पानीपत: देशभर में लॉकडाउन को लेकर प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं, वहीं इस बीच बड़े-बड़े दावे कर रही सरकार की पोल खुलती नजर आ रही है. कई प्रवासी पैदल घर की तरफ निकले है तो कई खाली पेट तड़प रहे हैं.
हरियाणा में पानीपत के लघु सचिवालय के सामने फ्लाईओवर के नीचे बैठे मजदूर संगठन ने सरकार द्वारा राशन न मिलने की वजह से और श्रम कानून कानून लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. मजदूर सगठन की तरफ से देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को मांग पत्र भी भिजवाया गया है. इस मौके मजदूर संगठन इफ्टू के प्रांतीय संयोजक पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि 22 मार्च को बिना किसी तैयारी के अचानक आधी रात को देश में लॉकडाउन का आदेश जारी कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार देश के करोड़ों मजदूरों पर पड़ी है. कोरोना महामारी ने मजदूरों को बंधुआ गुलामी की ओर धकेल दिया है. पीपी कपूर ने सरकार की पोल खोलते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से उनकी कोई मदद नहीं की गई है. न ही उन तक राशन पहुंचाया गया और न ही कोई आर्थिक सहायता दी गई.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का 20 लाख करोड रुपये का आर्थिक पैकेज जुमला साबित हुआ है. आम लोगों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों को जगह-जगह पुलिस के लाठी डंडों से पीटा गया और उन्हें अपमानित किया गया.
मजदूर संगठन ने रखी ये मांगे
1- पूरे देश में श्रम कानूनों में कोई तब्दीली ना की जाए व लेबर कोड लागू न किया जाए.
2- सभी मजदूरों को 6 माह तक निशुल्क राशन व 5 हजार प्रतिमा आर्थिक मदद नियमित तौर पर दी जाए.
3- घर जाने के इच्छुक सभी मजदूरों को सरकार तत्काल निशुल्क घर भिजवाए.
4- घर वापसी के दौरान सड़कों पर शहीद हुए मजदूरों के आश्रितों को 5 हजार की आर्थिक सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जाए.
5- सभी श्रमिकों को अप्रैल माह का वेतन दिलवाया जाए और छंटनी पर रोक लगाई जाए.
6- 8 घंटे के कार्य दिवस को 12 घंटे में ना किया जाए.
7- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करें, जीडीपी की 5% राशि स्वास्थ्य बजट पर खर्च हो.