भिवानी: प्रदेश की महिलाओं, युवतियों व शिशुओं में पोषण, एनिमिया, डायरिया व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेश के लगभग छह हजार गांवों में अपने जागरूकता अभियान की शुरूआत राष्ट्रीय पोषाहार मिशन के तहत कर दी है.
इसके तहत नुक्कड़ नाटक, रागिनी, हरियाणवी संस्कृति व पृष्ठभूमि से जुड़े कार्यक्रमों के माध्यमों से जागरूकता अभियान प्रदेश के सभी 22 जिलों के खंडों में चलाया जा रहा है. जहां कुपोषण व एनिमिया के आंकड़े अधिक हैं, वहां इस अभियान का प्रथम चरण शुरू हो चुका है. ये जानकारी भिवानी की जिला कार्यक्रम अधिकारी परिणिता गोस्वामी ने मंगलवार को भिवानी में दी.
भिवानी में नाटक, रागिनी व लोकसंगीत मंडलियों के लिए चलाए गए एक प्रशिक्षण अभियान के बाद भिवानी की राष्ट्रीय पोषाहार मिशन की जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय पोषाहार मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया, एनीमिया, स्वच्छता, माता का दूध का महत्व व कुपोषण के बारे में नुक्कड़ नाटक, रागिनी व लोकसंगीत जैसे मनोरंजक माध्यम से प्रदेश के सभी खंडों में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है.
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इसके लिए टीमों का चयन कर लिया गया है. ये टीमें गांव-गांव जाकर महिलाओं, किशोरियों को रक्त की कमी के कारणों, डायरिया, मां के दूध का महत्व व स्वच्छता के बारे में मनोरंजक माध्यम से समझाएंगी और उन्हें बताएंगी कि किशोरियों व शिशुओं के लिए पोषण का क्या महत्व है.
ये टीमें गांव में बताएंगी कि स्वच्छता के नियमों को अपनाकर ही स्वस्थ रहा जा सकता हैं. मां का दूध शिशु के लिए उसके जन्म से एक हजार दिन तक पिलाया जाना अति आवश्यक है. इसके अलावा दालें, अनाज, दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों से मिलने वाले पोषण के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी जा रही है.
राष्ट्रीय पोषाहार मिशन में नुक्कड़ नाटक कलाकार मुकेश ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पोषाहार के बारे में नाटकों व हरियाणवी संस्कृति के माध्यम से समझाया जाना आसान है. इसके लिए उन्होंने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है तथा गांव-गांव जाकर उनकी टीमें पोषाहार मिशन को आगे बढ़ाने के लिए जुट गई हैं.
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