भिवानीः हरियाणा के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. प्रदेश सरकार ने मिट्टी जांच(soil health test) के लिए 75 लैब (soil health test lab) प्रदेश में स्थापित करने का फैसला किया है, जिनमें से 40 लैब का शुभारंभ कर दिया गया है. कृषि मंत्री जेपी दलाल (jay prakash dalal) के साथ मौजूद मुख्यमंत्री मनोहर लाल (manohar lal) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन लैब्स का शिभारंभ किया. जिसके बाद सीएम मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेशभर में करीब 35 लाख एकड़ भूमि की जांच की जाएगी. जिसमें स्कूली बच्चों का सहयोग लिया जाएगा. स्कूली बच्चों को इस प्रोग्राम में इसलिए शामिल किया गया है कि ताकि वो आगे जाकर फसल उत्पादन के बारे में बारीकी से जान सकें.
भिवानी जिले की अगर बात करें तो यहां 3 लैब स्थापित की जाएंगी, जिनमें से एक जुई और दूसरी ढिगावा में होगी. इसके अलावा एक लैब लोहारू में बनेगी. अब किसान सोच रहे होंगे कि इससे उन्हें कैसे फायदा होगा तो हम आपको बता देते हैं कि किसान इन लैबों से कैसे फायदा उठा सकते हैं. दरअसल आपके पास में अगर लैब होगी तो आप आसानी से अपने खेत की मिट्टी की जांच करवा सकते हैं. अब अगला सवाल है कि मिट्टी की जांच से क्या फायदा होगा तो किसान भाइयों को बता दें कि अगर आप मिट्टी की जांच करवाते हैं तो आपको पता चलता है कि आपके खेत की तासीर क्या है.
इसके अलावा किसान भाइयों को मिट्टी की जांच से ये भी पता चल सकेगा कि उनकी मिट्टी के हिसाब से कौनसी फसल उनके खेत में सबसे ज्यादा फले फूलेगी. साथ ही किसान भाई ये भी जान पाएंगे कि इस वक्त उनके खेत को किस खाद की आवश्यकता है. ये ठीक उसी तरीके से है जैसे एक बीमार व्यक्ति को दवाई देकर ठीक किया जाता है वैसे ही आपके खेत की मिट्टी की जांच के बाद आपको पता चल जाएगा कि कौनसी दवाई और फसल आपके लिए उपयुक्त है.
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हरियाणा सरकार ने जिले में ऐसी 75 लैब बनाने का फैसला किया है. जो हर उपमंडर और खंड स्तर पर मौजूद होगी जिससे किसानों को दूर जाने की जरूरत नहीं होगी. बल्कि पास में ही और आसानी से मिट्टी की जांच हो सकेगी. फिलहाल प्रदेश में 40 लैब चालू हो गई हैं. इस एक लैब पर सरकार ने करीब 10 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. जिसमें करीब 5 करोड़ उपकरणों पर और उतने भवन निर्माण पर खर्च किये गए हैं.
इसके अलावा अब जो बाकी 34 लैब बनेंगी जो इस साल के अंत तक शुरू हो जाएंगी उन पर 19 करोड़ रुपये प्रति लैब खर्च होगा. किसानों को करीब 75 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड (soil health card) उपलब्ध कराए जाएंगे. सरकार का मानना है कि अंधाधुंध खाद से किसानों की लागत बढ़ती है और खेत की उर्रवरा शक्ति में भी कमी आती है. अगर किसानों की लागत इसके जरिए कम की जाती है तो उनकी आमदनी दोगुनी करने में सहायता मिलेगी.