहां कमजोर पड़ गई है और एक बार फिर अपना जनाधार तलाशने में जुटी हुई है. 2014 के चुनाव से पहले ही पार्टी के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इंद्रजीत के पार्टी छोड़ने के बाद से ही कांग्रेस को यहां से किसी चेहरे की तलाश थी. कांग्रेस ने इंद्रजीत के जाने के बाद अहीरवाल में कैप्टन अजय यादव पर दांव लगाया लेकिन कैप्टन लोकसभा चुनाव में इंद्रजीत के हाथों पटखनी खा गए.

कांग्रेस के कैप्टन भी हुए नाराज !
वहीं अब कैप्टन अजय यादव ने टिकट वितरण के बाद बगावती सुर उठा दिए हैं. कैप्टन ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाया हैं कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें गुरुग्राम लोकसभा सीट से हराने का काम किया था और उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया था.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर पहले ही टिकट वितरण पर सवाल उठाकर पार्टी छोड़ चुके हैं और अब कैप्टन अजय यादव के बगावती सुर उठने के बाद हरियाणा में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. इनेलो, जेजेपी और बाकी राजनीतिक दल अभी भी अहीरवाल क्षेत्र में अपने वजूद की तलाश में हैं.

क्या हैं इस बार समीकरण ?
फिलहाल यहां बीजेपी का सूरज बुलंदी पर है. सभी पार्टियों ने भी इलाके के जातीय मिजाज को देखते हुए उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने महेन्द्रगढ़ की अटेली से सीताराम यादव, नारनौल से ओम प्रकाश यादव और नांगल चौधरी से अभय सिंह यादव को टिकट दिया है. वहीं बादशाहपुर से राव नरबीर की जगह मनीष यादव को मैदान में उतारा है तो रेवाड़ी से सुनील मुसेपुर और कोसली से लक्ष्मण यादव पर भरोसा जताया है.

यही फॉर्मूला कांग्रेस ने भी अपनाया और अटेली से राव अर्जुन सिंह, महेन्द्रगढ़ से राव दान सिंह, नारनौल से नरेन्द्र सिंह को टिकट दिया, तो कोसली से यदुवेन्द्र यादव और रेवाड़ी से कैप्टन अजय यादव के बेटे राव चिरंजीव को मैदान में उतारा है. अब देखना होगा कि इस बार अहीरवाल की जनता किस पर भरोसा जताती है.

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चौधर की जंग: अहीरवाल में इस बार क्या हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इससे पहले हमने आपको बताया था जाटलैंड की राजनीति के बारे में. इस बार हम बात करेंगे अहीरवाल क्षेत्र की.

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दलों ने स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतार दी है. बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा 18 कैबिनेट मंत्री प्रचार करेंगे जबकि कांग्रेस की ओर से भी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई कद्दावर नेता कमान संभाल रहे हैं.

कितना है अहीरवाल का असर?

हरियाणा की राजनीति में अहीरवाल क्षेत्र की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ अहीरवाल में भी बेहतर प्रदर्शन किया था. अहीरवाल क्षेत्र हरियाणा में मुख्य रूप से गुरुग्राम और रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के हिस्से आते हैं. यहां की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी पहली बार जीती थी. यहां तक की पांच बार से लागातार जीत रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव तक चुनाव हार गए थे. यहां कुल आठ सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं. 

2014 में बीजेपी का था दबदबा

2014 विधानसभा चुनाव में अहीरवाल के इकलौते राजा की संज्ञा रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह के सहारे बीजेपी ने यहां सभी सीटों पर कब्जा जमाया था. हालांकि इस बार वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी ने जिन विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से ज्यादतर राव इंद्रजीत समर्थक हैं और अहीरवाल के ही नेता हैं. हालांकि रेवाड़ी सीट से राव इंद्रजीत के समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट देकर बीजेपी ने उन्हें खुश रखने की भी कोशिश की है. 

कांग्रेस की पकड़ हुई कमजोर

वहीं 2014 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस यहां कमजोर पड़ गई है और एक बार फिर अपना जनाधार तलाशने में जुटी हुई है. 2014 के चुनाव से पहले ही पार्टी के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. इंद्रजीत के पार्टी छोड़ने के बाद से ही कांग्रेस को यहां से किसी चेहरे की तलाश थी. कांग्रेस ने इंद्रजीत के जाने के बाद अहीरवाल में कैप्टन अजय यादव पर दांव लगाया लेकिन कैप्टन लोकसभा चुनाव में इंद्रजीत के हाथों पटखनी खा गए. 

कांग्रेस के कैप्टन भी हुए नाराज !

वहीं अब कैप्टन अजय यादव ने टिकट वितरण के बाद बगावती सुर उठा दिए हैं. कैप्टन ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाया हैं कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें गुरुग्राम लोकसभा सीट से हराने का काम किया था और उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया था.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर पहले ही टिकट वितरण पर सवाल उठाकर पार्टी छोड़ चुके हैं और अब कैप्टन अजय यादव के बगावती सुर उठने के बाद हरियाणा में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. इनेलो, जेजेपी और बाकी राजनीतिक दल अभी भी अहीरवाल क्षेत्र में अपने वजूद की तलाश में हैं.

क्या हैं इस बार समीकरण ?

फिलहाल यहां बीजेपी का सूरज बुलंदी पर है. सभी पार्टियों ने भी इलाके के जातीय मिजाज को देखते हुए उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने महेन्द्रगढ़ की अटेली से सीताराम यादव, नारनौल से ओम प्रकाश यादव और नांगल चौधरी से अभय सिंह यादव को टिकट दिया है. वहीं बादशाहपुर से राव नरबीर की जगह मनीष यादव को मैदान में उतारा है तो रेवाड़ी से सुनील मुसेपुर और कोसली से लक्ष्मण यादव पर भरोसा जताया है.

यही फॉर्मूला कांग्रेस ने भी अपनाया और अटेली से राव अर्जुन सिंह, महेन्द्रगढ़ से राव दान सिंह, नारनौल से नरेन्द्र सिंह को टिकट दिया, तो कोसली से यदुवेन्द्र यादव और रेवाड़ी से कैप्टन अजय यादव के बेटे राव चिरंजीव को मैदान में उतारा है. अब देखना होगा कि इस बार अहीरवाल की जनता किस पर भरोसा जताती है.

 


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Last Updated : Oct 11, 2019, 5:48 PM IST
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