भिवानी: तोशाम खंड के किसान आजकल टिड्डी जैसे एक जीव से परेशान हैं. जो उनकी फसलों को चट कर जाता है. कृषि विभाग की माने तो टिड्डी जैसा दिखने वाला ये जीव ग्रासहोपर है और बरसात के मौसम में इनकी संख्या ज्यादा दिख रही है. ये किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. ग्रासहोपर नामक जीव को फांका भी कहा जाता है.
इन दिनों तोशाम खंड के कई गांवों में ग्रासहोपर नामक कीट का प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. आकार में यह जीव टिड्डी की तरह होता है और किसान इसे टिड्डी समझ लेते हैं. परंतु ये टिड्डी नहीं है बल्कि एक सामान्य कीट है.
ग्रासहोपर से फसलों को कैसे बचाएं
कृषि अधिकारियों का कहना है कि इससे किसानों को घबराने की आवश्यकता नही है. ये साधारण कीट की तरह खेतों में खड़ी बाजरा और ज्वार की फसल के पते खाता है. इसके कारण फसल में अधिक आर्थिक नुकसान नहीं होता. इस कीट से फसलों के बचाव के लिए क्लोरोपाईरिफोस 20 प्रतिशत 500 एमएल या फिर लैमडा 250 एमएल प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव किया जा सकता है.
बता दें कि टिड्डी एक विदेशी कीट है जो पश्चिम एशिया और अफ्रीका से ईरान से पाकिस्तान के रास्ते भारत मे प्रवेश करता है. ये लाखों की संख्या में आता है. जो हर साल फसलों को भारी नुकसान पंहुचाता है. दो, चोर, दस किसान इसे नियंत्रित करना चाहें तो नहीं कर सकते हैं. इसलिए इसका नियंत्रण प्रशासनिक स्तर पर किया जाता है.
क्या है ग्रासहोपर जीव
ग्रासहोपर-ये एक स्थानीय कीट है जो हर समय आपके खेतों में रहता है परंतु इसकी संख्या कम होने और अधिक नुकसान नहीं कर पाने के कारण इसे नजर अंदाज कर दिया जाता है. कभी- कभी मौसम अनुकूल होने पर इसकी संख्या बढ़ जाती है. जैसा कि इस वर्ष देखने में आ रहा है. ये एक साधारण कीट है जिसे किसान अपने स्तर पर आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं. इसलिए इसके नियंत्रण के लिए प्रशासन की आवश्यकता नहीं होती है. कृषि विभाग के एसडीओ संजय मक्कड़ ने बताया खेतों में टिड्डियां नहीं है. ये ग्रास होपर नामक जीव है. किसान इसे अपने स्तर पर भी कीट नाशक का छिडक़ाव कर रोक सकते हैं.
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