कोलकाता : पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं का नाम बदलकर राज्य सरकार उसे अपना नाम दे रही है. बीजेपी का आरोप है कि राज्य की टीएमसी सरकार केंद्रीय योजनाओं पर अपना टैग लगाकर खुद की ब्रांडिंग कर रही है. लेकिन केंद्र के दबाव में राज्य सरकार को कई योजनाओं को पुराने नाम पर लौटाने के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसा ही राज्य के महिला, बाल एवं समाज कल्याण विभाग के एक प्रोजेक्ट में भी हुआ.
कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए सेंट्रल स्कीम प्रधानमंत्री मातृ वंदना का नाम बदलकर राज्य मातृ योजना कर दिया, इसके नाराज केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए धन आवंटन रोक दिया. आखिरकार, राज्य सरकार ने पुराने नाम पर वापस जाने का फैसला किया. केंद्र की ओर से फंड रोकने के कारण राज्य की लगभग 4 लाख माताएं परियोजना के लाभों से वंचित हो गईं. ऐसे में राज्य के महिला, बाल एवं समाज कल्याण विभाग ने केंद्र को पत्र लिखकर बताया कि केंद्र की ओर से दिए गए नाम के मुताबिक ही प्रोजेक्ट का नाम बनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को फिर से लागू किया गया है और बैंक खाते में इससे जुड़े परिवर्तन कर दिए गए हैं. इसके बाद केंद्र ने आवंटन की पहली किस्त जारी करने की घोषणा की.
यह पहली स्कीम थी, जिसमें राज्य सरकार ने माना कि केंद्र की योजना का नाम बदला गया था. इससे पहले भी राज्य सरकार पर केंद्रीय प्रोजेक्ट के नाम बदलने के आरोप लगते रहे हैं. इनमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भी शामिल है, जिसका नाम बदलकर बांग्ला ग्रामीण सड़क योजना कर दिया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम बदलकर बंगाल आवास योजना कर दिया गया. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का नाम पश्चिम बंगाल में आनंदधारा कर दिया गया. ट्रांसपेरेंट इंडिया मिशन को राज्य में मिशन निर्मल बांग्ला का नाम दिया गया. शहरी क्षेत्रों में सभी के लिए आवास परियोजना को बंगाल का घर कर दिया गया. खुद मुख्यमंत्री ने केंद्रीय परियोजना 'जल जीवन मिशन' का नाम बदलकर 'जल स्वप्न' कर दिया है.
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