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अंबाला: 1213 आंगनबाड़ी केंद्रों पर मंडरा रहा राशन का संकट, बच्चे भूल गए दलिया का स्वाद - अंबाला आंगनबाड़ी केंद्रों पर राशन का संकट

डेढ़ महीने से जिले भर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर राशन का संकट मंडरा रहा है. हालात ऐसे हैं कि कई जगहों पर बच्चे दलिया का स्वाद तक भूल गए हैं. क्योंकि जहां से राशन की सप्लाई होनी थी, उसके लिये टेंडर ही नहीं हुआ.

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Published : Dec 5, 2019, 1:13 PM IST

अंबाला: जिले के लगभग 1213 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे खाने को तरस रहे हैं. दरअसल डेढ़ महीने से यहां राशन का संकट मंडरा रहा है. हालात ऐसे हैं कि कई जगहों पर बच्चे दलिया का स्वाद तक भूल गए हैं. क्योंकि जहां से राशन की सप्लाई होनी थी, उसके लिये टेंडर ही नहीं हुआ.

ईटीवी भारत ने किया आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा
जब ईटीवी भारत की टीम ने अलग-अलग आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर सच जानने की कोशिश की तो लोगों ने कहा कि बच्चों को कभी मंदिरों में चल रहे भंडारे का खाना दिया जाता है, तो कभी शादी विवाह का बचा खाना या फिर कभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए समाजसेवियों द्वारा खाना पहुंचाया जाता है.

1213 आंगनबाड़ी केंद्रों पर मंडरा रहा राशन का संकट

जल्द ही किया जाएगा समस्या का समाधान
वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने ADC जगदीप ढांडा से इस मामले पर बात की उन्होंने कहा कि जैसे ही मामला मेरे संज्ञान में आया तो तुरंत DPO ने WCD डिपार्टमेंट के इंचार्ज से इस मसले पर बात की. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा.

मैन्यू के हिसाब से नहीं मिल रहा बच्चों को खाना
बता दें कि लगभग सभी आंगनबाड़ियों में 27 से 36 बच्चे पहुंच रहे हैं. इनमें पहले सबला स्कीम के तहत मूंगफली पहुंचती थी. लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. इसके बाद अलग से बच्चों को राशन दिये जाने का मैन्यू तैयार किया गया था. परंतु अब बच्चों को मैन्यू के मुताबिक भी राशन नहीं मिल पा रहा. क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्रों के पास पूरा सामान ही नहीं है. हालांकि आंगनबाड़ी वर्कर समुदाय, संस्थाओं के सहयोग से आंगनबाड़ी में बच्चों को खाना उपलब्ध करवाने में लगी हुई हैं.

ये भी पढ़ें: कश्मीर में बर्फीले तूफान की चपेट में आने से 3 जवान शहीद, हरियाणा का एक जवान भी शामिल

अंबाला: जिले के लगभग 1213 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे खाने को तरस रहे हैं. दरअसल डेढ़ महीने से यहां राशन का संकट मंडरा रहा है. हालात ऐसे हैं कि कई जगहों पर बच्चे दलिया का स्वाद तक भूल गए हैं. क्योंकि जहां से राशन की सप्लाई होनी थी, उसके लिये टेंडर ही नहीं हुआ.

ईटीवी भारत ने किया आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा
जब ईटीवी भारत की टीम ने अलग-अलग आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर सच जानने की कोशिश की तो लोगों ने कहा कि बच्चों को कभी मंदिरों में चल रहे भंडारे का खाना दिया जाता है, तो कभी शादी विवाह का बचा खाना या फिर कभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए समाजसेवियों द्वारा खाना पहुंचाया जाता है.

1213 आंगनबाड़ी केंद्रों पर मंडरा रहा राशन का संकट

जल्द ही किया जाएगा समस्या का समाधान
वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने ADC जगदीप ढांडा से इस मामले पर बात की उन्होंने कहा कि जैसे ही मामला मेरे संज्ञान में आया तो तुरंत DPO ने WCD डिपार्टमेंट के इंचार्ज से इस मसले पर बात की. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा.

मैन्यू के हिसाब से नहीं मिल रहा बच्चों को खाना
बता दें कि लगभग सभी आंगनबाड़ियों में 27 से 36 बच्चे पहुंच रहे हैं. इनमें पहले सबला स्कीम के तहत मूंगफली पहुंचती थी. लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. इसके बाद अलग से बच्चों को राशन दिये जाने का मैन्यू तैयार किया गया था. परंतु अब बच्चों को मैन्यू के मुताबिक भी राशन नहीं मिल पा रहा. क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्रों के पास पूरा सामान ही नहीं है. हालांकि आंगनबाड़ी वर्कर समुदाय, संस्थाओं के सहयोग से आंगनबाड़ी में बच्चों को खाना उपलब्ध करवाने में लगी हुई हैं.

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Intro: - अम्बाला की लगभग 1213 आंगनवाड़ी केंद्रों पर आजकल छोटे बच्चों के खाने के लिए राशन का संकट मंडरा रहा है , एक लम्बे समय से यहाँ पर प्रशासन द्वारा राशन उपलब्ध नहीं करवाया जिसके कारन आंगन वाड़ी कार्यकर्त्ता बच्चों को कभी मंदिरों में होनेवाले भंडारों से तो कभी आसपास की धर्मशालाओं में होने वाली शादियों का बचा खुचा खाना खिलाने के लिए मज़बूर हैं ,इसके अलावा इन कार्यकर्ताओं ने बताय की जब से खाना नहीं मिल पता तो वो लोग किसी न किसी समाजसेवी संस्थाओं से खाना लेकर बच्चों के लिए खाने का इंतज़ाम करते हैं। आखिर ये प्रशासन का बच्चों ज़िंदगी और स्वास्थ से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है ? आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा खाने की इस समस्या को लेकर प्रशासन को बताने के बाद भी आखिर प्रशासन क्यों इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा ? क्या प्रशासन किसी अनहोनी का इंतज़ार कर रहा है ?Body:- जब हमने कुछ आंगनवाड़ी कार्यकताओं से अम्बाला की अलग - अलग आंगन वाडियों में जाकर सच जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया की यहाँ पर उनके पास आने वाले 3 साल तक के बच्चों को हालांकि उनके द्वारा उनकी उम्र के अनुसार सभी प्रकार की शिक्षा और मनोरंजन के अलावा सरकारी मेन्यू के अनुसार खाना भी दिया जाता है लेकिन काफी दिनों आंगनवाड़ियों में राशन न आने की वजह से उनको बच्चो के खाने के लिए मंदिरों के भंडारों ,आसपास की धर्मशालाओं में ठहरने वाली बारातों के खाने पर और समाजसेवी लोगों के ऊपर निर्भर रहना पड रहा है क्योंकि उनके पास प्रशासन के द्वारा बच्चों के खाने के राशन नहीं आ रहा।

BYTE -1 सुनीता , आंगनवाड़ी वर्कर
BYTE-2 गीता , आंगन वाड़ी वर्कर
BYTE-3 आंगनवाड़ी वर्कर


वीओ- जब हमने अम्बाला के ADC जगदीप ढांडा से इस मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने बताया की जैसी ही मेरे संज्ञान में ये मामला आया था तो मैंने तुरंत ही DPO जो WCD डिपार्टमेंट इस मामले की इंचार्ज होती हैं मैंने उनसे इस मामले में जब बातचीत की तो उन्होंने मुझे बताया था की आंगनवाड़ी केंद्रों में कुछ आइटम्स नहीं हैं लेकिन बाकी सभी ज़रुरत की आइटम्स आंगनवाड़ी केंद्रों में उपलब्ध हैं। ADC जगदीप ढांडा ने बतया की इस राशन के लिए मैं 19 नवम्बर को अप्रूवल दे चूका हूँ और अभी तक टेंडर फाइनल न होने की वजह से ये दिक्कत आई है लेकिन हमने फिलहाल ३ महीने के लिए पुराने टेंडर्स वालों से ही राशन लेने का निर्णय लेकर राशन माँगा लिया है और जल्दी ही बच्चो तक उचित राशन पहुँचाया जा सकेगा।

BYTE - 4 जगदीप ढांडा ADC , अम्बाला। Conclusion:- अब सवाल ये उठता है की आखिर कितने दिन तक और बच्चों को मंदिरों के भंडारों और शादिओं के खानो पर निर्भर रहना पड़ेगा 19 नवंबर को जब राशन के लिए सेक्शन मिल चुकी थी तो DPO ने आखिर बच्चों के लिए आज ३ दिसंबर तक राशन क्यों नहीं खरीदा ? आखिर इस देरी के पीछे उनकी क्या मंशा है ? वो क्यों इतनी लापरवाही दिखा रही हैं ?
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