भिवानी: दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते आमजन से कहीं ज्यादा प्रवासी लोगों पर मार पड़ी है. ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूर भिवानी में घर जाने की जिद करते हुए किरोड़ीमल पार्क में पहुंचे और कहा कि भूखे मरने से बेहतर है, पैदल घर को निकलें. बता दें कि भिवानी में कई ट्रेन और बसें बिहार व यूपी के लिए जा चुकी हैं लेकिन मेडिकल और रजिस्ट्रेशन होने पर भी इनका नंबर नहीं आया.
हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर भिवानी आए थे. इनमें ज्यादातर वे मजदूर हैं जो गेहूं व सरसों की कटाई करने हर साल आते हैं. बहुत से मजदूर सालों से छोटे-बड़े उद्योग, ईंट भट्ठों व दुकानों पर काम करते हैं लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह सभी प्रवासी अपने घर जाना चाहते हैं.
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गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य सरकार इन्हें घर भेजने के लिए ट्रेन व बसें चला रही है और फ्री में इन्हें घर भेजा भी जा रहा है लेकिन अभी भी बहुत से प्रवासी यहीं फंसे हुए हैं और बार-बार घर जाने की जिद कर रहे हैं. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह काम के लिए यहां आए थे लेकिन काम धंधे सब बंद है खेती-बाड़ी के काम भी खत्म हो चुके हैं,
ऐसे में जो कमाया था लॉकडाउन में खाने-पीने व किराए में खत्म हो गया. अब यहां भूखे मरने से बेहतर है कि पैदल अपने घर चले जाएं. उन्होंने कहा कि 10 दिन पहले हमारा रजिस्ट्रेशन हो चुका है मेडिकल हो चुका है, बिहार व यूपी कई ट्रेन में बसें जा चुकी हैं. हम स्थानीय नेताओं व अधिकारियों से मिले पर घर भेजने के लिए कोई नहीं मानता, हमें ऐसे ही लावारिस छोड़ दिया है.
निश्चित तौर पर जहां लोग लॉकडाउन में अपने घरों में सुरक्षित हैं वहीं यह प्रवासी आज भी इस महामारी में दर-दर भटक रहे हैं. हालांकि प्रशासन की तरफ से भिवानी व दादरी जिला के प्रवासियों के लिए 3 दिन ट्रेन चली, दर्जनों बसें यूपी-बिहार व एमपी गई पर इनकी संख्या के हिसाब से अभी इन्हें घर भेजने के लिए प्रबंध काफी कम है जिससे हर रोज ऐसे नजारे व नाराजगी सामने आ रही है.
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