भिवानी: जिले में किसानों की फसलों पर सफेद मक्खी का प्रकोप शुरू हो गया है. किसानों की मानें तो कपास की खेती में एक एकड़ में कुल मिलाकर 30 से 35 हजार रुपये का खर्च आ जाता है. अकेले भिवानी जिले में इस बार 88 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की बिजाई की गई है, लेकिन जिस तरह सफेद मक्खी फसल को बर्बाद कर रही है उससे किसान को बड़े नुकसान की चिंता सता रही है.
किसानों को फिर बड़े नुकसान का डर
किसान रामपाल का कहना है कि अभी कोरोना की वजह से पहले ही नुकसान हो चुका है. इसके अलावा टिड्डियां भी फसलों को बर्बाद कर चुकी हैं. अभी किसान टिड्डियों से ही निजात पाने में जुटा हुआ था कि अब सफेद मक्खियों ने कपास की फसल पर हमला कर दिया है. इस बार फसल भी पड़े पैमाने पर लगाई है, लेकिन जिस तरह से सफेद मक्खियों ने कहर बरपाया उससे बड़े नुकसान की आशंका है.
नकली कीटनाशक बेचने का लगाया आरोप
किसानों के लिए सिर्फ मौसम और कीट ही अकेली मुसीबत नहीं है बल्कि कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां भी अन्नदाता को ठगने में लगी है. किसानों ने इन मक्खियों को भगाने के लिए स्प्रे भी किया, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखा. किसानों का आरोप है कि बाजार में नकली कीटनाशक मिल रहा है तभी उसका कुछ असर नहीं दिख रहा है. किसान जगदीश का कहना है कि तीन से चार बार स्प्रे कर चुके हैं, लेकिन से सफेद मक्खी भागने का नाम ही नहीं ले रही है. जिससे साफ जाहिर है कि किसानों को नकली कीटनाशक बेचा जा रहा है.
बता दें कि, 100 से 125 अंडे देने वाली सफेद मक्खी फसलों की तबाही की वजह बन रही है. इस मौसम में ये मक्खी फलती-फूलती है और इसका जीवन चक्र 30 से 35 दिन का होता है. सफेद मक्खी कपास के पौधे के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है, जिससे पत्ते काले पड़ जाते हैं और इस वजह से पौधे का विकास नहीं हो पाता. वहीं इन मक्खियों से निजात पाने के लिए कृषि विभाग की ओर किसानों को कुछ सलाह दी गई हैं. कृषि अधिकारी डॉ. आशीष ने बताया कि कई उपाय करके अभी भी फसलों के सफेद मक्खी से बचाया जा सकता है.
सफेद मक्खी को भगाने के लिए करें ये उपाय-
- किसानों को दो बार 15-15 दिन के अंतराल पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए.
- किसान येल्लो स्ट्रिप का इस्तेमाल करें. इस येल्लो स्ट्रिप की ओर सफेद मक्खी आकर्षित होकर चिपक जाती है.
- नीम की दवा को साथ मिलाकर कीटनाशक का स्प्रे किया जाए.
सफेद मक्खी की वजह से गत वर्ष बर्बाद हुई फसल के नुकसान को अभी तक किसान भुला नहीं पाए थे कि एक बार फिर से किसानों के लिए ये मक्खी आफत बनकर लौट आई है. किसानों को एक बार फिर से बड़ा नुकसान होने वाला है, ऐसे में किसान सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठा है. अब देखना होगा कि बर्बादी की कगार पर खड़े इन किसानों के लिए सरकार क्या कदम उठाती है.
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