रायपुर: सावन (Sawan) के महीने की शुरुआत 25 जुलाई को हुई थी. अब तक सावन के दो सोमवार बीत गए हैं. आज सावन का तीसरा सोमवार है. इस दिन अश्लेषा नक्षत्र का शुभ योग बन रहा है. जो भी जातक इस दिन शुभ नक्षत्र में भगवान महादेव की पूजा अर्चना करेगा उसे पुण्य फल की प्राप्ति होगी. आपको बता दें कि अश्लेषा नक्षत्र रूप, गुण, कला, ज्ञान और विवेक आदि के लिए अहम माना गया है.
शास्त्रों के मुताबिक अश्लेषा का अर्थ आलिंग होता है. आकाश मंडल की बात करें तो अश्लेषा नक्षत्र को 9वां स्थान प्राप्त है. यह नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत आता है. ज्योतिष के मुताबिक इस नक्षत्र का स्वामी बुध है. इस नक्षत्र के देव सर्प हैं जो कि भगवान शिव के कंठ पर सुशोभित हैं. इसलिए इस शुभ संयोग पर जो भी जातक भगवान शिव की पूजा अर्चना करेगा उसके मनोवांक्षित फल प्राप्त होंगे.
राहु काल का रखें ध्यान
इस सावन पूजा के दौरान राहु काल का विशेष ख्याल रखें. राहु काल को अशुभ योग माना गया है. इस योग में पूजा और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. सोवान के तीसरे सोमवार यानि 09 अगस्त 2021 को पंचांग के अनुसार राहु काल का समय प्रात: 07 बजकर 26 मिनट से प्रात: 09 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है. इसलिए जातक या श्रद्धालु अभिजीत मुहूर्त में भोलेनाथ की पूजा करें तो बेहतर होगा.
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कैसे करें भगवान शिव की पूजा ?
सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ जल से स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा घर या मंदिर जाएं, वहां भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर या फिर शिवलिंग हो तो सर्वोत्तम होगा, उसे स्वच्छ जल से धोकर साफ कर लें. फिर तांबे के लोटे या कांस्य के पात्र में जल भरें. फिर उसमें गंगा जल मिला लें. भगवान शिव का जलाभिषेक करें और उनको सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करें. प्रसाद में फल और मिठाई चढाएं. भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्र, हल्दी और केतकी का फूल कदापि न अर्पित करें. शिवलिंग (Shivling) पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, जल और दूध अर्पित करने से से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए.
भोलेनाथ की पूजा के लिए विशेष मंत्र
सावन के सभी सोमवार के दिन इन मंत्रों के साथ पूजा करें. परिवार पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहेगी.
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
- नमो नीलकण्ठाय
- ॐ पार्वतीपतये नमः