पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): उत्तराखंड के कुमाऊं में ऑल वेदर रोड के तहत हो रहे आदि कैलाश के सड़क मार्ग पर लगातार खतरा बना हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले इसी मार्ग पर सात लोगों की मौत हो गई थी. ऐसे में बुधवार शाम को भी धारचूला से लिपुलेख जाने वाले मोटर मार्ग पर भारी भूस्खलन की तस्वीर है सामने आई है. अधिकारियों का कहना है कि इस पूरे मार्ग पर लगभग आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे जोन हैं जहां पर लगातार भूस्खलन हो रहा है.
पिथौरागढ़ में धड़ाम से गिरा पहाड़: केंद्र राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत इस सड़क का निर्माण हो रहा है, ताकि आदि कैलाश तक न केवल भक्त आसानी से पहुंच सकें, बल्कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी इसी रास्ते से सुगम तरीके से हो सके. इतना ही नहीं, भारत-चीन सीमा पर जाने वाले सेना के वाहन भी इसी मार्ग का इस्तेमाल सुरक्षित तरीके से कर सकें, इसके लिए भी सड़क का चौड़ीकरण का काम और नई सड़क का निर्माण तेजी से हो रहा है. लेकिन इस तरह के भूस्खलन ने परेशानी बढ़ाई हुई हैं.
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चीन सीमा से जोड़ता है लिपुलेख मार्ग: सड़क चौड़ीकरण के लिए बोल्डरों की ब्लास्टिंग और पहाड़ों की कटिंग चल रही है. इन पहाड़ियों में बन रहा मार्ग भारत की सीमा को सीधे चीन, तिब्बत और नेपाल की सीमाओं से जोड़ता है. गनीमत यह रही कि जिस वक्त ये पहाड़ ढहकर गिरा उसका पहले ही अंदेशा हो गया था. समय रहते अधिकारियों ने रास्ते पर ट्रैफिक रोक लिया. इसी बीच पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा ढहकर काली नदी में समा गया.
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चिंतानजक हैं हालात: ताजा हुए भूस्खलन की ये तस्वीर बता रही है की हालात कितने चिंताजनक हैं. कुमाऊं के इलाके में भूस्खलन लगातार हो रहे हैं. आलम ये है कि तवांग घाट और लिपुलेख की सड़क पर ये मालूम नहीं होता कि कब कोई विशालकाय चट्टान नीचे की तरफ आ जाए. सड़क पर काम करने वाले बीआरओ और दूसरी एजेंसियों के कर्मचारी भी भय के साथ सड़क निर्माण का काम कर रहे हैं. बॉर्डर की लाइफ लाइन कही जाने वाली यह सड़क दारमा और चौदास घाटियों में रहने वाले लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इसी साल जुलाई महीने में भी इस सड़क का एक बड़ा हिस्सा बह जाने से एक हफ्ते तक हजारों लोगों की आबादी का संपर्क मुख्यालय से टूटा रहा.
सड़क निर्माण में होने वाले धमाके नहीं झेल पाते पहाड़: कुमाऊं जैसे रीजन में जो पहाड़ हैं वो बेहद रेतीले हैं, ऐसे में जिस जगह पर इस सड़क का निर्माण हो रहा है वो इसी वजह से साल में कई बार बंद रहती है क्योंकि विस्फोट और बड़ी-बड़ी मशीनों की वजह से ये पहाड़ उनकी कंपन झेल नहीं पाते. लिपुलेख रोड सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. आईटीबीपी और एसएसबी के जवान चीन-नेपाल बॉर्डर पर पहुंचने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं. बरसात के दिनों में यह इलाका और भी अधिक खतरनाक हो जाता है.
तैनात रहती है SDRF और पुलिस: स्थानीय लोगों की मानें तो जिस दिन से इस रोड का उद्घाटन हुआ है, उस दिन से आज तक कुछ भी नहीं बदला. बरसात में हालात बेहद खतरनाक हो जाते हैं. वहीं 4 सालों में कई बार यहां भूस्खलन की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो चुकी है. पिथौरागढ़ एसपी लोकेश्वर सिंह कहते हैं कि जिस जगह भूस्खलन की सूचना या अंदेशा होता है वहां पर तत्काल ट्रैफिक रोका जाता है. लोग अब काफी जागरुक हो गए हैं और सावधानी पूर्वक चलते हैं. इस पूरे मार्ग पर कई ऐसे प्वाइंट्स हैं जहां पर एसडीआरएफ और पुलिस के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है.
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