अंबाला: पांच जिलों की आशा वर्कर्स ने गुरुवार को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निवास के बाहर रोष प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए. आशा वर्कर्स का कहना है कि उनकी कोई नई मांग नहीं है बल्कि सरकार उनकी मांगों को बार-बार टाल रही है.
आशा वर्कर्स यूनियन की राष्ट्रीय उप सचिव सुनीता का कहना है कि आशा वर्करों को पक्का किया जाए और उनका न्यूनतम वेतन दिया जाए और सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ भी दिए जाए. उनका कहना है कि एक्टिविटी का काटा गया 50 प्रतिशत वेतन तुरंत लागू किया जाए और कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये भी दिया जाएं.
उन्होंने कहा कि उन्हें एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का 50 प्रतिशत अलग से दिया जाए. गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के पैनल अस्पतालों में इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए. ग्राम स्तरीय आशाओं को स्थाई कर्मचारी बनाया जाए और जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतनमान उन्हें दिया जाए.
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उन्होंने कहा कि इसके साथ ही महंगाई भत्ते भी इसमें जोड़े जाएं और एसआईपीएफ की भी सुविधाएं देने के साथ-साथ हेल्थ वर्कर का दर्जा भी दिया जाए. आशा वर्कर्स का कहना है कि 2018 के नोटिफिकेशन के सभी निर्णय को तुरंत लागू किया जाए और 10वीं से कम पढ़ी हुई किसी भी आशा वर्कर की छंटनी ना की जाए और उनकी रिटायरमेंट की उम्र भी 65 साल की जाए.
आशा वर्कर की प्रधान अंजू वर्मा ने आज स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मिलकर अपनी सारी मांगों को विस्तार से रखा जिस पर मंत्री विज ने उन्हें 15 दिन बाद आने का आश्वासन दिया और कहा कि वे उनकी इन मांगों पर भी शांतिपूर्ण विचार करेंगे.
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