ETV Bharat / city

अब कृषि अधिकारी किसानों को बताएंगे सफेद मक्खी से बचाव के तरीके - भिवानी सफेद मक्खी हमला

भिवानी में किसानों की फसलों पर सफेद मक्खी का प्रकोप शुरू हो गया है. जिसे देखते हुए अब कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को सफेद मक्खी से बचाव के तरीके बताएंगे.

bhiwani white fly attack precaution
bhiwani white fly attack precaution
author img

By

Published : Sep 1, 2020, 3:11 PM IST

भिवानी: कपास की फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाव को लेकर भिवानी के कृषि विज्ञान केंद्र में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में हिसार से चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जिले में कार्यरत कृषि अधिकारियों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी. स्थानीय कृषि अधिकारियों द्वारा गांवों में जाकर किसानों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में जागरूक किया जाएगा.

भिवानी में 88 हजार हेक्टेयर पर कपास की फसल

कार्यशाला के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कपास एक प्रमुख खरीफ फसल है. जिले में करीब 88 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल है. उन्होंने बताया कि कपास में मुख्य रूप से एफिड, जसिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स और दीमक नुकसान करते हैं. फिलहाल जिले में सफेद मक्खी का प्रकोप बना हुआ है.

उन्होंने बताया कि जिला में 88 हजार हेक्टेयर कपास की फसल में से करीब 30 हजार हेक्टेयर में करीब 51 से 75 प्रतिशत पर सफेद मक्खी का प्रकोप है. सफेद मक्खी केवल एक ही फसल पर नहीं रहती बल्कि विभिन्न फसलों पर जीवित रहती है. ये प्रवासी तरह का कीट है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता रहता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में प्लास्टिक वेस्ट से 83 सड़कों को अपग्रेड करेगी सरकार

सफेद मक्खी जुलाई से सितंबर महीने में अधिकत्तम नुकसान करती है. इससे कपास की पतियों का रंग काला हो जाता है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सफेद मक्खी से प्रकोप से उपाय संभव है. किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर ही दवाई का प्रयोग करना चाहिए.

सफेद मक्खी को भगाने के लिए करें ये उपाय-

  • जुलाई से अगस्त के दौरान कम लागत वाले पीले चिपचिपे जाल का प्रयोग किया जाता है, जिससे सफेद मक्खी उससे चिपक जाती है.
  • बुवाई के 70 दिन बाद तक, किसान एक इमल्शन के दो स्प्रे कर सकते हैं, जिसमें एक प्रतिशत नीम का तेल और 0.05 से 0.10 प्रतिशत कपड़े धोने का डिटर्जेंट, या निम्बीसीडीन (0.03 प्रतिशत या 300 पीपीएम) शामिल है.
  • किसानों को दो बार 15-15 दिन के अंतराल पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए.
  • किसान येल्लो स्ट्रिप का इस्तेमाल करें. इस येल्लो स्ट्रिप की ओर सफेद मक्खी आकर्षित होकर चिपक जाती है.
  • नीम की दवा को साथ मिलाकर कीटनाशक का स्प्रे किया जाए.
  • किसान विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों को मिलाकर फसल में छिड़काव ना करें.
  • कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेने के उपरांत ही अपनी फसलों में कीटनाशकों का छिड़काव करें.

कृषि विभाग के द्वारा अलग-अलग टीमें गठित करके कपास की फसल का निरीक्षण किया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में किसानों के हितों को मध्य नजर रखते हुए विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित भी किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार खरीदेगी एडवांस एंबुलेंस, सड़क हादसों में हो रही मौतों में आएगी कमी!

भिवानी: कपास की फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाव को लेकर भिवानी के कृषि विज्ञान केंद्र में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में हिसार से चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जिले में कार्यरत कृषि अधिकारियों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी. स्थानीय कृषि अधिकारियों द्वारा गांवों में जाकर किसानों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में जागरूक किया जाएगा.

भिवानी में 88 हजार हेक्टेयर पर कपास की फसल

कार्यशाला के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कपास एक प्रमुख खरीफ फसल है. जिले में करीब 88 हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल है. उन्होंने बताया कि कपास में मुख्य रूप से एफिड, जसिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स और दीमक नुकसान करते हैं. फिलहाल जिले में सफेद मक्खी का प्रकोप बना हुआ है.

उन्होंने बताया कि जिला में 88 हजार हेक्टेयर कपास की फसल में से करीब 30 हजार हेक्टेयर में करीब 51 से 75 प्रतिशत पर सफेद मक्खी का प्रकोप है. सफेद मक्खी केवल एक ही फसल पर नहीं रहती बल्कि विभिन्न फसलों पर जीवित रहती है. ये प्रवासी तरह का कीट है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता रहता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में प्लास्टिक वेस्ट से 83 सड़कों को अपग्रेड करेगी सरकार

सफेद मक्खी जुलाई से सितंबर महीने में अधिकत्तम नुकसान करती है. इससे कपास की पतियों का रंग काला हो जाता है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सफेद मक्खी से प्रकोप से उपाय संभव है. किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर ही दवाई का प्रयोग करना चाहिए.

सफेद मक्खी को भगाने के लिए करें ये उपाय-

  • जुलाई से अगस्त के दौरान कम लागत वाले पीले चिपचिपे जाल का प्रयोग किया जाता है, जिससे सफेद मक्खी उससे चिपक जाती है.
  • बुवाई के 70 दिन बाद तक, किसान एक इमल्शन के दो स्प्रे कर सकते हैं, जिसमें एक प्रतिशत नीम का तेल और 0.05 से 0.10 प्रतिशत कपड़े धोने का डिटर्जेंट, या निम्बीसीडीन (0.03 प्रतिशत या 300 पीपीएम) शामिल है.
  • किसानों को दो बार 15-15 दिन के अंतराल पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए.
  • किसान येल्लो स्ट्रिप का इस्तेमाल करें. इस येल्लो स्ट्रिप की ओर सफेद मक्खी आकर्षित होकर चिपक जाती है.
  • नीम की दवा को साथ मिलाकर कीटनाशक का स्प्रे किया जाए.
  • किसान विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों को मिलाकर फसल में छिड़काव ना करें.
  • कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेने के उपरांत ही अपनी फसलों में कीटनाशकों का छिड़काव करें.

कृषि विभाग के द्वारा अलग-अलग टीमें गठित करके कपास की फसल का निरीक्षण किया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में किसानों के हितों को मध्य नजर रखते हुए विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित भी किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार खरीदेगी एडवांस एंबुलेंस, सड़क हादसों में हो रही मौतों में आएगी कमी!

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.