जींद: बीजेपी की नीतियों से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने गांधी जयंती के मौके पर हरियाणा के जींद में रैली की. 'मेरी आवाज सुनो' रैली के माध्यम से बीरेंद्र सिंह से एक बार फिर से बागी तेवर दिखाए. सबसे बड़ी बात ये रही कि बीरेंद्र सिंह ने बिना बीजेपी के झंडे के जींद में रैली की. मेरी आवाज सुनो रैली में बीरेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर कहा कि किसानों को साल में 2000 की खैरात नहीं चाहिए.
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उन्होंने कहा कि फसलों के दामों में बढ़ोतरी होनी चाहिए. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है. महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं. महिलाओं को उनका अधिकार नहीं मिल रहा. आज युवा बेरोजगारी से परेशान है. रोजगार के लिए युवा विदेश जा रहे हैं. प्रजातंत्र से युवाओं का मन उठ रहा है. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कब तक झूठे तारों के सहारे सियासत चलेगी. सबके लिए समान शिक्षा की नीति बनानी चाहिए.
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मैंने कार्यकर्ताओं से कहा है कि जो तुम चाहते हो, मैं वही करूंगा. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे कांग्रेस में भरपूर सम्मान मिला है. उन्होंने कहा कि मैंने 42 साल कांग्रेस में काम किया. सबसे ज्यादा आत्मविश्वास मुझे कांग्रेस में मिला. हरियाणा के किसी नेता को इतना सम्मान नहीं मिला. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में मैं किसानों के साथ खड़ा रहा. बीजेपी जेपी गठबंधन पर बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि अगर गठबंधन रहेगा तो मैं साथ नहीं रहूंगा. बीजेपी को सत्ता में लाने में हमारा अहम योगदान है. उन्होंने कहा कि मैं धर्म के नाम पर बांटने वालों के खिलाफ हूं.
हरियाणा की राजनीति में चौधरी वीरेंद्र सिंह: बता दें कि, चौधरी बीरेंद्र सिंह उचाना कलां से पांच बार विधायक रह चुके हैं. ऐसे में एक तरह से यह सीट उनकी परंपरागत सीट गई है. उचाना कलां सीट की सियासत बीरेंद्र सिंह और उनके परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती है. लोकसभा चुनाव 2019 में चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के सामने दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में बीरेंद्र सिंह के बेटे ने जीत हासिल की थी.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में उचाना सीट पर दुष्यंत चौटाला के सामने चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता चुनावी मैदान में थीं, जिसमें दुष्यंत चौटाला ने बीरेंद्र सिंह की पत्नी को हरा दिया था. इसके साथ ही यह माना जाता है कि चौधरी बीरेंद्र के परिवार और चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक टकराव भी रहा है.