नई दिल्ली : सनातम धर्म के संबंध में बयानबाजी को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने अपनी याचिका में गृह सचिव और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, पीटर अल्फोंस, ए राजा और थोल थिरुमावलवन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की. कर्नाटक उच्च न्यायालय के वकील बी जग्गनाथ ने यह याचिका दायर की है. उन्होंने अपनी याचिका में 2 सितंबर, 2023 को आयोजित सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन की बैठक की तुरंत जांच कराने का निर्देश देने की भी मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में मांग की थी कि उक्त लोगों को सनातन धर्म/हिंदू धर्म के खिलाफ कोई और नफरत भरा भाषण न देने के निर्देश भी जारी करें.
बी जग्गनाथ ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार को यह निर्देश दे की राज्य के सरकारी स्कूलों में हिंदू धर्म के खिलाफ कोई भी सम्मेलन नहीं होगा. याचिका में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया कि वह राज्य के पुलिस महानिदेशक को तुरंत एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे कि सम्मेलन को पुलिस की अनुमति मिली. इसके साथ ही उन्होंने याचिका के माध्यम से यह भी पूछा है कि सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन नामक उक्त सम्मेलन के लिए जिम्मेदार संगठन और अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
याचिका में तमिलनाडु राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के अनुसार नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए तुरंत एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता के अनुच्छेद 14, 16, 19, 21, 25 और 26 के तहत मिले हुए मौलिक अधिकारों का हनन किया है. इसलिए वह इस अदालत के समक्ष वर्तमान रिट याचिका दायर कर रहे हैं.
याचिका में दलील दी गई कि यह ज्ञात नहीं है कि इस तरह के सम्मेलन आयोजित करने के लिए तमिलनाडु पुलिस विभाग से कोई अनुमति ली गई थी या नहीं. क्योंकि शीर्षक और शीर्षक से पता चलता है कि यह एक विशेष धर्म के उन्मूलन के लिए आयोजित की गई सभा थी. यदि पुलिस ने वास्तव में अनुमति दी थी, तो उनकी जिम्मेदारी और कर्तव्य है कि वे इस माननीय न्यायालय को सूचित करें कि क्या ऐसे सम्मेलनों के लिए अनुमति देने में पुलिस विभाग का राजनीतिक हस्तक्षेप था.
इस मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई ने शुक्रवार को कहा कि एक वकील ने तत्काल सुनवाई के लिए एक याचिका का उल्लेख किया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं हो सकती है क्योंकि याचिका 'तत्काल उल्लेख के लिए सूची में नहीं थी'. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'यहां एक निश्चित एसओपी है और सभी को इसका पालन करना होगा. अधिवक्ता विनीत जिंदल द्वारा शीर्ष अदालत में एक और याचिका दायर की गई है जिसमें उदयनिधि स्टालिन और ए राजा के खिलाफ 'सनातन धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण' के लिए एफआईआर की मांग की गई है.