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अयोध्या की तरह हिमाचल में भी राम मंदिर, जहां विराजते हैं भगवान रघुनाथ, जानें इनसे जुड़ी मान्यता - हिमाचल कुल्लू राम मंदिर

Kullu Ram temple: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिसको लेकर देशभर के भक्तों में उत्साह का माहौल है. वहीं, आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में भी अयोध्या के तरह राम मंदिर है, जहां भगवान रघुनाथ विराजते हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Kullu Ram temple Ayodhya
अयोध्या की तरह कुल्लू में भी राम मंदिर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 8, 2024, 9:28 PM IST

Updated : Jan 8, 2024, 9:39 PM IST

कुल्लू: देश भर में जहां भगवान राम के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह की धूम मची हुई है. वहीं, इस प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश भर में भक्तों को निमंत्रण भी दिए जा रहे हैं. ऐसे में सभी भक्तों के मन में उत्साह है कि सैकड़ों सालों के बाद भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. भगवान राम के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्धा देखी जा रही है. अयोध्या में जहां भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में भी भगवान राम का प्राचीन मंदिर है. इसके प्रति भी यहां पर हजारों लोगों की श्रद्धा है और भगवान राम कुल्लू जिला के आराध्य देव भी है.

कुल्लू में भगवान राम का प्राचीन मंदिर: भगवान श्री राम यहां पर रघुनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं. यह मंदिर जिला कुल्लू के मुख्यालय सुल्तानपुर में बना हुआ है. यहां पर भगवान राम के सभी त्योहार प्रमुखता से मनाए जाते हैं और भगवान श्री राम की पूजा पद्धति भी अयोध्या की तर्ज पर ही की जाती है. भगवान राम के प्रमुख त्यौहार में यहां पर कुल्लू का दशहरा, बसंत पंचमी, दिवाली, अन्नकूट सहित कई अन्य ऐसे पर्व है. इस दौरान भगवान रघुनाथ की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और हजारों भक्त इस मूर्ति के दर्शन करते हैं. भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से लाया गया था और कहा जाता है कि यह मूर्ति अश्वमेध यज्ञ के दौरान भगवान श्री राम ने स्वयं अपने हाथों से तैयार की थी. यहां पर भगवान राम के साथ माता सीता और हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है.

Kullu Ram temple Ayodhya
अयोध्या की तरह कुल्लू में भी राम मंदिर

कुल्लू में भगवान रघुनाथ से जुड़ी रोचक घटना: भगवान रघुनाथ के कुल्लू आने के पीछे भी एक रोचक घटना है. दशहरा उत्सव का आयोजन 17वीं सदी में कुल्लू के राजा जगत सिंह के शासनकाल में शुरू हुआ. राजा जगत सिंह ने साल 1637 से 1662 ईसवीं तक शासन किया. उस समय कुल्लू रियासत की राजधानी नग्गर में हुई हुआ करती थी. कहा जाता है कि राजा जगत सिंह के शासनकाल में मणिकर्ण घाटी के टिप्परी गांव में एक गरीब ब्राह्मण दुर्गा दत्त रहता था. राजा जगत सिंह को किसी ने गलत सूचना दी कि गरीब ब्राह्मण के पास मोती है. राजा ने यह मोती उस ब्राह्मण से मांग लिए, लेकिन ब्राह्मण के पास कोई मोती नहीं थे और राजा के डर से उसने अपने परिवार के साथ आत्मदाह कर लिया. जिसके चलते राजा जगत सिंह को एक गंभीर बीमारी भी लग गई.

ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए राजा ने की पूजा: राजा जगत सिंह को झिड़ी के एक पयोहारी बाबा किशन दास ने सलाह दी कि अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से भगवान रामचंद्र, माता सीता और हनुमान की मूर्ति को कुल्लू में लाकर स्थापित करें और अपना राज पाठ भगवान रघुनाथ को सौंप दे तो उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाएगी. उसके बाद राजा जगत सिंह ने श्री रघुनाथ जी की प्रतिमा को लाने के लिए बाबा किशन दास के भक्त दामोदर दास को अयोध्या भेजा. दामोदर दास ने 1651 में भगवान रघुनाथ, माता सीता, हनुमान की मूर्ति लेकर सबसे पहले मकराहड पहुंचे और उसके बाद 1653 में इस मूर्ति को मणिकर्ण के राम मंदिर में भी रखा गया. वर्ष 1660 में पूरे विधि विधान के साथ इस मूर्ति को कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया गया और राजा ने अपना सारा राज पाठ में भगवान रघुनाथ के नाम कर दिया. उसके बाद से लेकर आज तक राज परिवार उनके छड़ी बरदार बने और भगवान रघुनाथ को ही कुल्लू का प्रमुख देवता माना गया.

भगवान रघुनाथ के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव: साल 1660 में कुल्लू में भगवान रघुनाथ के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का आयोजन शुरू किया गया, जो आज तक मनाया जाता है. उस समय पहली बार देवी देवताओं का रिकॉर्ड रखा जाने लगा और दशहरा उत्सव में 365 देवी देवता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते थे. अब दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्रदान किया गया और देवी देवताओं के मिलन के साथ यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश से आए कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देते हैं. इसके अलावा कुल्लू जिला के समृद्ध संस्कृति के दर्शन के लिए देश-विदेश से भी सैलानी विशेष रूप से यहां आते हैं. देवी देवताओं का मिलन और देव संस्कृति के लिए भी यहां पर कई शोधार्थी यहां शोध के लिए पहुंचते है.

Kullu Ram temple Ayodhya
कुल्लू स्थित राम मंदिर में विराजते भगवान रघुनाथ

साल 2014 में भगवान रघुनाथ की मूर्ति हुई थी चोरी: कुल्लू के रघुनाथ मंदिर से 8 दिसंबर 2014 की रात भगवान रघुनाथ की मूर्ति चोरी हो गई थी. वहीं, इसके लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा विशेष जांच टीम का गठन किया गया था. 10 दिसंबर को इंटरपोल, एसएसबी, इमीग्रेशन कार्यालय सहित अन्य एजेंसी को भी पूरा ब्यौरा मुहैया करवाया गया था. ऐसे में 16 दिसंबर को संदिग्धों का स्केच जारी किया गया. वहीं, 28 दिसंबर को माता चामुंडा ने भी मंदिर में देव वाणी के दौरान कहा था कि भगवान रघुनाथ जल्द मिलेंगे. इसके अलावा 19 जनवरी को नेपाल समेत देश के अन्य इलाको में भी आधा दर्जन पुलिस की टीम में भेजी गई. 23 जनवरी को नेपाल के रहने वाले नर बहादुर की निशानदेही पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया और भगवान रघुनाथ की मूर्ति को बरामद किया गया था. नर बहादुर को पुलिस द्वारा नेपाल में अपनी हिरासत में लिया गया था. उसके बाद यहां पर बसंत पंचमी का भी आयोजन किया गया था और भगवान रघुनाथ के वापस आने पर लोगों ने दिवाली जैसा त्यौहार मनाया था.

राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कुल्लू वासियों में उत्साह: भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जिला कुल्लू में लोगों में भी काफी उत्साह है. यहां पर भी सभी मंदिरों में 22 जनवरी को दीए जलाकर दिवाली मनाई जाएगी. भगवान रघुनाथ के मंदिर में भी विशेष भजन कीर्तन का आयोजन किया जाएगा और भगवान राम का गुणगान किया जाएगा. भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह का कहना है कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को उनके पूर्वजों द्वारा अयोध्या से लाया गया है और अयोध्या की तर्ज पर ही भगवान के सभी त्योहार यहां पर मनाए जाते हैं. यहां पर भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिए हर साल हजारों लोग आते हैं और भगवान रघुनाथ के सभी त्योहारों में अपनी भूमिका निभाते हैं. दशहरा, होली, दिवाली, बसंत पंचमी सहित कई अन्य त्यौहार के दौरान भगवान रघुनाथ मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देते हैं.

जिला कुल्लू के आराध्य देव भगवान रघुनाथ: कुल्लू के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर का कहना है कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को मकराहड, मणिकर्ण, नग्गर मर भी रखा गया था और वहां पर भी दशहरा उत्सव का आयोजन किया जाता है. भगवान रघुनाथ के सम्मान में यहां पर सैकड़ो देवी देवता दशहरा उत्सव में अपने उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और इस उत्सव को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग ढालपुर पहुंचते हैं. भगवान रघुनाथ जिला कुल्लू के आराध्य हैं और भगवान राम मंदिर प्रतिष्ठा को लेकर भी लोगों में यहां भारी उत्साह है.

ये भी पढ़ें: 'सौभाग्यशाली हूं मुझे राम मंदिर आने का निमंत्रण मिला, 22 जनवरी को मैं इतिहास का गवाह बनूंगा'

कुल्लू: देश भर में जहां भगवान राम के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह की धूम मची हुई है. वहीं, इस प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश भर में भक्तों को निमंत्रण भी दिए जा रहे हैं. ऐसे में सभी भक्तों के मन में उत्साह है कि सैकड़ों सालों के बाद भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. भगवान राम के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्धा देखी जा रही है. अयोध्या में जहां भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में भी भगवान राम का प्राचीन मंदिर है. इसके प्रति भी यहां पर हजारों लोगों की श्रद्धा है और भगवान राम कुल्लू जिला के आराध्य देव भी है.

कुल्लू में भगवान राम का प्राचीन मंदिर: भगवान श्री राम यहां पर रघुनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं. यह मंदिर जिला कुल्लू के मुख्यालय सुल्तानपुर में बना हुआ है. यहां पर भगवान राम के सभी त्योहार प्रमुखता से मनाए जाते हैं और भगवान श्री राम की पूजा पद्धति भी अयोध्या की तर्ज पर ही की जाती है. भगवान राम के प्रमुख त्यौहार में यहां पर कुल्लू का दशहरा, बसंत पंचमी, दिवाली, अन्नकूट सहित कई अन्य ऐसे पर्व है. इस दौरान भगवान रघुनाथ की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और हजारों भक्त इस मूर्ति के दर्शन करते हैं. भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से लाया गया था और कहा जाता है कि यह मूर्ति अश्वमेध यज्ञ के दौरान भगवान श्री राम ने स्वयं अपने हाथों से तैयार की थी. यहां पर भगवान राम के साथ माता सीता और हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है.

Kullu Ram temple Ayodhya
अयोध्या की तरह कुल्लू में भी राम मंदिर

कुल्लू में भगवान रघुनाथ से जुड़ी रोचक घटना: भगवान रघुनाथ के कुल्लू आने के पीछे भी एक रोचक घटना है. दशहरा उत्सव का आयोजन 17वीं सदी में कुल्लू के राजा जगत सिंह के शासनकाल में शुरू हुआ. राजा जगत सिंह ने साल 1637 से 1662 ईसवीं तक शासन किया. उस समय कुल्लू रियासत की राजधानी नग्गर में हुई हुआ करती थी. कहा जाता है कि राजा जगत सिंह के शासनकाल में मणिकर्ण घाटी के टिप्परी गांव में एक गरीब ब्राह्मण दुर्गा दत्त रहता था. राजा जगत सिंह को किसी ने गलत सूचना दी कि गरीब ब्राह्मण के पास मोती है. राजा ने यह मोती उस ब्राह्मण से मांग लिए, लेकिन ब्राह्मण के पास कोई मोती नहीं थे और राजा के डर से उसने अपने परिवार के साथ आत्मदाह कर लिया. जिसके चलते राजा जगत सिंह को एक गंभीर बीमारी भी लग गई.

ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए राजा ने की पूजा: राजा जगत सिंह को झिड़ी के एक पयोहारी बाबा किशन दास ने सलाह दी कि अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से भगवान रामचंद्र, माता सीता और हनुमान की मूर्ति को कुल्लू में लाकर स्थापित करें और अपना राज पाठ भगवान रघुनाथ को सौंप दे तो उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाएगी. उसके बाद राजा जगत सिंह ने श्री रघुनाथ जी की प्रतिमा को लाने के लिए बाबा किशन दास के भक्त दामोदर दास को अयोध्या भेजा. दामोदर दास ने 1651 में भगवान रघुनाथ, माता सीता, हनुमान की मूर्ति लेकर सबसे पहले मकराहड पहुंचे और उसके बाद 1653 में इस मूर्ति को मणिकर्ण के राम मंदिर में भी रखा गया. वर्ष 1660 में पूरे विधि विधान के साथ इस मूर्ति को कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया गया और राजा ने अपना सारा राज पाठ में भगवान रघुनाथ के नाम कर दिया. उसके बाद से लेकर आज तक राज परिवार उनके छड़ी बरदार बने और भगवान रघुनाथ को ही कुल्लू का प्रमुख देवता माना गया.

भगवान रघुनाथ के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव: साल 1660 में कुल्लू में भगवान रघुनाथ के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का आयोजन शुरू किया गया, जो आज तक मनाया जाता है. उस समय पहली बार देवी देवताओं का रिकॉर्ड रखा जाने लगा और दशहरा उत्सव में 365 देवी देवता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते थे. अब दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्रदान किया गया और देवी देवताओं के मिलन के साथ यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश से आए कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देते हैं. इसके अलावा कुल्लू जिला के समृद्ध संस्कृति के दर्शन के लिए देश-विदेश से भी सैलानी विशेष रूप से यहां आते हैं. देवी देवताओं का मिलन और देव संस्कृति के लिए भी यहां पर कई शोधार्थी यहां शोध के लिए पहुंचते है.

Kullu Ram temple Ayodhya
कुल्लू स्थित राम मंदिर में विराजते भगवान रघुनाथ

साल 2014 में भगवान रघुनाथ की मूर्ति हुई थी चोरी: कुल्लू के रघुनाथ मंदिर से 8 दिसंबर 2014 की रात भगवान रघुनाथ की मूर्ति चोरी हो गई थी. वहीं, इसके लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा विशेष जांच टीम का गठन किया गया था. 10 दिसंबर को इंटरपोल, एसएसबी, इमीग्रेशन कार्यालय सहित अन्य एजेंसी को भी पूरा ब्यौरा मुहैया करवाया गया था. ऐसे में 16 दिसंबर को संदिग्धों का स्केच जारी किया गया. वहीं, 28 दिसंबर को माता चामुंडा ने भी मंदिर में देव वाणी के दौरान कहा था कि भगवान रघुनाथ जल्द मिलेंगे. इसके अलावा 19 जनवरी को नेपाल समेत देश के अन्य इलाको में भी आधा दर्जन पुलिस की टीम में भेजी गई. 23 जनवरी को नेपाल के रहने वाले नर बहादुर की निशानदेही पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया और भगवान रघुनाथ की मूर्ति को बरामद किया गया था. नर बहादुर को पुलिस द्वारा नेपाल में अपनी हिरासत में लिया गया था. उसके बाद यहां पर बसंत पंचमी का भी आयोजन किया गया था और भगवान रघुनाथ के वापस आने पर लोगों ने दिवाली जैसा त्यौहार मनाया था.

राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कुल्लू वासियों में उत्साह: भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जिला कुल्लू में लोगों में भी काफी उत्साह है. यहां पर भी सभी मंदिरों में 22 जनवरी को दीए जलाकर दिवाली मनाई जाएगी. भगवान रघुनाथ के मंदिर में भी विशेष भजन कीर्तन का आयोजन किया जाएगा और भगवान राम का गुणगान किया जाएगा. भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह का कहना है कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को उनके पूर्वजों द्वारा अयोध्या से लाया गया है और अयोध्या की तर्ज पर ही भगवान के सभी त्योहार यहां पर मनाए जाते हैं. यहां पर भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिए हर साल हजारों लोग आते हैं और भगवान रघुनाथ के सभी त्योहारों में अपनी भूमिका निभाते हैं. दशहरा, होली, दिवाली, बसंत पंचमी सहित कई अन्य त्यौहार के दौरान भगवान रघुनाथ मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देते हैं.

जिला कुल्लू के आराध्य देव भगवान रघुनाथ: कुल्लू के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर का कहना है कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को मकराहड, मणिकर्ण, नग्गर मर भी रखा गया था और वहां पर भी दशहरा उत्सव का आयोजन किया जाता है. भगवान रघुनाथ के सम्मान में यहां पर सैकड़ो देवी देवता दशहरा उत्सव में अपने उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और इस उत्सव को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग ढालपुर पहुंचते हैं. भगवान रघुनाथ जिला कुल्लू के आराध्य हैं और भगवान राम मंदिर प्रतिष्ठा को लेकर भी लोगों में यहां भारी उत्साह है.

ये भी पढ़ें: 'सौभाग्यशाली हूं मुझे राम मंदिर आने का निमंत्रण मिला, 22 जनवरी को मैं इतिहास का गवाह बनूंगा'

Last Updated : Jan 8, 2024, 9:39 PM IST
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