चंडीगढ़: सिख समुदाय के द्वारा लोगों की भलाई के लिए किए गए कार्यों और भूखे लोगों को खाना खिलाने की तो हर तरफ सराहना होती रहती है. पूरी दुनिया में कहीं भी संकट पड़े अगर सिख समुदाय के लोग वहां रहते हैं तो वो लोगों की मदद के लिए, लोगों की सेवा करने के लिए हमेशा आगे आते हैं. गुरुद्वारों में भूखे और गरीब लोगों को खाना खिलाने का काम करते हैं. ऐसे बहुत से काम हैं जो सिख समुदाय द्वारा लोगों की भलाई के लिए किए जाते हैं. इसके लिए सिख समुदाय की समय-समय पर तारीफ भी होती है. वहीं अब आम आदमी पार्टी की ओर से सिख समुदाय के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की गई है.
आप ने की सिख समुदाय को नोबेल पुरस्कार देने की मांग
सिख समुदाय को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार देने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी की चंडीगढ़ इकाई के संयोजक प्रेम गर्ग ने प्रधानमंत्री को भी चिट्ठी लिखी है. जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसकी सिफारिश करें. इस बारे में प्रेम गर्ग ने कहा कि हम सदियों से देख रहे हैं कि सिख समाज हमेशा गरीबों की और जरूरतमंदों की सेवा करता आया है और यह से निस्वार्थ भाव से होती है. ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के किसी भी देश में अगर कोई आपदा आती है तो सिख समुदाय सबसे आगे खड़ा होता है.
'सिख हर आपदा में आगे रहकर लोगों की सेवा करते हैं'
उन्होंने कहा कि किसी भी आपत्ति के समय सिख समुदाय के लोग भूखे लोगों को खाना खिलाते हैं. बीमारों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाते हैं और जहां जैसी भी जरूरत होती है वहां उन जरूरतों को पूरा करते हैं. सिख समुदाय ने लोगों की सेवा करने के लिए एक पूरा सिस्टम तैयार कर लिया है जिसमें यह लोग खुद ही अलग-अलग जगहों पर पहुंचकर लोगों की सेवा करना शुरू कर देते हैं. हम सिख लोगों और उनके इस सिस्टम को दुनिया में पहचान दिलाना चाहते हैं. सिखों ने मानवता की जितनी सेवा की है, वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं, जो उन्हें मिलना ही चाहिए. इसलिए हम ये मांग उठा रहे हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कर भी यह आग्रह किया है कि वे भी हमारी इस मांग की सिफारिश करें.
सिख समुदाय के लिए सेवा करना ही सबसे बड़ा पुरस्कार
वहीं इस बारे में जब चंडीगढ़ में सिख समुदाय के प्रतिनिधि हरजीत सिंह सभरवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा सिख समुदाय के लोग मानवता की सेवा को ही अपना धर्म समझते हैं क्योंकि उनके गुरु महाराज ने उन्हें सदैव लोगों की सेवा करते रहने के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जहां पर भी कोई आपदा आती है सिख संस्थाएं तुरंत वहां पहुंच जाती हैं और लंगर शुरू करते हैं. इसके बाद वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं आदि शुरू कर दी जाती हैं. अगर किसी आपदा में लोगों के घर टूट गए हो तो वहां पर घर भी बनाए जाते हैं. लोगों को हर सहायता मुहैया करवाई जाती है.
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नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे इस मांग का स्वागत करते हैं क्योंकि जब दूसरे लोग हमारे लिए इस तरह की मांग उठाते हैं तो हमें मोटिवेशन मिलता है. सिख समुदाय के लोग बिना किसी लालच या स्वार्थ के सेवा भाव में लगे हुए हैं. वैसे तो उन्हें किसी पुरस्कार की लालसा नहीं है लेकिन फिर भी जिन लोगों ने यह मांग उठाई है वह उनका समर्थन करते हैं. हालांकि सिखों के लिए अपने गुरुओं की वाणी को पूरा करना और लोगों की सेवा करना ही सबसे बड़ा पुरस्कार है.