अंबाला: कोरोना के खिलाफ दुनिया भर के वैज्ञानिक इसकी दवाई बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन क्या ऐसा संभव है कि कोरोना से संक्रमित मरीज महज 24 घंटे में ही ठीक हो जाए? ये सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि ऐसा मामला हरियाणा के अंबाला से सामने आया है. जहां 24 घंटे में 4 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आते हैं और इनमें से कोई एक नहीं बल्कि सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की अगले 24 घंटे में ही रिपोर्ट नेगेटिव भी आ जाती है और वो भी बिना किसी ट्रीटमेंट के.
ये बात सुनकर शायद आप हैरान होंगे और आपके जहन में कई सवाल भी उठ रहे होंगे. क्योंकि ऐसे ही कई सवाल हमारे दिमाग में भी उठे थे. जिसके बाद हमने इस मामले की पड़ताल करने का फैसला लिया. मामले की पड़ताल हमने शुरू की तो अंबाला के CMO से जाना कि आखिर इन 4 लोगों को ऐसी कौन सी दवा उन्होंने दी कि ये चारों कोरोना पॉजिटिव महज 24 घंटे में ही ठीक हो गए. तो CMO का जवाब चौंकाने वाला था कि इन्हें किसी तरह का इलाज नहीं दिया गया था.
कोरोना जांच करने वाली लैब सवालों के घेरे में
इसके बाद हमने मामले की और तह तक जाने की कोशिश की तो केंद्र सरकार द्वारा अप्रूव की गई SRL नाम की लैब (जो कोरोना सैंपल्स की जांच कर रही है) सवालों के घेरे में आ गई. ये लैब सवालों के घेरे में इसलिए आ गई क्योंकि ये चार कोरोना पॉजिटिव जिनकी रिपोर्ट महज 24 घंटे में ही नेगेटिव आ गई उनके सैंपल स्वास्थ्य विभाग ने 24 घंटे के अंदर ही अपनी अलग अलग सरकारी लैब्स में भेज दिए थ. जहां ये सभी नेगेटिव पाए गए.
अनिल विज ने दिए जांच के आदेश, टेस्ट करने पर रोक लगाई
मामला बेहद गंभीर था और खुद हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के गृह जिले से जुड़ा था तो हमने सीधे अनिल विज से भी बात की. जिसके बाद अनिल विज ने भी माना कि बिना किसी इलाज के ये चारों लोग ठीक हो गए ऐसा संभव नहीं है.
ऐसे में अनिल विज ने इस केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए और कोई खामी मिलने पर कार्रवाई की बात भी कही. इतना ही नहीं अनिल विज ने फिलहाल इस लैब में सैंपल्स भेजे जाने पर भी रोक लगा दी है.
जांच के बाद कार्रवाई
अनिल विज ने मामले में जांच के आदेश दिए तो स्वास्थ्य विभाग ने अंबाला के CMO को इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया. जिसके बाद अब CMO अंबाला हेल्थ एक्सपर्ट, टेक्निकल सहित कई अन्य पहलुओं पर जांच की बात कह रहे हैं.
कोरोना महामारी की चपेट में जब कोई व्यक्ति आता है तो उसके आसपास के इलाके में और उसके संपर्क में आने वाले लोगों में भय का माहौल बन जाता है. क्यूंकि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के इलाके को प्रोटोकॉल के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्वरांटाइन किया जाता है और उसके संपर्क में आने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में रखा जाता है. लेकिन जब इस तरह गलत रिपोर्ट्स सामने आती हैं तो कहीं न कहीं विभाग का समय तो खराब होता ही है. साथ ही लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
फिलहाल इस मामले में देखने वाली बात अब यही है कि जांच में आखिर गलती किसकी निकलती है? कि आखिर कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सैंपल जब 24 घंटे के अंदर सरकार लैब्स में भेजे गए तो वो नेगेटिव कैसे आ गए?
ये भी पढ़ें- फरीदाबादः कुम्हारों पर भी लॉकडाउन की मार, ठप हुआ मटके का कारोबार