हैदराबाद : प्रदूषण आज के समय की सबसे बड़ी वैश्विक चिंताओं में से एक है. दरअसल अलग-अलग कारणों से बढ़ने वाला प्रदूषण ना सिर्फ हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित कर रहा है. बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संख्या में लोगों को भी बीमार बना रहा है. दुनिया भर में बढ़ रही अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियों में से कुछ के लिए जानकार प्रदूषण को भी एक खास कारण मानते हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जाय. आमजन को प्रदूषण पर नियंत्रण की जरूरत को लेकर जागरूक करने तथा उन्हे इस दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है.
भोपाल गैस त्रासदी
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को मनाए जाने का एक कारण वर्ष 1984 में 2-3 दिसंबर की रात भोपाल शहर में हुई गैस त्रासदी का स्मरण करना भी है. इस त्रासदी को देश की सबसे गंभीर गैस त्रासदियों में से एक माना जाता है. यह एक ऐसी भयावह घटना थी जिसका प्रभाव गैस त्रासदी के दौरान प्रभाव में आए पीड़ितों को ही नहीं बल्कि उनमें से कई की पीढ़ियों को भी विकलांगता व अन्य रूप में झेलना पड़ा था. इस घटना ने देश-दुनिया को चेताया था कि वातावरण का किसी भी कारण से ज्यादा प्रदूषित या जहरीला होना ना सिर्फ लोगों के लिए बीमारी का कारण बन सकता है बल्कि महामारी का कारण भी बन सकता है . यही नहीं यह पीड़ित की पीढ़ियों को भी बीमारी के साये में रहने के लिए मजबूर कर सकता है.
गौरतलब है पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर इससे पहले भी कुछ ऐसी त्रासदियां हो चुकी हैं जिनके चलते हवा, मिट्टी या पानी के जहरीले या प्रदूषित होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. लेकिन हमारे देश में यह अपनी तरह की पहली घटना थी. जो यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से जहरीले रसायन मिथाइल आइसोसाइनेट व कुछ अन्य रसायनों के रिसाव के कारण घटित हुई थी. आधिकारिक सूचना के अनुसार इस त्रासदी में लगभग 200,000 लोग मिथाइल आइसोसाइनेट के संपर्क में आए थे, वहीं संयंत्र में गैस रिसाव और विस्फोट के कारण लगभग 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा लगभग 50,000 लोगों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों जैसे विकलांगता या अन्य आनुवंशिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था. इस त्रासदी के प्रभाव इतने भयावह थे कि कई पीड़ितों की पीढ़ियों में भी इसके प्रभाव देखने में आए थे. गौरतलब है कि इस वर्ष 2023 में भोपाल गैस त्रासदी की 39 वीं वर्षगांठ है.
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का महत्व
वैश्विक स्तर पर जानकार प्रदूषण को निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बीमारी व मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण मानते हैं. द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर तरह के वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 21 लाख 80 हजार लोगों की तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 51 लाख लोगों की मौत होती है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हमारे देश में लगभग 14 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेते हैं जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से दस गुना अधिक है. जानकारों व कई शोधों के नतीजों के अनुसार औद्योगिक कारणों से होने वाले प्रदूषण, वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस या धुएं या अन्य कारणों से प्रदूषित हवा, मिट्टी या पानी के संपर्क में ज्यादा समय तक रहना ना सिर्फ मनुष्यों व जानवरों बल्कि पेड़ पौधों के लिए भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. वहीं इस बात की पुष्टि कई शोधों में भी हो चुकी है कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में ना सिर्फ फेफड़ों संबंधी बीमारियां बल्कि हृदय रोग, त्वचा संबंधी रोग, तंत्रिकाओं संबंधी रोग तथा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां अपेक्षाकृत ज्यादा नजर आती हैं.
इन्ही सब कारकों को देखते हुए राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस की प्रासंगिकता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. क्योंकि यह आयोजन बड़े संगठनों, संस्थाओं तथा सरकारी व गैर सरकारी समितियों को लोगों में प्रदूषण के नुकसान तथा उसके कारण जनजीवन को हो सकने वाली जानलेवा समस्याओं के बारें में जागरूकता फैलाने का मौका व मंच देता है.
भारत सरकार के प्रयास
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा हर प्रकार के प्रदूषण के नियंत्रण और रोकथाम के लिए कई नियम और कानून बनाए गए हैं. जिनमें प्रदूषण नियंत्रण व रोकथाम के अलावा पर्यावरण संरक्षण, जल उपकर , खतरनाक रासायनिक निर्माण उसके भंडारण व उसके आयात को लेकर नियम, अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर नियम, रासायनिक दुर्घटनाओं को लेकर आपदा प्रबंधन के नियम , जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, ओजोन क्षयकारी पदार्थ संबंधी नियम तथा ध्वनि, जल तथा भूमि प्रदूषण को लेकर कानून आदि शामिल हैं. देश में केंद्रीय तथा राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा कुछ अन्य समितियों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने व रखने के लिए सरकार द्वारा इनकी लगातार मॉनिटरिंग भी की जाती है