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लॉकडाउन की वजह से अंबाला में अस्थियों को विसर्जन करने का इंतजार कर रहे परिजन

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Published : Apr 16, 2020, 11:37 AM IST

प्रदेश में लॉकडाउन का असर अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा है. जिला के सभी शमशान घाट में अस्थियां रखने वाले सभी लॉकर फुल पड़े हुए हैं मृतकों के परिजनों को अस्थियां विसर्जन करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. शमशान घाट फुल होने के कारण परिजनों को अस्थियां दीवार पर टांगनी पड़ रही है.

Ambala: impact of the lockdown on the bones immersion
अंबाला: अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा लॉकडाउन का असर

अंबाला: देश और प्रदेश में लॉकडाउन का असर अब मृतकों की अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा है. जिला के सभी शमशान घाट में अस्थियां रखने वाले सभी लॉकर फुल पड़े हुए हैं. बताया जा रहा है कि शमशान घाट में अनुमति नहीं मिल पाने के कारण मृतकों के परिजनों को अस्थियां विसर्जन करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. शमशान घाट फुल होने के कारण परिजनों को अस्थियां दीवार पर टांगनी पड़ रही है.

23 मार्च से लॉकडाउन के कारण जिला में मृतकों की करीब सौ अस्थियां विसर्जन के इंताजर में हैं. बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते मृतकों के परिजनों को अपने दिवंगत की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. जिला के विभिन्न शमशान घाट की अस्थियां रखने वाले लॉकर लगभग फुल हो चुके हैं. और मृतक के परिजनों को मजबूरन अस्थियों को रामबाग के अस्थियों वाले कमरे की दीवार पर कुण्डी के सहारे लटकाना पड़ रहा है.

अंबाला: अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा लॉकडाउन का असर

अंबाला छावनी के रामबाग में करीबन 36 और शहर के गोबिंद पूरी में 35 लॉकर फुल हो चुके हैं और इतनी ही संख्या में अस्थियां दीवार के साथ कुण्डी लगा कर टांगी गई हैं. शहर के गोबिंदपुरी स्थित शमशानघाट के प्रधान एडवोकेट संदीप सचदेवा खेद प्रकट करते कहा कि कोरोना महामारी के चलते उन दिवंगत आत्माओं की अस्थियां समय की मार और धर्म अनुसार उनकी अंतिम क्रियायें भी पूरी नहीं हो पा रही.

उन्होंने बताया कि लॉकर में 35 के करीब मृतकों की अस्थियां संस्कार के बाद पड़ी हैं और इतनी ही दीवार पर कुंडियां लटका कर टांगी गई हैं.उन्होंने उन परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए जिला प्रशासन से मांग की है दिवंगत लोगों की अस्थियां हरिद्वार विसर्जन का इंतजाम कर रही हैं. उन्हें इजाजत दी जाएं तांकि वे इन दिवंगत आत्माओं की धार्मिक रीती अनुसार विसर्जन कर सके.

अंबाला केंट रामबाग के आचार्य घनश्याम की माने तो लॉकडाउन के बाद सभी अस्थियां रखी गई हैं. कुछ ही लोग दिवंगत आत्माओं की अस्थियां लेकर यमुना और जनसुई हैड में बहा देते हैं. क्योंकि प्रशासन की तरफ से हरिद्वार विसर्जन की परमिशन नहीं मिल रही है.मगर यहाँ लॉकर फुल हो चुके हैं.लेकिन इनके विसर्जन के लिए हिन्दू हरिद्वार के कनखल में जाते हैं. मगर वे उत्तराखंड में होने से दिक्कत आ रही है.उन्होंने कहा लिहाज सरकार को इंतजाम करना होगा.

ये भी पढ़ेंः- एशिया की सबसे बड़ी होलसेल कपड़ा मार्केट पर आर्थिक संकट! व्यापारियों की बढ़ी परेशानी

कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन ने कोरोना पीड़ित की मृत्यु होने पर उनके संस्कार के लिए अंबाला शहर गोबिंदपुरी शमशान घाट में प्रबंधन को 3 शैड बनाने के निर्देश दिए थे. इस बारे प्रधान संदीप सचदेवा का कहना है कि सरकार के निर्देश पर 3 ऐसे कुंड बनाये गए हैं जिनमे केवल कोरोना पीड़ित की मृत्यु होने पर उनका संस्कार किया जा सके. वहीं अलग जगह 250 गज में तीन कुंड बनाये गए हैं. जिससे उसका असर दूसरे पर न पड़ सके. उनका कहना है मगर अभी तक यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

अंबाला: देश और प्रदेश में लॉकडाउन का असर अब मृतकों की अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा है. जिला के सभी शमशान घाट में अस्थियां रखने वाले सभी लॉकर फुल पड़े हुए हैं. बताया जा रहा है कि शमशान घाट में अनुमति नहीं मिल पाने के कारण मृतकों के परिजनों को अस्थियां विसर्जन करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. शमशान घाट फुल होने के कारण परिजनों को अस्थियां दीवार पर टांगनी पड़ रही है.

23 मार्च से लॉकडाउन के कारण जिला में मृतकों की करीब सौ अस्थियां विसर्जन के इंताजर में हैं. बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते मृतकों के परिजनों को अपने दिवंगत की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. जिला के विभिन्न शमशान घाट की अस्थियां रखने वाले लॉकर लगभग फुल हो चुके हैं. और मृतक के परिजनों को मजबूरन अस्थियों को रामबाग के अस्थियों वाले कमरे की दीवार पर कुण्डी के सहारे लटकाना पड़ रहा है.

अंबाला: अस्थियां विसर्जन पर देखने को मिल रहा लॉकडाउन का असर

अंबाला छावनी के रामबाग में करीबन 36 और शहर के गोबिंद पूरी में 35 लॉकर फुल हो चुके हैं और इतनी ही संख्या में अस्थियां दीवार के साथ कुण्डी लगा कर टांगी गई हैं. शहर के गोबिंदपुरी स्थित शमशानघाट के प्रधान एडवोकेट संदीप सचदेवा खेद प्रकट करते कहा कि कोरोना महामारी के चलते उन दिवंगत आत्माओं की अस्थियां समय की मार और धर्म अनुसार उनकी अंतिम क्रियायें भी पूरी नहीं हो पा रही.

उन्होंने बताया कि लॉकर में 35 के करीब मृतकों की अस्थियां संस्कार के बाद पड़ी हैं और इतनी ही दीवार पर कुंडियां लटका कर टांगी गई हैं.उन्होंने उन परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए जिला प्रशासन से मांग की है दिवंगत लोगों की अस्थियां हरिद्वार विसर्जन का इंतजाम कर रही हैं. उन्हें इजाजत दी जाएं तांकि वे इन दिवंगत आत्माओं की धार्मिक रीती अनुसार विसर्जन कर सके.

अंबाला केंट रामबाग के आचार्य घनश्याम की माने तो लॉकडाउन के बाद सभी अस्थियां रखी गई हैं. कुछ ही लोग दिवंगत आत्माओं की अस्थियां लेकर यमुना और जनसुई हैड में बहा देते हैं. क्योंकि प्रशासन की तरफ से हरिद्वार विसर्जन की परमिशन नहीं मिल रही है.मगर यहाँ लॉकर फुल हो चुके हैं.लेकिन इनके विसर्जन के लिए हिन्दू हरिद्वार के कनखल में जाते हैं. मगर वे उत्तराखंड में होने से दिक्कत आ रही है.उन्होंने कहा लिहाज सरकार को इंतजाम करना होगा.

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कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन ने कोरोना पीड़ित की मृत्यु होने पर उनके संस्कार के लिए अंबाला शहर गोबिंदपुरी शमशान घाट में प्रबंधन को 3 शैड बनाने के निर्देश दिए थे. इस बारे प्रधान संदीप सचदेवा का कहना है कि सरकार के निर्देश पर 3 ऐसे कुंड बनाये गए हैं जिनमे केवल कोरोना पीड़ित की मृत्यु होने पर उनका संस्कार किया जा सके. वहीं अलग जगह 250 गज में तीन कुंड बनाये गए हैं. जिससे उसका असर दूसरे पर न पड़ सके. उनका कहना है मगर अभी तक यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

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