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नारायणगढ़ विधानसभा सीट: 2014 में पहली बार खिला था यहां कमल, जानिए क्या हैं इस बार समीकरण?

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. इस कार्यक्रम में हम आपको हरियाणा की हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे नारायणगढ़ विधानसभा सीट की.

narayangarh constituency
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Published : Oct 14, 2019, 8:03 AM IST

अंबाला: नारायणगढ़ विधानसभा सीट हरियाणा की महत्‍वपूर्ण सीटों में से एक है. अंबाला जिले में आने वाला ये विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से 2014 में चर्चित हुआ था जब पहली भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी. इससे पहले यहां बीजेपी उम्मीदवार का जीतना तो दूर वो दूसरे स्थान तक भी नहीं पहुंचे थे.

नारायणगढ़ विधानसभा सीट
फाइल फोटो.

गुर्जर नेताओं का रहा दबदबा
नारायणगढ़ विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा असर जाट मतदाताओं का रहता है. हालांकि इस सीट पर दबदबा गुर्जर समुदाय के नेताओं का रहा है. हरियाणा के गठन के बाद यहां अब तक हुए 12 चुनावों में सात बार गुर्जर समुदाय के व्यक्ति विधायक बने हैं. गुर्जर के अलावा राजपूत, सैनी और पंजाबी समुदाय के व्यक्ति भी यहां से विधायक बनते रहे हैं. 1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह जीत दर्ज की थी. लाल सिंह गुर्जर समुदाय से ताल्लुख रखते थे. 1968 के चुनाव एक फिर यहां से कांग्रेस के टिकट पर लाल सिंह ही विधायक बने थे. 1972 में फिर यहां से कांग्रेस को कामयाबी हाथ लगी जब पार्टी के उम्मीदवार जगजीत सिंह ने जीत का परचम लहराया.

रामकिशन गुज्जर.
रामकिशन गुर्जर.

1977 के चुनाव में कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ते हुए पुराने कांग्रेसी नेता लाल सिंह ने यहां से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के जगजीत सिंह शिकस्त दी थी. 1982 के चुनाव में लाल सिंह ने 1977 के प्रदर्शन को दोहराया और फिर कांग्रेस के जगजीत सिंह को हराया. हालांकि 1982 का चुनाव लाल सिंह ने निर्दलीय के तौर पर जीता था. 1987 के चुनाव में यहां से निर्दलीय जगपाल सिंह ने जीत का परचम लहराया. 1991 में बहुजन समाज पार्टी के सुरजीत कुमार ने जीत दर्ज की थी. 1996 में हविपा के राजकुमार यहां से विधायक चुने गए थे. साल 2000 के चुनाव में यहां से लोकदल के उम्मीदवार पवन कुमार ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे लाल सिंह हराया था.

रामकिशन गुज्जर
रामकिशन गुज्जर चुनाव जीतने के बाद.

33 साल बाद हुई कांग्रेस की वापसी
2005 के चुनाव में नारायणगढ़ सीट पर 33 साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा. रामकिशन गुर्जर ने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लगातार 10 साल तक यहां अपना दबदबा बनाए रखा. रामकिशन गुर्जर यहां से चार बार विधायक बनने वाले लाल सिंह के बेटे हैं. 1972 के बाद से कांग्रेस पार्टी यहां जीत के लिए तरस गई थी जिसे 2005 और 2009 में रामकिशन ने हासिल किया. 2009 में लगातार दूसरी जीत के बाद 2014 में भी उन्होंने कांग्रेस की टिकट हासिल की लेकिन इस बार वो जीत नहीं पाए और पहली बार नारायणगढ़ सीट पर साल 2014 में कमल खिला.

नायब सैनी
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ नायब सैनी.

मोदी लहर में सैनी ने खिलाया कमल
साल 2014 में नारायणगढ़ का चुनाव बहुत सी अन्य सीटों की तरह मोदी लहर में बहने वाला चुनाव था. यहां भाजपा की टिकट पर उतरे नायब सिंह को लोगों ने 40 फ़ीसदी वोट देकर विधायक बनाया. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे. पहली एस सीट पर बीजेपी का परचम लहराया था.

नायब सैनी.
नायब सैनी.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में नारायणगढ़ में कुल 1,69,556 मतदाता थे जिसमें से 1,40,556 लोगों ने मतदान किया था. नारायणगढ़ में कुल 82.89 प्रतिशत मतदान हुआ था और ये उन विधानसभा सीटों में से एक थी जहां 2014 के चुनाव में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था. यहां बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के रामकिशन गुर्जर को हराया था. सैनी को 55,931 वोट मिले थे और गुर्जर को 31,570 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर बसपा के राम सिंह कोडवा रहे थे. इनेलो उम्मीदवार जगमाल सिंह 16,836 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे.

नारायणगढ़ का इतिहास
नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र हिमाचल प्रदेश से सटा हुआ है. पर्यटन के मामले में हरियाणा का यह महत्‍पूवर्ण क्षेत्र है. मान्‍यता है कि इस जगह का नाम भगवान नारायण के नाम पर रखा गया है. माना जाता है कि यह भगवान नारायण का गढ़ भी है इसीलिए इस जगह का नाम नारायणगढ़ पड़ गया. यहां बने ऐतिहासिक नारायण देवता के मंदिर और किले को तत्‍कालीन सिरमुर के राजा ने बनवाया था. वर्तमान में किले को तहसील के दफ्तर में तब्‍दील कर दिया गया है. इसी किले में पुलिस स्‍टेशन भी बना दिया गया है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में पयर्टक घूमने पहुंचते हैं.

हरियाणा चुनाव
कांसेप्ट इमेज.

क्या हैं 2019 के समीकरण?
नारायणगढ़ में एक बार फिर से मुख्य मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, के बीच होगा. 2014 में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनी थी. हलके ने राजनीति और विकास को लेकर कई उतार चढ़ाव देखे हैं. पिछले 5 साल में भाजपा ने इस हलके में अपनी अच्छी ताकत और पहचान बना ली है. लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी उम्मीदवार को यहां मिली लीड, मोदी लहर, मनोहर सरकार द्वारा करवाए गए विकास कार्य, ये सभी बातें भाजपा को कुछ न कुछ मजबूती तो दे ही रही हैं.

हरियाणा चुनाव
कांसेप्ट इमेज.

2019 में मतदाता

  • कुल मतदाता- 1,82,142
  • पुरुष- 97,653
  • महिला- 84,487
  • ट्रांसजेंडर- 2


2019 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी

  • कांग्रेस- शैली चौधरी
  • बीजेपी- सुरेंद्र सिंह
  • इनेलो- जगमाल सिंह
  • जजपा- राम सिंह


कब कौन रहा विधायक?

  • 1967 में कांग्रेस के लाल सिंह
  • 1968 में कांग्रेस के लाल सिंह
  • 1972 में कांग्रेस के जगजीत सिंह
  • 1977 में जनता पार्टी के लाल सिंह
  • 1982 में निर्दलीय लाल सिंह
  • 1987 में निर्दलीय जगपाल सिंह
  • 1991 में बसपा के सुरजीत कुमार
  • 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के राजकुमार
  • 2000 में इनेलो के पवन कुमार
  • 2005 में कांग्रेस के रामकिशन
  • 2009 में कांग्रेस के रामकिशन
  • 2014 में बीजेपी के नायब सैनी

अंबाला: नारायणगढ़ विधानसभा सीट हरियाणा की महत्‍वपूर्ण सीटों में से एक है. अंबाला जिले में आने वाला ये विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से 2014 में चर्चित हुआ था जब पहली भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी. इससे पहले यहां बीजेपी उम्मीदवार का जीतना तो दूर वो दूसरे स्थान तक भी नहीं पहुंचे थे.

नारायणगढ़ विधानसभा सीट
फाइल फोटो.

गुर्जर नेताओं का रहा दबदबा
नारायणगढ़ विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा असर जाट मतदाताओं का रहता है. हालांकि इस सीट पर दबदबा गुर्जर समुदाय के नेताओं का रहा है. हरियाणा के गठन के बाद यहां अब तक हुए 12 चुनावों में सात बार गुर्जर समुदाय के व्यक्ति विधायक बने हैं. गुर्जर के अलावा राजपूत, सैनी और पंजाबी समुदाय के व्यक्ति भी यहां से विधायक बनते रहे हैं. 1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह जीत दर्ज की थी. लाल सिंह गुर्जर समुदाय से ताल्लुख रखते थे. 1968 के चुनाव एक फिर यहां से कांग्रेस के टिकट पर लाल सिंह ही विधायक बने थे. 1972 में फिर यहां से कांग्रेस को कामयाबी हाथ लगी जब पार्टी के उम्मीदवार जगजीत सिंह ने जीत का परचम लहराया.

रामकिशन गुज्जर.
रामकिशन गुर्जर.

1977 के चुनाव में कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ते हुए पुराने कांग्रेसी नेता लाल सिंह ने यहां से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के जगजीत सिंह शिकस्त दी थी. 1982 के चुनाव में लाल सिंह ने 1977 के प्रदर्शन को दोहराया और फिर कांग्रेस के जगजीत सिंह को हराया. हालांकि 1982 का चुनाव लाल सिंह ने निर्दलीय के तौर पर जीता था. 1987 के चुनाव में यहां से निर्दलीय जगपाल सिंह ने जीत का परचम लहराया. 1991 में बहुजन समाज पार्टी के सुरजीत कुमार ने जीत दर्ज की थी. 1996 में हविपा के राजकुमार यहां से विधायक चुने गए थे. साल 2000 के चुनाव में यहां से लोकदल के उम्मीदवार पवन कुमार ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे लाल सिंह हराया था.

रामकिशन गुज्जर
रामकिशन गुज्जर चुनाव जीतने के बाद.

33 साल बाद हुई कांग्रेस की वापसी
2005 के चुनाव में नारायणगढ़ सीट पर 33 साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा. रामकिशन गुर्जर ने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लगातार 10 साल तक यहां अपना दबदबा बनाए रखा. रामकिशन गुर्जर यहां से चार बार विधायक बनने वाले लाल सिंह के बेटे हैं. 1972 के बाद से कांग्रेस पार्टी यहां जीत के लिए तरस गई थी जिसे 2005 और 2009 में रामकिशन ने हासिल किया. 2009 में लगातार दूसरी जीत के बाद 2014 में भी उन्होंने कांग्रेस की टिकट हासिल की लेकिन इस बार वो जीत नहीं पाए और पहली बार नारायणगढ़ सीट पर साल 2014 में कमल खिला.

नायब सैनी
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ नायब सैनी.

मोदी लहर में सैनी ने खिलाया कमल
साल 2014 में नारायणगढ़ का चुनाव बहुत सी अन्य सीटों की तरह मोदी लहर में बहने वाला चुनाव था. यहां भाजपा की टिकट पर उतरे नायब सिंह को लोगों ने 40 फ़ीसदी वोट देकर विधायक बनाया. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे. पहली एस सीट पर बीजेपी का परचम लहराया था.

नायब सैनी.
नायब सैनी.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में नारायणगढ़ में कुल 1,69,556 मतदाता थे जिसमें से 1,40,556 लोगों ने मतदान किया था. नारायणगढ़ में कुल 82.89 प्रतिशत मतदान हुआ था और ये उन विधानसभा सीटों में से एक थी जहां 2014 के चुनाव में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था. यहां बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के रामकिशन गुर्जर को हराया था. सैनी को 55,931 वोट मिले थे और गुर्जर को 31,570 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर बसपा के राम सिंह कोडवा रहे थे. इनेलो उम्मीदवार जगमाल सिंह 16,836 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे.

नारायणगढ़ का इतिहास
नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र हिमाचल प्रदेश से सटा हुआ है. पर्यटन के मामले में हरियाणा का यह महत्‍पूवर्ण क्षेत्र है. मान्‍यता है कि इस जगह का नाम भगवान नारायण के नाम पर रखा गया है. माना जाता है कि यह भगवान नारायण का गढ़ भी है इसीलिए इस जगह का नाम नारायणगढ़ पड़ गया. यहां बने ऐतिहासिक नारायण देवता के मंदिर और किले को तत्‍कालीन सिरमुर के राजा ने बनवाया था. वर्तमान में किले को तहसील के दफ्तर में तब्‍दील कर दिया गया है. इसी किले में पुलिस स्‍टेशन भी बना दिया गया है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में पयर्टक घूमने पहुंचते हैं.

हरियाणा चुनाव
कांसेप्ट इमेज.

क्या हैं 2019 के समीकरण?
नारायणगढ़ में एक बार फिर से मुख्य मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, के बीच होगा. 2014 में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनी थी. हलके ने राजनीति और विकास को लेकर कई उतार चढ़ाव देखे हैं. पिछले 5 साल में भाजपा ने इस हलके में अपनी अच्छी ताकत और पहचान बना ली है. लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी उम्मीदवार को यहां मिली लीड, मोदी लहर, मनोहर सरकार द्वारा करवाए गए विकास कार्य, ये सभी बातें भाजपा को कुछ न कुछ मजबूती तो दे ही रही हैं.

हरियाणा चुनाव
कांसेप्ट इमेज.

2019 में मतदाता

  • कुल मतदाता- 1,82,142
  • पुरुष- 97,653
  • महिला- 84,487
  • ट्रांसजेंडर- 2


2019 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी

  • कांग्रेस- शैली चौधरी
  • बीजेपी- सुरेंद्र सिंह
  • इनेलो- जगमाल सिंह
  • जजपा- राम सिंह


कब कौन रहा विधायक?

  • 1967 में कांग्रेस के लाल सिंह
  • 1968 में कांग्रेस के लाल सिंह
  • 1972 में कांग्रेस के जगजीत सिंह
  • 1977 में जनता पार्टी के लाल सिंह
  • 1982 में निर्दलीय लाल सिंह
  • 1987 में निर्दलीय जगपाल सिंह
  • 1991 में बसपा के सुरजीत कुमार
  • 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के राजकुमार
  • 2000 में इनेलो के पवन कुमार
  • 2005 में कांग्रेस के रामकिशन
  • 2009 में कांग्रेस के रामकिशन
  • 2014 में बीजेपी के नायब सैनी
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नारायणगढ़ विधानसभा सीट: 2014 में पहली बार खिला था यहां कमल, जानिए क्या हैं इस बार समीकरण



ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. इस कार्यक्रम में हम आपको हरियाणा की हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे नारायणगढ़ विधानसभा सीट की.



अंबाला: नारायणगढ़ विधानसभा सीट हरियाणा की महत्‍वपूर्ण सीटों में से एक है. अंबाला जिले में आने वाला ये विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से 2014 में चर्चित हुआ था जब पहली भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी. इससे पहले यहां बीजेपी उम्मीदवार का जीतना तो दूर वो दूसरे स्थान तक भी नहीं पहुंचे थे.

गुज्जर नेताओं का रहा दबदबा

नारायणगढ़ विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा असर जाट मतदाताओं का रहता है. हालांकि इस सीट पर दबदबा गुज्जर समुदाय के नेताओं का रहा है. हरियाणा के गठन के बाद यहां अब तक हुए 12 चुनावों में सात बार गुज्जर समुदाय के व्यक्ति विधायक बने हैं. गुज्जर के अलावा राजपूत, सैनी और पंजाबी समुदाय के व्यक्ति भी यहां से विधायक बनते रहे हैं.

1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह जीत दर्ज की थी. लाल सिंह गुज्जर समुदाय से ताल्लुख रखते थे. 1968 के चुनाव एक फिर यहां से कांग्रेस के टिकट पर लाल सिंह ही विधायक बने थे. 1972 में फिर यहां से कांग्रेस को कामयाबी हाथ लगी जब पार्टी के उम्मीदवार जगजीत सिंह ने जीत का परचम लहराया.

1977 के चुनाव में कांग्रेस की जीत का सिलसिला तोड़ते हुए पुराने कांग्रेसी नेता लाल सिंह ने यहां से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था. उन्होंने कांग्रेस के जगजीत सिंह शिकस्त दी थी. 1982 के चुनाव में लाल सिंह ने 1977 के प्रदर्शन को दोहराया और फिर कांग्रेस के जगजीत सिंह को हराया. हालांकि 1982 का चुनाव लाल सिंह ने निर्दलीय के तौर पर जीता था.

1987 के चुनाव में यहां से निर्दलीय जगपाल सिंह ने जीत का परचम लहराया. 1991 में बहुजन समाज पार्टी के सुरजीत कुमार ने जीत दर्ज की थी. 1996 में हविपा के राजकुमार यहां से विधायक चुने गए थे. साल 2000 के चुनाव में यहां से लोकदल के उम्मीदवार पवन कुमार ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे लाल सिंह हराया था.

33 साल बाद हुई कांग्रेस की वापसी

2005 के चुनाव में नारायणगढ़ सीट पर 33 साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा. रामकिशन गुज्जर ने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लगातार 10 साल तक यहां अपना दबदबा बनाए रखा. रामकिशन गुज्जर यहां से चार बार विधायक बनने वाले लाल सिंह के बेटे हैं. 1972 के बाद से कांग्रेस पार्टी यहां जीत के लिए तरस गई थी जिसे 2005 और 2009 में रामकिशन ने हासिल किया. 2009 में लगातार दूसरी जीत के बाद 2014 में भी उन्होंने कांग्रेस की टिकट हासिल की लेकिन इस बार वो जीत नहीं पाए और पहली बार नारायणगढ़ सीट पर साल 2014 में कमल खिला.

मोदी लहर में सैनी ने खिलाया कमल

साल 2014 में नारायणगढ़ का चुनाव बहुत सी अन्य सीटों की तरह मोदी लहर में बहने वाला चुनाव था. यहां भाजपा की टिकट पर उतरे नायब सिंह को लोगों ने 40 फ़ीसदी वोट देकर विधायक बनाया. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे. पहली एस सीट पर बीजेपी का परचम लहराया था.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम

2014 के चुनाव में नारायणगढ़ में कुल 1,69,556 मतदाता थे जिसमें से 1,40,556 लोगों ने मतदान किया था. नारायणगढ़ में कुल 82.89 प्रतिशत मतदान हुआ था और ये उन विधानसभा सीटों में से एक थी जहां 2014 के चुनाव में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था. यहां बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के रामकिशन गुज्जर को हराया था. सैनी को 55,931 वोट मिले थे और गुज्जर को 31,570 वोट प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर बसपा के राम सिंह कोडवा रहे थे. इनेलो उम्मीदवार जगमाल सिंह 16,836 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे. 

नारायणगढ़ का इतिहास

नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र हिमाचल प्रदेश से सटा हुआ है. पर्यटन के मामले में हरियाणा का यह महत्‍पूवर्ण क्षेत्र है. मान्‍यता है कि इस जगह का नाम भगवान नारायण के नाम पर रखा गया है. माना जाता है कि यह भगवान नारायण का गढ़ भी है इसीलिए इस जगह का नाम नारायणगढ़ पड़ गया. यहां बने ऐतिहासिक नारायण देवता के मंदिर और किले को तत्‍कालीन सिरमुर के राजा ने बनवाया था. वर्तमान में किले को तहसील के दफ्तर में तब्‍दील कर दिया गया है. इसी किले में पुलिस स्‍टेशन भी बना दिया गया है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्‍या में पयर्टक घूमने पहुंचते हैं.

क्या हैं 2019 के समीकरण?

नारायणगढ़ में एक बार फिर से मुख्य मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, के बीच होगा. 2014 में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनी थी. हलके ने राजनीति और विकास को लेकर कई उतार चढ़ाव देखे हैं. पिछले 5 साल में भाजपा ने इस हलके में अपनी अच्छी ताकत और पहचान बना ली है. लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी उम्मीदवार को यहां मिली लीड, मोदी लहर, मनोहर सरकार द्वारा करवाए गए विकास कार्य, ये सभी बातें भाजपा को कुछ न कुछ मजबूती तो दे ही रही हैं.

2019 में मतदाता 

कुल मतदाता- 1,82,142

पुरुष- 97,653

महिला- 84,487

ट्रांसजेंडर- 2

2019 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी

कांग्रेस- शैली

बीजेपी- सुरेंद्र सिंह

इनेलो- जगमाल सिंह

जजपा- राम सिंह

कब कौन रहा विधायक?

1967 में कांग्रेस के लाल सिंह

1968 में कांग्रेस के लाल सिंह 

1972 में कांग्रेस के जगजीत सिंह

1977 में जनता पार्टी के लाल सिंह 

1982 में निर्दलीय लाल सिंह

1987 में निर्दलीय जगपाल सिंह

1991 में बसपा के सुरजीत कुमार

1996 में हरियाणा विकास पार्टी के राजकुमार

2000 में इनेलो के पवन कुमार 

2005 में कांग्रेस के रामकिशन

2009 में कांग्रेस के रामकिशन

2014 में बीजेपी के नायब सैनी


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