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MONEY LAUNDRING : एनएसआईसी, UBI के पूर्व अधिकारियों के खिलाफ ED की छापेमारी - पश्चिम बंगाल स्थित कुछ पूर्व अधिकारियों के यहां छापेमारी

धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के पश्चिम बंगाल स्थित कुछ पूर्व अधिकारियों के यहां छापेमारी की गई. कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी के जरिये निगम को 173 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

ED (file photo)
प्रवर्तन निदेशालय (फाइल फोटो)
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Published : Dec 10, 2021, 6:37 AM IST

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के पश्चिम बंगाल स्थित कुछ पूर्व अधिकारियों के यहां छापेमारी की. ईडी कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी के जरिये निगम को 173 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े धनशोधन मामले की जांच कर रही है. यह जानकारी ईडी ने गुरुवार को दी.

ईडी ने एक बयान में कहा कि छापेमारी सात नवंबर को एनएसआईसी के तत्कालीन क्षेत्रीय उप महाप्रबंधक (डीजीएम) माणिक लाल दास, एक अन्य डीजीएम गोपीनाथ भट्टाचार्य, एनएसआईसी के पूर्व विपणन प्रबंधक जयंत दास, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के पूर्व प्रबंधकों माणिक मोहन मिश्रा और प्रदीप कुमार गंगोपाध्याय के आवासीय परिसरों पर की गई.

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि छापे के दौरान 1.04 करोड़ रुपये की सावधि जमा रसीदें और कुछ अन्य दस्तावेज जब्त किए गए.

ईडी का मामला पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी ​​द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है. यह आरोप है कि 'एनएसआईसी को 173.50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया जिसने अपनी कच्ची सामग्री सहायता (आरएमए) योजना के तहत आरोपियों को उधार दिए थे.'

कथित धोखाधड़ी 'आपराधिक साजिश के जरिये अन्य असंबद्ध संस्थाओं की बैंक गारंटी (बीजी) और (तत्कालीन यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कोलकाता की विभिन्न शाखाओं द्वारा जारी) फर्जी गारंटी जमा करके की गई.' यूबीआई का विलय अब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हो गया है. ईडी ने कहा कि कथित धोखाधड़ी तब सामने आई जब इन बैंक गारंटी को एनएसआईसी द्वारा लागू किया गया.

पढ़ें- ईडी ने आईएमएस घोटाले में पीएमएलए के तहत 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

एनएसआईसी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के तहत एक संगठन है और यह इस क्षेत्र में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. ईडी ने कहा, 'एनएसआईसी की आरएमए योजना के तहत प्राप्त धन को देवव्रत हलदर (एक बिचौलिया), उत्पल सरकार और राहुल पॉल (फर्जी एमएसएमई और आपूर्तिकर्ता कंपनियों का लाभकारी मालिक) की सक्रिय मिलीभगत से विभिन्न फर्जी आपूर्तिकर्ता कंपनियों के खातों के माध्यम से शोधित किया गया या डायवर्ट किया गया. यह सब एनएसआईसी और यूबीआई के तत्कालीन अधिकारियों के साथ मिलकर किया गया.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के पश्चिम बंगाल स्थित कुछ पूर्व अधिकारियों के यहां छापेमारी की. ईडी कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी के जरिये निगम को 173 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े धनशोधन मामले की जांच कर रही है. यह जानकारी ईडी ने गुरुवार को दी.

ईडी ने एक बयान में कहा कि छापेमारी सात नवंबर को एनएसआईसी के तत्कालीन क्षेत्रीय उप महाप्रबंधक (डीजीएम) माणिक लाल दास, एक अन्य डीजीएम गोपीनाथ भट्टाचार्य, एनएसआईसी के पूर्व विपणन प्रबंधक जयंत दास, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के पूर्व प्रबंधकों माणिक मोहन मिश्रा और प्रदीप कुमार गंगोपाध्याय के आवासीय परिसरों पर की गई.

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि छापे के दौरान 1.04 करोड़ रुपये की सावधि जमा रसीदें और कुछ अन्य दस्तावेज जब्त किए गए.

ईडी का मामला पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी ​​द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है. यह आरोप है कि 'एनएसआईसी को 173.50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया जिसने अपनी कच्ची सामग्री सहायता (आरएमए) योजना के तहत आरोपियों को उधार दिए थे.'

कथित धोखाधड़ी 'आपराधिक साजिश के जरिये अन्य असंबद्ध संस्थाओं की बैंक गारंटी (बीजी) और (तत्कालीन यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कोलकाता की विभिन्न शाखाओं द्वारा जारी) फर्जी गारंटी जमा करके की गई.' यूबीआई का विलय अब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हो गया है. ईडी ने कहा कि कथित धोखाधड़ी तब सामने आई जब इन बैंक गारंटी को एनएसआईसी द्वारा लागू किया गया.

पढ़ें- ईडी ने आईएमएस घोटाले में पीएमएलए के तहत 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

एनएसआईसी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के तहत एक संगठन है और यह इस क्षेत्र में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. ईडी ने कहा, 'एनएसआईसी की आरएमए योजना के तहत प्राप्त धन को देवव्रत हलदर (एक बिचौलिया), उत्पल सरकार और राहुल पॉल (फर्जी एमएसएमई और आपूर्तिकर्ता कंपनियों का लाभकारी मालिक) की सक्रिय मिलीभगत से विभिन्न फर्जी आपूर्तिकर्ता कंपनियों के खातों के माध्यम से शोधित किया गया या डायवर्ट किया गया. यह सब एनएसआईसी और यूबीआई के तत्कालीन अधिकारियों के साथ मिलकर किया गया.'

(पीटीआई-भाषा)

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