अंबाला: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. बहनें भाई की सुरक्षा और समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं. अगर बात करें व्यापारियों की तो रक्षाबंधन के समय हर व्यापारी अच्छी खासी कमाई करते हैं. कई व्यापारी तो पहले से ही अपनी दुकानों पर माल जमा करके रखते हैं ताकि त्यौहार के वक्त किसी भी चीज की कमी ना आए.
राखियों की सेल में आई भारी गिरावट
ईटीवी भारत की टीम ने अंबाला शहर में राखी के होलसेल और रिटेलर विक्रेताओं से बातचीत की. होलसेल के विक्रताओं ने बताया कि इस बार जो हालात हमारे हैं ऐसे हालात हमनें अपने पूरे जीवन काल में नहीं देखे. जितना सामान हमारी दुकानों में भरा पड़ा है उसका सिर्फ 2 तिहाई सामान ही बिका है. उन्होंने बताया कि कोरोना के खौफ के चलते आमजन राखी खरीदने नहीं आ रहे. जो थोड़ी बहुत सेल हो रही है वो ऑनलाइन के जरिए यानी फेसबुक और वाट्सऐप के माध्यम से हो रही है.
लेफ्ट-राइट दुकानें खुलने से नुकसान
उन्होंने कहा कि हमारी दुकानदारी पर कोरोना का बहुत बुरा असर पड़ रहा है. कभी लेफ्ट-राइट तो कभी हफ्ते में तीन और दो दिन दुकानें बंद रहने की वजह से जो खरीददारी करने का इच्छुक ग्राहक भी हैं वो भी नहीं आ पा रहे. उन्होंने बताया कि आलम ये है कि हमें खुद भी कुछ नहीं पता होता कि कल हमारी दुकान खुल पाएगी या नहीं. कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. जिसके चलते आसपास का इलाका भी सील हो जाता है.
बस यही डर सताता है कि कोई कोरोना संक्रमित हमारे इलाके से ना आ जाए. उन्होंने जिला प्रशासन पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि उनसे हमारी एक ही अपील है कि हमारी दुकान की चाबियां अपने पास रखलें और हमें तनख्वाह दे दें. ताकि हम अपना घर चला सके.
वहीं होलसेल की दुकानों पर राखी खरीदने आए रिटेलर विक्रेताओं ने बताया कि इस बार जैसे हालात हैं भगवान कभी दोबारा ये मंजर ना दिखाए. उन्होंने बताया कि पहले 50,000 से लेकर 1 लाख तक राखी की खरीददारी करते थे और महंगी से महंगी राखी खरीदते थे. इतना ही नहीं वो राखी ग्राहक भी शौक से खरीदता था, लेकिन इस बार 5 से 10 हजार तक की ही राखियां खरीद रहे हैं. क्योंकि चाहे हालात कैसे भी हो त्यौहार का थोड़ा बहुत सामान तो रखना ही पड़ता है.
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