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PGI में लगाई गई एडवांस स्कैनिंग मशीन, दिमाग की बारीक नसों को भी कर सकती है स्कैन

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Published : Mar 24, 2021, 10:45 PM IST

चंडीगढ़ पीजीआई में एक अत्याधुनिक स्कैनिंग मशीन लगाई गई है. ये मशीन बेहद सटीकता और तेजी के साथ मरीज के दिमाग की स्थिति बता देती है. जिससे डॉक्टरों को उसका इलाज करने में भी कम वक्त लगता है और मरीज की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

advance scanning machine installed chandigarh PGI
advance scanning machine installed chandigarh PGI

चंडीगढ़: पीजीआई उन अस्पतालों में शुमार है जहां पर मरीजों को बेहतर इलाज दिया जाता है, लेकिन अब चंडीगढ़ पीजीआई का नाम दुनिया के उन अस्पतालों में भी जुड़ चुका है जहां पर दिमाग की बीमारियों के लिए बेहद एडवांस तकनीक का प्रयोग किया जाता है.

चंडीगढ़ पीजीआई में दिमाग की बीमारियों के इलाज के लिए खास लैबोरेट्री बनाई गई है. जिसमें एक अत्याधुनिक स्कैनिंग मशीन लगाई गई है. इस लैबोरेट्री का उद्घाटन कुछ दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने किया था.

इस मशीन के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर अजय कुमार ने बताया कि इस मशीन का नाम 'टू बाय प्लेन डीएसए' मशीन है. ये मशीन नीदरलैंड से मंगाई गई है और इसकी कीमत करीब 12 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि मशीन दिमाग की कई गंभीर बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है. जैसे लकवा होना, दिमाग की नसों में ब्लॉकेज होना, ब्रेन हेमरेज होना आदि. ये मशीन इतनी गहराई से स्कैनिंग कर सकती है कि दिमाग की बाल से भी पथरी नसों की तस्वीरें साफ-साफ दिखा सकती है. इसके अलावा इस लैबोरेट्री में ऐसा एयर कंडीशन सिस्टम लगाया गया है जो लैबोरेट्री के अंदर की हवा को बेहद साफ रखता है. इस हवा में कोरोना वायरस भी मौजूद नहीं रह सकता.

PGI में लगाई गई एडवांस स्कैनिंग मशीन, दिमाग की बारीक नसों को भी कर सकती है स्कैन

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मशीन की कार्यप्रणाली दिखाते हुए उन्होंने बताया कि उनके पास एक मरीज आया था जिसे लकवा हो गया था. उसके दिमाग की एक नस ब्लॉक हो गई थी. इस मशीन से स्कैन करते ही तुरंत उन्हें ब्लॉकेज के बारे में पता चल गया. जिसके बाद उस नस में स्टंट डालकर उस नस को खोल दिया गया. जहां पर खून की सप्लाई शुरू हो गई. जिसके बाद कुछ ही घंटों में वह मरीज बेहतर हालत में यहां से भेजा गया. लकवे के मरीज का इतनी जल्दी इलाज होना इस मशीन की वजह से ही संभव हो पाया है.

इस टीम में शामिल डॉ. अनुज प्रभाकर ने बताया इस मशीन में जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है वह अब तक का सबसे आधुनिक सॉफ्टवेयर है और चंडीगढ़ पीजीआई अकेला ऐसा सरकारी अस्पताल है जिसमें इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली एम्स में भी यह सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार ने कोरोना के मद्देनजर होली खेलने पर लगाई रोक

दिमाग की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए समय बेहद महत्वपूर्ण है. पुरानी मशीनों में स्कैन करने में 15 से 20 मिनट का वक्त लगता था जबकि यह मशीन चंद मिनटों में यह काम कर देती है. साथ ही यह मशीन मरीज का इलाज कर रहे सभी डॉक्टर के मोबाइल पर उस मरीज की स्थिति की रिपोर्ट भी पहुंचा देती है.

डॉक्टर ने बताया कि नस ब्लॉक होने के अलावा दिमाग में एक बीमारी और हो जाती है. जिसमें दिमाग की नसों में गुब्बारे बन जाते हैं अगर वह गुब्बारा फट जाए तो दिमाग के अंदर ब्लीडिंग हो सकती है. जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है. हमारी कोशिश रहती है कि इस गुब्बारे को फटने से बचाया जाए.

इस मशीन की सहायता से हमें नसों में पड़े गुब्बारे की सही स्थिति का पता चल जाता है जिसके बाद हम मरीज की जांघ की नस में तार डालकर उसे दिमाग के उस गुब्बारे तक पहुंचाते हैं और इलाज करते हैं. यह मशीन बेहद सटीकता और तेजी के साथ मरीज के दिमाग की स्थिति बता देती है. जिससे डॉक्टरों को उसका इलाज करने में भी कम वक्त लगता है और मरीज की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में इस वजह से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले ! नए स्ट्रेन का भी खतरा बढ़ा

चंडीगढ़: पीजीआई उन अस्पतालों में शुमार है जहां पर मरीजों को बेहतर इलाज दिया जाता है, लेकिन अब चंडीगढ़ पीजीआई का नाम दुनिया के उन अस्पतालों में भी जुड़ चुका है जहां पर दिमाग की बीमारियों के लिए बेहद एडवांस तकनीक का प्रयोग किया जाता है.

चंडीगढ़ पीजीआई में दिमाग की बीमारियों के इलाज के लिए खास लैबोरेट्री बनाई गई है. जिसमें एक अत्याधुनिक स्कैनिंग मशीन लगाई गई है. इस लैबोरेट्री का उद्घाटन कुछ दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने किया था.

इस मशीन के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर अजय कुमार ने बताया कि इस मशीन का नाम 'टू बाय प्लेन डीएसए' मशीन है. ये मशीन नीदरलैंड से मंगाई गई है और इसकी कीमत करीब 12 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि मशीन दिमाग की कई गंभीर बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है. जैसे लकवा होना, दिमाग की नसों में ब्लॉकेज होना, ब्रेन हेमरेज होना आदि. ये मशीन इतनी गहराई से स्कैनिंग कर सकती है कि दिमाग की बाल से भी पथरी नसों की तस्वीरें साफ-साफ दिखा सकती है. इसके अलावा इस लैबोरेट्री में ऐसा एयर कंडीशन सिस्टम लगाया गया है जो लैबोरेट्री के अंदर की हवा को बेहद साफ रखता है. इस हवा में कोरोना वायरस भी मौजूद नहीं रह सकता.

PGI में लगाई गई एडवांस स्कैनिंग मशीन, दिमाग की बारीक नसों को भी कर सकती है स्कैन

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मशीन की कार्यप्रणाली दिखाते हुए उन्होंने बताया कि उनके पास एक मरीज आया था जिसे लकवा हो गया था. उसके दिमाग की एक नस ब्लॉक हो गई थी. इस मशीन से स्कैन करते ही तुरंत उन्हें ब्लॉकेज के बारे में पता चल गया. जिसके बाद उस नस में स्टंट डालकर उस नस को खोल दिया गया. जहां पर खून की सप्लाई शुरू हो गई. जिसके बाद कुछ ही घंटों में वह मरीज बेहतर हालत में यहां से भेजा गया. लकवे के मरीज का इतनी जल्दी इलाज होना इस मशीन की वजह से ही संभव हो पाया है.

इस टीम में शामिल डॉ. अनुज प्रभाकर ने बताया इस मशीन में जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है वह अब तक का सबसे आधुनिक सॉफ्टवेयर है और चंडीगढ़ पीजीआई अकेला ऐसा सरकारी अस्पताल है जिसमें इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली एम्स में भी यह सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं है.

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दिमाग की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए समय बेहद महत्वपूर्ण है. पुरानी मशीनों में स्कैन करने में 15 से 20 मिनट का वक्त लगता था जबकि यह मशीन चंद मिनटों में यह काम कर देती है. साथ ही यह मशीन मरीज का इलाज कर रहे सभी डॉक्टर के मोबाइल पर उस मरीज की स्थिति की रिपोर्ट भी पहुंचा देती है.

डॉक्टर ने बताया कि नस ब्लॉक होने के अलावा दिमाग में एक बीमारी और हो जाती है. जिसमें दिमाग की नसों में गुब्बारे बन जाते हैं अगर वह गुब्बारा फट जाए तो दिमाग के अंदर ब्लीडिंग हो सकती है. जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है. हमारी कोशिश रहती है कि इस गुब्बारे को फटने से बचाया जाए.

इस मशीन की सहायता से हमें नसों में पड़े गुब्बारे की सही स्थिति का पता चल जाता है जिसके बाद हम मरीज की जांघ की नस में तार डालकर उसे दिमाग के उस गुब्बारे तक पहुंचाते हैं और इलाज करते हैं. यह मशीन बेहद सटीकता और तेजी के साथ मरीज के दिमाग की स्थिति बता देती है. जिससे डॉक्टरों को उसका इलाज करने में भी कम वक्त लगता है और मरीज की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

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