नई दिल्ली: हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामलों में जुमार्ना को बढ़ा दिया है. नए कानून के तहत 7 लाख रुपये के जुर्माने और 10 साल की जेल की सजा कर दिया गया है. इस कानून के विरोध में ट्रक और बस चालक देश भर में विभिन्न हिस्सों में हड़ताल कर रहे हैं. ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को कैंसिल करने वाला नया कानून, दुर्घटना स्थल से भागने और घटना की रिपोर्ट न करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान करता है. बता दें कि इससे पहले IPC की धारा 304A (लापरवाही से मौत) के तहत आरोपी को केवल दो साल तक की जेल हो सकती थी.
वहीं, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का कहना है कि ये प्रावधान जो अभी तक लागू नहीं हुए हैं, अनफेयर हैरेसमेंट का कारण बन सकते हैं और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए.
पेट्रोल पंपों पर लगी कतार
महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों में ट्रक और बस चालक हड़ताल पर चले गए हैं. इससे कई शहरों में फ्यूल की कमी हो गई है जबकि हड़ताल के कारण बड़ी संख्या में यात्री प्रभावित हुए हैं. विरोध प्रदर्शन के कारण दोपहिया और चार पहिया वाहनों में घबराहट पैदा हो गई है, जिससे पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी कतारें लग गई हैं. पेट्रोल पंप के बाहर लोग अपने वाहनों के टैंकरों में तेल भरने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे.
तेल टैंकर चालक भी हड़ताल पर हैं. इसके वजह से कुछ राज्यों ने फ्यूल की कमी की सूचना दी गई है. सोमवार सुबह से सभी तेल टैंकर हड़ताल पर हैं, जिसके वजह से किसी भी ड्राइवर ने तेल डिपो से तेल नहीं भरा है. इस हड़ताल का सीधा असर आम लोगों पर पड़ सकता है, क्योंकि आम लोगों के किचन के समान ट्रांसप्रोट के जरिए एक-जगह से दूसरे जहग भेजा जाता है.
आम लोग हो सकते है प्रभावित
बता दें कि ट्रकों की हड़ताल के कारण पेट्रोल के साथ-साथ सब्जी की आपूर्ति भी प्रभावित हो गई है. ट्रकों की हड़ताल जारी रही तो सब्जियों की कीमतें बढ़ सकती हैं. भारत के अलग-अलग इलाको में ट्रकों से सब्जियों की सप्लाई होती है, लेकिन ट्रकों की हड़ताल के कारण सोमवार को सप्लाई बंद हो गई. बस, ट्रक और टैंकर चालकों की हड़ताल से स्कूलों से लेकर दफ्तरों और रसोई तक व्यापक असर पड़ रहा है. बता दें कि रोज ऑफिस करने वाले से लेकर किसान और सब्जी और फल विक्रेता जो शहर के बाहरी इलाके से रोजाना स्टॉक लाते थे, उनपर काफी असर पड़ रहा है.
बता दें कि इससे पहले ही पानी की कमी और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण आपूर्ति में कमी के कारण पुणे में सब्जियों की कीमतें 20-30 फीसदी तक बढ़ गई हैं. इस हड़ताल के वजह से आम लोगों के किचन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.