अंबाला: हरियाणा के अंबाला में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है. अंबाला में हुए 500 टेस्ट में से 7 लोगों में डेंगू पाया गया है. वहीं, अंबाला का एक व्यक्ति जो दिल्ली में डेंगू की चपेट में आया था उसकी मोहाली मैक्स हॉस्पिटल में मौत हो गयी. इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग ने हिमाचल में पाए जा रहे स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Himachal) के मामलों से भी अलर्ट रहने की सलाह दी है.
पड़ोसी राज्यों में पाए जा रहे डेंगू और स्क्रब टाइफस के मामलों ने हरियाणा स्वास्थ्य विभाग (Haryana Health Department) की चिंताएं बढ़ा दी है. हिमाचल में स्क्रब टाइफस के मामले सामने आए हैं तो वहीं दिल्ली में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं. दोनों के लक्ष्ण लगभग एक जैसे हैं और स्क्रब टाइफस काफी खतरनाक है. डेंगू के कारण दिल्ली में नौकरी कर रहे अंबाला के 36 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गयी. जिसके बाद अंबाला में स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है. स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग बढ़ाई है और लार्वा टेस्ट के लिए टीमों को इलाकों में भेजा जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग का कहना है अंबाला में अब तक डेंगू के 7 मामले सामने आए हैं. डेंगू पर काबू पाने के लिए विभिन्न इलाकों में फॉगिंग करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में लार्वा मिल रहा है, उन्हें नोटिस दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है डेंगू के साथ-साथ स्क्रब टाइफस से भी सतर्क रहना है. डेंगू दिल्ली में फैल रहा है तो स्क्रब टाइफस के मामले पड़ोसी राज्य हिमाचल में पाए गए हैं.
डेंगू क्या है: डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार (Dengue Fever) को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है. हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं.
जब डेंगू का संक्रमण (symptoms of dengue) गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है. अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है. डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है. सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं.
इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें
- मतली-उल्टी आना, तेज बुखार आना.
- कमजोरी महसूस होना.
- पेट की खराबी या पेट में दिक्कतें पैदा होना.
- सिरदर्द होना.
- मांसपेशियों में दर्द होना.
- हड्डी या जोड़ों में दर्द होना.
- आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द होना.
- त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते या लाल रंग के दाने होना.
डेंगू से बचाव
- डेंगू के मच्छर सुबह या शाम को अधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए ऐसे समय में बाहर निकलने से बचे. यदि बाहर जाना ही हो या बच्चे खेलने के लिए जा रहे हों तो ऐसे कपड़े पहने जिनसे शरीर पूरी तरह से ढका हो.
- यदि संभव हो घर के अंदर तथा आसपास फॉगिंग या ऐसे कीटनाशक का स्प्रे करें या करवाएं जिससे मच्छर कम हो जाएं.
- यदि घर में काफी पेड़पौधे लगे हों या घर के आसपास लंबी घास हो वहां कीटनाशक स्प्रे जरूर कराना चाहिए. यदि संभव हो तो घर के आसपास की घास को कटवा देना चाहिए.
- अपने घर में या घर के आसपास पानी इकट्ठा ना होने दें. यदि घर के आसपास खुली नालियां हैं तो उनकी साफ सफाई कराएं. किसी भी बर्तन में पानी खुला ना छोड़े, पानी को ढक कर रखें. विशेषकर कूलर का पानी बदलते रहें.