हैदराबाद : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भारत सहित दुनिया भर में फैले हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं. कृष्ण जन्मोत्सव अलावा भी जन्माष्टमी को कई नामों से जाना जाता है. कई जगहों पर इसे गोकुल अष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती का त्योहार भारत में भी अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. केरल में लोग इसे अष्टमी रोहिणी के नाम से जानते हैं. वहीं गुजरात में सतम अथम के नाम से जाना जाता है.
कई जगहों पर भव्य तरीके से होता है दही हांडी
कुल मिलाकर सभी जगहों पर जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग तरह से पूजा करते हैं. मुख्य रूप से यह 2 दिवसीय त्योहार है. पहले दिन श्री जन्माष्टमी मनाया जाता है. उसके अलगे दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है. महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों में दही हांडी का काफी बड़ा आयोजन होता है.
दिनभर निर्जला उपवास की परंपरा
जन्माष्टमी के अवसर भगवान कृष्ण के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखने की परंपरा है. देर रात भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के बाद मंदिरों व घरों में धूम-धाम से पूजा करने के बाद उपवास मनाते हैं. जन्मोत्सव के बाद अलगे दिन भक्त मंदिर फल, मिठाई-मेवा, तुलसी पत्ता व फल-फूल चढ़ाकर स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं और अन्य लोगों को वितरित करते हैं.
कैसे मनाएं भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव
- भगवान श्रीकृष्ण को माखन- मिश्री का भोग लगाएं. इसके बाद किसी नन्हें बालक को माखन-मिश्री प्रतीकात्म रूप से चखाएं.
- इस अवसर पर झूले को अपनी सुविधानुसार सजाएं और भगवान कृष्ण की प्रतिमा/चित्र को स्थापित करें
- संभव हो तो इस अवसर घर में नन्हें बच्चों को कृष्ण रूप में सजाएं-संवारें.
- धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण को गाय-बछड़ों से काफी लगाव था. घर में इस गाय-बछड़े की प्रतिमा लाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और संतान संबंधी चिंताएं दूर होती हैं.
- भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख काफी पसंद था. इसलिए संभव हो तो पूजन में मोर पंख जरूर जढ़ायें.
- भगवान श्रीकृष्ण को परिजात, हरश्रृंगार सहित कई फूलों कों से काफी लगाव था. इनमें से कोई एक फूल का उपयोग पूजन में अवश्य करें.