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तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे, जानें आगे की तैयारी - नई दिल्ली

केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन के प्रदर्शन को बुधवार को 300 दिन पूरे हो गए. इस मौके पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान जारी कर कहा कि यह आंदोलन देश के लाखों किसानों की इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता का सबूत है और ये और दृढ़ हुई है.

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Published : Sep 22, 2021, 10:24 PM IST

नई दिल्ली : किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसानों को दिल्ली की सीमा पर रहने को मजबूर किए जाने के बाद से 300 दिन पूरे हो गए हैं. प्रदर्शनकारी किसान शांतिपूर्ण तरीके से देश की खाद्य एवं कृषि प्रणाली पर उद्योग घरानों के कब्जे के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं.

उनकी मांगे स्पष्ट है जिसकी जानकारी मोदी सरकार को है और जो हठपूर्वक किसानों की जायज मांगों को नहीं मानने पर अड़ी है. यह स्थिति तब है जब देश के कामगारों में किसानों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है और हमारे लोकतंत्र में चुनाव मुख्यत: किसानों द्वारा किए जाने वाले मतदान से जीते जाते हैं.

बयान के मुताबिक किसान संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन को मजबूत करने और पूरे देश में व्यापक बनाने का संकल्प लिया. इसके साथ ही एसकेएम की ओर से 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद की भी तैयारियां की जा रही हैं.

एसकेएम ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में समाज के विभिन्न वर्गों से किसान संगठन संपर्क कर रहे हैं ताकि किसानों की मांगों को लेकर समर्थन और एकजुटता प्राप्त की जा सके. यह आंदोलन देश के लोकतंत्र को बचाने का आंदोलन बन गया है.

बयान के मुताबिक बंद में कई किसान संगठनों के साथ-साथ कर्मचारी संघों, कारोबार संघों, कर्मचारियों और छात्र संघों, महिला संगठनों, ट्रांसपोर्टर संगठनों को शामिल किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें-किसान महापंचायत : राकेश टिकैत बोले- भाजपा सरकार के राज में पूरा देश बर्बाद

एसकेएम ने कहा कि बंद के दौरान आयोजित रैली में अधिक लोगों को शामिल करने के लिए किसान महापंचायत आयोजित की जा रही है और साइकिल एवं मोटर साइकिल रैली का भी आयोजन किया जा रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसानों को दिल्ली की सीमा पर रहने को मजबूर किए जाने के बाद से 300 दिन पूरे हो गए हैं. प्रदर्शनकारी किसान शांतिपूर्ण तरीके से देश की खाद्य एवं कृषि प्रणाली पर उद्योग घरानों के कब्जे के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं.

उनकी मांगे स्पष्ट है जिसकी जानकारी मोदी सरकार को है और जो हठपूर्वक किसानों की जायज मांगों को नहीं मानने पर अड़ी है. यह स्थिति तब है जब देश के कामगारों में किसानों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है और हमारे लोकतंत्र में चुनाव मुख्यत: किसानों द्वारा किए जाने वाले मतदान से जीते जाते हैं.

बयान के मुताबिक किसान संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन को मजबूत करने और पूरे देश में व्यापक बनाने का संकल्प लिया. इसके साथ ही एसकेएम की ओर से 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद की भी तैयारियां की जा रही हैं.

एसकेएम ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में समाज के विभिन्न वर्गों से किसान संगठन संपर्क कर रहे हैं ताकि किसानों की मांगों को लेकर समर्थन और एकजुटता प्राप्त की जा सके. यह आंदोलन देश के लोकतंत्र को बचाने का आंदोलन बन गया है.

बयान के मुताबिक बंद में कई किसान संगठनों के साथ-साथ कर्मचारी संघों, कारोबार संघों, कर्मचारियों और छात्र संघों, महिला संगठनों, ट्रांसपोर्टर संगठनों को शामिल किया जा रहा है.

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एसकेएम ने कहा कि बंद के दौरान आयोजित रैली में अधिक लोगों को शामिल करने के लिए किसान महापंचायत आयोजित की जा रही है और साइकिल एवं मोटर साइकिल रैली का भी आयोजन किया जा रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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