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Cotton Price In Bhiwani: एमएसपी से दो गुना भाव पर बिक रही कपास, 'सफेद सोने' के किसानों के चेहरे खिले

भिवानी में सफेद सोने के किसान (White Gold Farmers In Bhiwani) इन दिनों काफी खुश हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि इस बार मंडियों में कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव में बिक रही है. जिसकी वजह से किसानों को अच्छा खासा लाभ मिल रहा है.

Cotton Being Sold AT Double Price of MSP Bhiwani
कपास के भाव इस बार काफी अच्छे मिल रहे हैं.
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Published : Sep 14, 2022, 1:03 PM IST

भिवानी: ‘सफेद सोना’ कही जानी वाली कपास फसल की कीमतों में तेजी आने से इन दिनों किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. इन दिनों ओपन मार्केट व मंडियों में कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव में बिक रही (Cotton Being Sold AT Double Price of MSP Bhiwani) है. इसकी वजह से किसानों को खासा लाभ मिल रहा है. इस बार मानसून के दौरान हुई अच्छी बरसात के बाद कपास और बाजरा की बंपर पैदावार हुई है.

इन दिनों कपास की पहली चुगाई मंडियों व आढ़तियों तक पहुंच चुकी है. जहां कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 80 रूपये है. वही खुले बाजार में कपास 10 हजार 500 से 11 हजार रूपये प्रति क्विंटल के भाव बिक रही है. भिवानी अनाज मंडी में भी आढ़तियों के हाथों अच्छा भाव किसानों को बाजरे और कपास का मिल रहा है.

भिवानी अनाज मंडी (Bhiwani Anaj Mandi) में आढ़ती नरेंद्र बंसल ने बताया कि ओपन मार्केट में अबकी बार पिछले साल के मुकाबले किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 80 के मुकाबले 11 हजार रूपये तक नरमा, कपास का भाव मिल रहा है. भाव अधिक होने के कारण इंटरनेशनल मार्केट में कपास की अधिक मांग है. अच्छी बरसात के कारण उत्तम क्वालिटी की कपास पैदा हुई.

आढ़ती नरेंद्र बंसल ने बताया कि एक अक्टूबर से बाजरा और मूंग की सरकारी खरीद शुरू होगी. किसान अपना बाजरा सुखाकर ही मंडी में लाए ताकि उन्हे अच्छा भाव मिल सकेंय अबकी बार बाजरा का सरकारी भाव 2350 रूपये निर्धारित किया गया है. हालांकि माना जा रहा है कि ओपन मार्केट में आने वाले दिनों में बाजरा भी एमएसपी भाव से ज्यादा बिकेगा.


वहीं अजीतपुर गांव के रहने वाले किसान दिलबाग ने बताया कि उन्हें भिवानी ओपन मार्केट में कपास के भाव (cotton price in bhiwani open market) 11 हजार रूपये तक मिले हैं. ये भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग दोगुने हैं. ऐसे में उन्हे अबकी अपनी फसल के अच्छे दाम मिले है जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ है. यदि इसी प्रकार भाव मिलते रहे तो वे अगले साल भी कपास की पैदावार करेंगे. किसानों का यह भी कहना था कि कपास उत्पादन में लागत बढने और कपास चुगाई की मजदूरी बढ़ने के कारण कपास उत्पादन की लागत बढ़ी है परन्तु न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव मिलने के बाद अब वे अच्छा लाभ कमा पा रहे हैं.

भिवानी: ‘सफेद सोना’ कही जानी वाली कपास फसल की कीमतों में तेजी आने से इन दिनों किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. इन दिनों ओपन मार्केट व मंडियों में कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव में बिक रही (Cotton Being Sold AT Double Price of MSP Bhiwani) है. इसकी वजह से किसानों को खासा लाभ मिल रहा है. इस बार मानसून के दौरान हुई अच्छी बरसात के बाद कपास और बाजरा की बंपर पैदावार हुई है.

इन दिनों कपास की पहली चुगाई मंडियों व आढ़तियों तक पहुंच चुकी है. जहां कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 80 रूपये है. वही खुले बाजार में कपास 10 हजार 500 से 11 हजार रूपये प्रति क्विंटल के भाव बिक रही है. भिवानी अनाज मंडी में भी आढ़तियों के हाथों अच्छा भाव किसानों को बाजरे और कपास का मिल रहा है.

भिवानी अनाज मंडी (Bhiwani Anaj Mandi) में आढ़ती नरेंद्र बंसल ने बताया कि ओपन मार्केट में अबकी बार पिछले साल के मुकाबले किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 80 के मुकाबले 11 हजार रूपये तक नरमा, कपास का भाव मिल रहा है. भाव अधिक होने के कारण इंटरनेशनल मार्केट में कपास की अधिक मांग है. अच्छी बरसात के कारण उत्तम क्वालिटी की कपास पैदा हुई.

आढ़ती नरेंद्र बंसल ने बताया कि एक अक्टूबर से बाजरा और मूंग की सरकारी खरीद शुरू होगी. किसान अपना बाजरा सुखाकर ही मंडी में लाए ताकि उन्हे अच्छा भाव मिल सकेंय अबकी बार बाजरा का सरकारी भाव 2350 रूपये निर्धारित किया गया है. हालांकि माना जा रहा है कि ओपन मार्केट में आने वाले दिनों में बाजरा भी एमएसपी भाव से ज्यादा बिकेगा.


वहीं अजीतपुर गांव के रहने वाले किसान दिलबाग ने बताया कि उन्हें भिवानी ओपन मार्केट में कपास के भाव (cotton price in bhiwani open market) 11 हजार रूपये तक मिले हैं. ये भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग दोगुने हैं. ऐसे में उन्हे अबकी अपनी फसल के अच्छे दाम मिले है जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ है. यदि इसी प्रकार भाव मिलते रहे तो वे अगले साल भी कपास की पैदावार करेंगे. किसानों का यह भी कहना था कि कपास उत्पादन में लागत बढने और कपास चुगाई की मजदूरी बढ़ने के कारण कपास उत्पादन की लागत बढ़ी है परन्तु न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव मिलने के बाद अब वे अच्छा लाभ कमा पा रहे हैं.

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