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हेट स्पीच मामला : केंद्र को कड़े निर्देश दिए जाने की कोर्ट से अपील

हेट स्पीच मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस तरह के कृत्यों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने चाहिए. याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा और अफवाह, व्यक्ति या समाज को आतंकवाद, नरसंहार आदि कृत्यों के लिए उकसाने की क्षमता रखते हैं.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 15, 2022, 7:28 PM IST

नई दिल्ली : अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने (hate speech and rumours mongering) पर नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने का केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का निवेदन किया है. साथ ही उन्होंने अभद्र भाषा पर विधि आयोग की रिपोर्ट 267 की सिफारिशों को लागू करने का भी आग्रह किया है.

यह याचिका भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि अभद्र भाषा का निर्धारण करने के लिए एकमात्र मार्ग हिंसा नहीं होनी चाहिए. यहां तक कि वह भाषण जो हिंसा को उकसाता नहीं है, लेकिन समाज में भेदभावपूर्ण रवैये को बनाए रखता है, अभद्र भाषा कहलाता है. याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा और अफवाह, व्यक्ति या समाज को आतंकवाद, नरसंहार आदि कृत्यों के लिए उकसाने की क्षमता रखते हैं.

याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा पर नियंत्रण से कानून के शासन, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन स्वतंत्रता और गरिमा और अन्य मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. उन्होंने अदालत से निवेदन किया कि धर्म के संदर्भ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन और हिंसा के परिणामस्वरूप घृणा को बढ़ावा देने वाले सभी मामलों की निंदा करते हुए की जानी चाहिए और इसे रोका जाना चाहिए.

नई दिल्ली : अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने (hate speech and rumours mongering) पर नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने का केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का निवेदन किया है. साथ ही उन्होंने अभद्र भाषा पर विधि आयोग की रिपोर्ट 267 की सिफारिशों को लागू करने का भी आग्रह किया है.

यह याचिका भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि अभद्र भाषा का निर्धारण करने के लिए एकमात्र मार्ग हिंसा नहीं होनी चाहिए. यहां तक कि वह भाषण जो हिंसा को उकसाता नहीं है, लेकिन समाज में भेदभावपूर्ण रवैये को बनाए रखता है, अभद्र भाषा कहलाता है. याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा और अफवाह, व्यक्ति या समाज को आतंकवाद, नरसंहार आदि कृत्यों के लिए उकसाने की क्षमता रखते हैं.

याचिका में कहा गया है कि अभद्र भाषा पर नियंत्रण से कानून के शासन, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन स्वतंत्रता और गरिमा और अन्य मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. उन्होंने अदालत से निवेदन किया कि धर्म के संदर्भ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन और हिंसा के परिणामस्वरूप घृणा को बढ़ावा देने वाले सभी मामलों की निंदा करते हुए की जानी चाहिए और इसे रोका जाना चाहिए.

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