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12 साल से बच्चों को भगवद गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक - गुजरात के स्कूल में गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक

गुजरात के सूरत जिले का एक स्कूल ऐसा है जहां मुस्लिम शिक्षक 12 साल से बच्चों को भगवद गीता पढ़ा रहे हैं. जाखवाड़ा प्राइमरी स्कूल में शाह मोहम्मद सईद युवाओं को किताबी शिक्षा के साथ संस्कार देने का काम कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Muslim teacher teaches Bhagvat Gita lessons-Gujarat
भगवद गीता
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Published : Mar 21, 2022, 8:21 PM IST

सूरत : गुजरात में हाल ही में स्कूलों में भगवद् गीता पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन एक स्कूल ऐसा है जहां मुस्लिम शिक्षक पिछले 12 साल से युवाओं को भगवद् गीता पढ़ा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सूरत के जखवाड़ा प्राइमरी स्कूल के शिक्षक शाह मोहम्मद सईद की. वैसे भी शिक्षक का कोई धर्म नहीं माना जाता है. उसके लिए सभी धर्म समान हैं. शाह मोहम्मद सईद अभिनय शिक्षक (acting teacher) हैं.

स्कूल में 71 छात्र हैं, सभी को पढ़ा रहे गीता : शाह मोहम्मद सईद 12 साल से ग्रामीण प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. जब से उन्होंने शिक्षण कार्य शुरू किया वह युवाओं को किताबी ज्ञान के साथ ही संस्कारों की भी शिक्षा दे रहे हैं. जखवाड़ा गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं. गांव का प्राथमिक विद्यालय कक्षा एक से पांच तक के छात्रों को शिक्षा देता है. वर्तमान में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लगभग 71 बच्चे हैं. शाह मोहम्मद सईद सभी को धर्म पुस्तक पढ़ा रहे हैं.

भगवद गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक
भगवद गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक

शायद यह राज्य का पहला ऐसा स्कूल होगा जहां दोनों धर्मों के युवाओं को इस तरह से संस्कार की शिक्षा दी जा रही है. छात्रों की याददाश्त में भी सुधार हुआ है. स्कूल जाने से पहले हिंदू बच्चे मंदिर जाते हैं जबकि मुस्लिम बच्चे मस्जिद जाते हैं. छात्र कोई भी धार्मिक किताब पढ़ते हैं तो उसके बारे में अपने शिक्षक को बताते हैं. स्कूल जाते समय कतार में खड़े होना और माता-पिता के पानी पीने के बाद ही खुद पानी पीना इनकी नियमित दिनचर्या में शामिल है.

छात्र जो पैसे बचाते हैं उनसे बीमार लोगों को भोजन में मदद करते हैं. अगर गांव एक रुपया भी भेजता है, तो पैसा स्कूली शिक्षक के पास रख दिया जाता है. 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए शिक्षक शाह मोहम्मद सईद ने दावा किया कि भगवद गीता का पाठ छात्रों में उत्कृष्ट मूल्यों को स्थापित करता है. युवा रोज एक रुपया बचाते हैं और सरकारी अस्पताल के मरीजों को बांटने के लिए बिस्किट के पैकेट लाते हैं. अगर कहीं भी रुपये पड़े मिलते हैं तो वह शिक्षक के पास जमा कर दिए जाते हैं. सभी युवाओं का कहना है कि वह कभी ताश नहीं देखेंगे.

पढ़ें- गुजरात के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाई जाएगी : शिक्षा मंत्री

सूरत : गुजरात में हाल ही में स्कूलों में भगवद् गीता पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन एक स्कूल ऐसा है जहां मुस्लिम शिक्षक पिछले 12 साल से युवाओं को भगवद् गीता पढ़ा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सूरत के जखवाड़ा प्राइमरी स्कूल के शिक्षक शाह मोहम्मद सईद की. वैसे भी शिक्षक का कोई धर्म नहीं माना जाता है. उसके लिए सभी धर्म समान हैं. शाह मोहम्मद सईद अभिनय शिक्षक (acting teacher) हैं.

स्कूल में 71 छात्र हैं, सभी को पढ़ा रहे गीता : शाह मोहम्मद सईद 12 साल से ग्रामीण प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रहे हैं. जब से उन्होंने शिक्षण कार्य शुरू किया वह युवाओं को किताबी ज्ञान के साथ ही संस्कारों की भी शिक्षा दे रहे हैं. जखवाड़ा गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं. गांव का प्राथमिक विद्यालय कक्षा एक से पांच तक के छात्रों को शिक्षा देता है. वर्तमान में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लगभग 71 बच्चे हैं. शाह मोहम्मद सईद सभी को धर्म पुस्तक पढ़ा रहे हैं.

भगवद गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक
भगवद गीता पढ़ा रहे मुस्लिम शिक्षक

शायद यह राज्य का पहला ऐसा स्कूल होगा जहां दोनों धर्मों के युवाओं को इस तरह से संस्कार की शिक्षा दी जा रही है. छात्रों की याददाश्त में भी सुधार हुआ है. स्कूल जाने से पहले हिंदू बच्चे मंदिर जाते हैं जबकि मुस्लिम बच्चे मस्जिद जाते हैं. छात्र कोई भी धार्मिक किताब पढ़ते हैं तो उसके बारे में अपने शिक्षक को बताते हैं. स्कूल जाते समय कतार में खड़े होना और माता-पिता के पानी पीने के बाद ही खुद पानी पीना इनकी नियमित दिनचर्या में शामिल है.

छात्र जो पैसे बचाते हैं उनसे बीमार लोगों को भोजन में मदद करते हैं. अगर गांव एक रुपया भी भेजता है, तो पैसा स्कूली शिक्षक के पास रख दिया जाता है. 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए शिक्षक शाह मोहम्मद सईद ने दावा किया कि भगवद गीता का पाठ छात्रों में उत्कृष्ट मूल्यों को स्थापित करता है. युवा रोज एक रुपया बचाते हैं और सरकारी अस्पताल के मरीजों को बांटने के लिए बिस्किट के पैकेट लाते हैं. अगर कहीं भी रुपये पड़े मिलते हैं तो वह शिक्षक के पास जमा कर दिए जाते हैं. सभी युवाओं का कहना है कि वह कभी ताश नहीं देखेंगे.

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