हैदराबाद: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में भाई जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देते हैं. लेकिन इस रक्षा सूत्र को बांधने का भी शुभ मुहूर्त होता है. उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित श्री लोकमंगल ज्योतिष परामर्श केंद्र के निदेशक और ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त बताने के साथ-साथ इस त्योहार को बदलते भारत के साथ देखते हैं.
बहनों के लिए क्या है श्रेष्ठ उपहार
ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज के अनुसार रक्षाबंधन सनातन भारतीय संस्कृति का लोक पर्व है. भाई-बहन के प्रेम का यह पर्व आज मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन के दिन आज के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर सुख, शान्ति, समृद्धि तथा दीर्घायु के लिए रक्षासूत्र (राखी) बांधती हैं. सामायिक दृष्टि से यह महापर्व नारी अस्मिता, सुचिता व सुरक्षा के साथ राष्ट्र रक्षा से भी जुड़ा है.
ये पितृ सम्पत्ति से बिना अपना हिस्सा लिये खुशी-खुशी अपने भाई को उपहार स्वरूप प्रदान करने वाली बहन के आत्म सम्मान का दिन है. श्रेष्ठ भारत, समृद्ध भारत, समर्थ व सशक्त भारत का निर्माण बहनों को उच्च शिक्षा व प्रशिक्षण के बगैर नहीं हो सकता. अतः हर भाई का दायित्व है, कि बहन भाई के अप्रतिम प्रेम के प्रतीक रक्षाबन्धन पर्व को यादगार बनाने हेतु उन्हें आत्म निर्भर बनायें. भाई की ओर से बहन को यही सच्चा उपहार भी होगा.
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
श्री लोकमंगल ज्योतिष परामर्श केंद्र के निदेशक और ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वैसे तो इस बार का रक्षाबंधन इसलिये भी खास है, क्योंकि इस बार राखी के दिन बहनें कभी भी भाईयों की कलाई पर रक्षा का धागा बांध सकती हैं. लेकिन भाई और बहन के स्नेहिल प्रेम की स्थिरता हेतु बहनें यदि स्थिर लग्न में अपने भाइयों को तिलक लगाकर राखी बांधे तो उनका विशेष उत्थान होगा. रविवार 22 अगस्त, 2021 को राखी बांधने हेतु तीन शुभ व विशेष मुहूर्त हैं. ज्योतिषाचार्य राजेश जी महाराज के अनुसार
- दूसरा शुभ मुहूर्त वृश्चिक लग्न में दोपहर 12:00 बजे से 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
- तीसरा और अंतिम शुभ मुहूर्त कुंभ लग्न में शाम 6 बजकर 31 मिनट से 7 बजकर 59 मिनट तक रहेगा.
खास है इस बार का रक्षाबंधन
ज्योतिष शास्त्रीय श्री अन्नपूर्णा काशी विश्वनाथ पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष श्रवण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबन्धन पर्व मनाया जाता है. अबकी बार यह पर्व विष्टि अर्थात् भद्रा से मुक्त है. पूर्णिमा में धनिष्ठा नक्षत्र, शोभन योग के श्रेष्ठ संयोग से यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो गया है. आज बहनें सम्पूर्ण दिन भाई को तिलक कर उनके हाथ में प्रेम की स्नेहिल डोर ‘राखी’ सजा सकेंगी.
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