भिवानी: राजेश कसाना उर्फ लुक्का आज प्रो बॉक्सिंग में अपना अच्छा नाम कमा रहे हैं. इसकी शुरुआत हुई थी 2006 से. लुक्का ने पहला मेडल 2008 में स्कूल स्टेट चैंपियनशिप में हासिल किया था और इसके बाद मेडल जीतने का ये सिलसिला यूं ही जारी रहा. ईटीवी भारत से राजेश लुक्का ने अपने इस सफर की पूरी कहानी बताई.
खोलनी पड़ी चाय की दुकान
इस दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. पैसों की कमी, डाइट भी पूरी ना मिलना, पिता और बहन का निधन हो जाना. घर के हालात इतने खराब हो गए कि लुक्का को चाय की दुकान खोलनी पड़ी लेकिन बॉक्सिंग नहीं छोड़ी. सुबह-शाम प्रैक्टिस की और बाकी समय में चाय बेचकर घर को संभालते रहे. फिर केस होने के कारण दुकान बंद हो गई. कठिनाईयां बढ़ती जा रही थी. वहीं मुश्किल के इस समय में सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिली.
सरकार से नौकरी देने की लगाई गुहार
लुक्का अब सीनियर वर्ल्ड टाइटल की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से एक छोटी सी नौकरी देने की गुहार लगाई है. राजेश लुक्का की तरह और भी कई खिलाड़ी हैं जो मदद की राह देख रहे हैं. अगर इन्हें सहायता मिल जाए तो ये देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. अब देखना ये है कि सबसे बेहतर खेल नीति होने का दम भरने वाली हरियाणा सरकार इनकी मदद करने के लिए कब आगे बढ़ेगी.