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Unique Holi : छतरी होली की अनूठी परंपरा से मिलता है खुशहाली का आशीर्वाद

जिले के पांच पंचायतों वाले विशाल गांव धमौन में दशकों से पारंपरिक रूप से मनायी जानेवाली छाता होली को लेकर इस बार उत्साह दोगुना है. Holi 2023 . Unique Holi .

Holi  Celebration in India  Different States Holi Traditions
छतरी होली
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Published : Mar 5, 2023, 3:10 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 7:15 AM IST

छतरी होली : आमतौर पर रंगों का त्योहार होली का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. इस वर्ष भी होली को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में है. वैसे, इस पर्व को मनाने को लेकर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग परंपराएं भी देखने को मिलती हैं. ऐसे में बिहार के समस्तीपुर के एक गांव में अनोखी होली खेली जाती है, जिसमें आसपास के लोग भी हिस्सा लेने पहुंचते हैं. देश और दुनिया में जैसे मथुरा, ब्रज, वृंदावन की होली मशहूर है वैसे ही समस्तीपुर के धमौन इलाके की छाता या छतरी होली प्रसिद्ध है. हालांकि इस छाता होली का उल्लास थोड़ा अलग होता है और इसकी तैयारी भी एक पखवाड़े पहले से ही शुरू हो जाती है.

समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल क्षेत्र के पांच पंचायतों वाले विशाल गांव धमौन में दशकों से पारंपरिक रूप से मनायी जानेवाली छाता होली को लेकर इस बार उत्साह दोगुना है. होली के दिन हुरिहारों की टोली बांस की तैयार छतरी के साथ फाग गाते निकलती है तो फिर पूरा इलाका रंगों से सराबोर हो जाता है. सभी टोलों में बांस के बड़े बड़े छाते तैयार किए जाते हैं और इन्हें कागजों तथा अन्य सजावटी सामानों से आकर्षक ढंग से सजाया जाता है.

धमौन में होली की तैयारी एक पखवाड़ा पूर्व ही शुरू हो जाती है. प्रत्येक टोले में बांस के विशाल, कलात्मक छाते बनाए जाते हैं. पूरे गांव में करीब 30 से 35 ऐसी ही छतरियों का निर्माण होता है. होली के दिन का प्रारंभ छातों के साथ सभी ग्रामीण अपने कुल देवता स्वामी निरंजन मंदिर परिसर में एकत्र होकर अबीर-गुलाल चढ़ाते हैं और फिर इसके बाद तो ढोल की थाप और हारमोनियम की लय पर फाग के गीतों के साथ लोग गले मिलते हैं और फिर दिनभर यही कार्यक्रम चलता है.

Holi  Celebration in India  Different States Holi Traditions Chhatri Holi Samastipur Dhamon
होली

छातों के साथ शोभा यात्रा
ग्रामीण अपने टोले के छातों के साथ शोभा यात्रा में तब्दील होकर महादेव स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं. परिवारों में मिलते-जुलते खाते-पीते यह शोभा यात्रा मध्य रात्रि महादेव स्थान पहुंचती है. जाने के क्रम में ये लोग फाग गाते हैं, लेकिन लौटने के क्रम में ये चैती गाते लौटते हैं. इस समय फाल्गुन मास समाप्त होकर चैत्र माह की शुरूआत हो जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि इस दौरान गांव के लोग रंग और गुलाल की बरसात करते हैं और कई स्थानों पर शरबत और ठंढई की व्यवस्था होती है.

छतरी होली की शुरूआत 1930-35 से
ग्रामीणों का कहना है कि 5 पंचायत उत्तरी धमौन, दक्षिणी धमौन, इनायतपुर, हरपुर सैदाबाद और चांदपुर की लगभग 70 हजार आबादी इस छाता होली में हिस्सा लेती है. इसके लिए करीब 50 मंडली बनाई जाती है. एक मंडली में 20 से 25 लोग शामिल होते हैं. इस अनोखी होली की शुरूआत कब हुई इसकी प्रमाणिक जानकारी तो कहीं उपलब्ध नहीं है, लेकिन गांव के बुजुर्ग हरिवंश राय बताते हैं कि इसकी शुरूआत 1930-35 में बताई जाती है. अब यह होली इस इलाके की पहचान बन गई है. आसपास के क्षेत्र के सैकड़ों लोग इस आकर्षक और अनूठी परंपरा को देखने के लिए जमा होते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि पहले एक ही छतरी तैयार की जाताी थी, लेकिन धीरे-धीरे इन छतरियों की संख्या बढ़ती चली गई. गांव के बुजर्ग मानते हैं कि आज के युवा भी इस परंपरा को जिंदा रखे हुए है. उनका मानना है कि इससे कुल देवता प्रसन्न होते हैं और गांवों में एक साल तक खुशहाली और गांव पवित्र बना रहता है. Holi 2023 . Unique Holi .

(आईएएनएस)

Holashtak 2023 Beliefs : आज से शुरू हो गए होलाष्टक,जानिए उससे जुड़ी मान्यताएं

छतरी होली : आमतौर पर रंगों का त्योहार होली का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. इस वर्ष भी होली को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में है. वैसे, इस पर्व को मनाने को लेकर अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग परंपराएं भी देखने को मिलती हैं. ऐसे में बिहार के समस्तीपुर के एक गांव में अनोखी होली खेली जाती है, जिसमें आसपास के लोग भी हिस्सा लेने पहुंचते हैं. देश और दुनिया में जैसे मथुरा, ब्रज, वृंदावन की होली मशहूर है वैसे ही समस्तीपुर के धमौन इलाके की छाता या छतरी होली प्रसिद्ध है. हालांकि इस छाता होली का उल्लास थोड़ा अलग होता है और इसकी तैयारी भी एक पखवाड़े पहले से ही शुरू हो जाती है.

समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल क्षेत्र के पांच पंचायतों वाले विशाल गांव धमौन में दशकों से पारंपरिक रूप से मनायी जानेवाली छाता होली को लेकर इस बार उत्साह दोगुना है. होली के दिन हुरिहारों की टोली बांस की तैयार छतरी के साथ फाग गाते निकलती है तो फिर पूरा इलाका रंगों से सराबोर हो जाता है. सभी टोलों में बांस के बड़े बड़े छाते तैयार किए जाते हैं और इन्हें कागजों तथा अन्य सजावटी सामानों से आकर्षक ढंग से सजाया जाता है.

धमौन में होली की तैयारी एक पखवाड़ा पूर्व ही शुरू हो जाती है. प्रत्येक टोले में बांस के विशाल, कलात्मक छाते बनाए जाते हैं. पूरे गांव में करीब 30 से 35 ऐसी ही छतरियों का निर्माण होता है. होली के दिन का प्रारंभ छातों के साथ सभी ग्रामीण अपने कुल देवता स्वामी निरंजन मंदिर परिसर में एकत्र होकर अबीर-गुलाल चढ़ाते हैं और फिर इसके बाद तो ढोल की थाप और हारमोनियम की लय पर फाग के गीतों के साथ लोग गले मिलते हैं और फिर दिनभर यही कार्यक्रम चलता है.

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होली

छातों के साथ शोभा यात्रा
ग्रामीण अपने टोले के छातों के साथ शोभा यात्रा में तब्दील होकर महादेव स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं. परिवारों में मिलते-जुलते खाते-पीते यह शोभा यात्रा मध्य रात्रि महादेव स्थान पहुंचती है. जाने के क्रम में ये लोग फाग गाते हैं, लेकिन लौटने के क्रम में ये चैती गाते लौटते हैं. इस समय फाल्गुन मास समाप्त होकर चैत्र माह की शुरूआत हो जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि इस दौरान गांव के लोग रंग और गुलाल की बरसात करते हैं और कई स्थानों पर शरबत और ठंढई की व्यवस्था होती है.

छतरी होली की शुरूआत 1930-35 से
ग्रामीणों का कहना है कि 5 पंचायत उत्तरी धमौन, दक्षिणी धमौन, इनायतपुर, हरपुर सैदाबाद और चांदपुर की लगभग 70 हजार आबादी इस छाता होली में हिस्सा लेती है. इसके लिए करीब 50 मंडली बनाई जाती है. एक मंडली में 20 से 25 लोग शामिल होते हैं. इस अनोखी होली की शुरूआत कब हुई इसकी प्रमाणिक जानकारी तो कहीं उपलब्ध नहीं है, लेकिन गांव के बुजुर्ग हरिवंश राय बताते हैं कि इसकी शुरूआत 1930-35 में बताई जाती है. अब यह होली इस इलाके की पहचान बन गई है. आसपास के क्षेत्र के सैकड़ों लोग इस आकर्षक और अनूठी परंपरा को देखने के लिए जमा होते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि पहले एक ही छतरी तैयार की जाताी थी, लेकिन धीरे-धीरे इन छतरियों की संख्या बढ़ती चली गई. गांव के बुजर्ग मानते हैं कि आज के युवा भी इस परंपरा को जिंदा रखे हुए है. उनका मानना है कि इससे कुल देवता प्रसन्न होते हैं और गांवों में एक साल तक खुशहाली और गांव पवित्र बना रहता है. Holi 2023 . Unique Holi .

(आईएएनएस)

Holashtak 2023 Beliefs : आज से शुरू हो गए होलाष्टक,जानिए उससे जुड़ी मान्यताएं

Last Updated : Mar 7, 2023, 7:15 AM IST
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