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अब AI बना साइबर ठगों का नया हथियार, पैसे के लिए किसी अपने का आए फोन तो रहें सतर्क, जल्दबाजी पड़ सकती है भारी

साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए नए-नए पैंतरे अपनाते रहते हैं. कभी बैंक डिटेल, कभी क्रेडिट कार्ड तो कभी किसी सरकारी योजना के नाम पर ठगी के कई किस्से आपने सुने होंगे. लेकिन साइबर ठगों का सबसे नया हथियार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है, जिसके जरिए वो शातिराना अंदाज में ठगी को अंजाम दे रहे हैं.

cyber fraud with ai
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Published : Aug 17, 2023, 5:07 PM IST

फरीदाबाद: जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है. वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़ता जा रहा है. साइबर अपराधी अब हाई टेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग अब AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर लोगों से ठगी कर रहे हैं. वो लोगों के चेहरे और आवाज का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हरियाणा के फरीदाबाद से सामने आया है.

ये भी पढ़ें- Cyber Fraud Using AI: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से साइबर ठगी, शिमला में रिश्तेदार की आवाज में कॉल करके 2 लाख रुपये ठगे

एनआईटी साइबर थाना प्रभारी नवीन ने बताया कि पंचशील कॉलोनी के रहने वाले करण ने एफआईआर दर्ज करवाई है. जिसमें करण ने बताया कि उसके पास अनजान नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने उसके दोस्त की आवाज में बताया कि वो बाहर घूमने गया था. जहां उसका एक्सीडेंट हो गया. वो इस समय अस्पताल में भर्ती है और एक्सीडेंट के दौरान उसका फोन भी टूट गया. इस वजह से वो किसी दूसरे के फोन से बात कर रहा है.

AI के जरिए ठगी: करण के मुताबिक उसके दोस्त ने फोन पर इलाज के लिए 30 हजार रुपये मांगे. करण ने दोस्त की मुसीबत को सुन उसके बताए हुए नंबर पर 30 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए. बाद में करण ने जब अपने दोस्त का हाल जानने के लिए उसके नंबर पर फोन किया, तो उसके दोस्त ने बताया कि वो सही सलामत है. उसका कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ. जिसके बाद करण को अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ और उसने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई.

AI की मदद से तैयार किया जाता है आवाज का क्लोन: साइबर एक्सपर्ट और सेंट्रल साइबर थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि इन दिनों एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाता है. इसमें साइबर ठग को ठगी करने के लिए शख्स की आवाज का सैंपल चाहिए होता है. जिसके आधार पर आवाज का क्लोन बनाया जाता है और फिर उससे ठगी की वारदात को अंजाम दिया जाता है.

सोशल मीडिया के जरिए जुटाई जाती है जानकारी: आवाज का क्लोन तैयार करने के लिए साइबर अपराधी सबसे पहले इंटरनेट, सोशल मीडिया या किसी और माध्यम से उस व्यक्ति की जानकारी हासिल करते हैं. जिसकी आवाज का उन्हें क्लोन बनाना हो. इसके बाद अपराधी उस युवक का नाम और फोन नंबर जुटाते हैं. इसके बाद अपराधी उस युवक से कस्टमर केयर या अन्य सर्विस प्रोवाइडर बन कर कॉल करते हैं. इस दौरान अपराधी उनकी आवाज रिकॉर्ड कर लेते हैं.

इस तरह करते हैं ठगी: इस तरह सैंपल लेने के लिए अपराधी सोशल साइट्स पर अपलोड की गई वीडियो से भी आवाज को रिकॉर्ड कर लेते हैं. उसके बाद इस आवाज को क्लोन के लिए एआई टूल में अपलोड कर देते हैं. इसके बाद इस टूल के जरिए जब किसी को कॉल की जाती है, तो सामने वाले को हूबहू उस व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है. ऐसे में साइबर अपराधी टूल के जरिए खुद को मुसीबत में फंसा हुआ बताकर. लोगों के साथ ठगी करते हैं.

ये भी पढ़ें- Faridabad Crime News: एनआईटी से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा को जान से मारने की धमकी, क्राइम ब्रांच ने आरोपी को दबोचा

AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्लोन की आवाज हूबू होने की वजह से लोग आसानी से विश्वास कर लेते हैं, कि वो तो उसका दोस्त या रिश्तेदार है. इसीलिए बिना सोचे समझे लोग उनके बताए गए नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. बाद में उन्हें ठगी का अहसास होता है.

सतर्कता ही बचाव का तरीका: इसका बचाव यही है कि जब भी आपके दोस्त या रिश्तेदारों का फोन रुपयों की मदद के लिए आए. या वो किसी इमरजेंसी में होने की बात कहे, तो ऐसे समय में बिल्कुल भी जल्दबाजी ना करें. तुरंत उसके पर्सनल नंबर या परिवार वालों से बात कर लें. इसके बाद ही रुपये ट्रांसफर करें. जल्दबाजी में अगर आपने पैसे भेज दिए, तो आपके साथ फ्रॉड हो सकता है. ऐसे में यदि आप थोड़ी समझदारी दिखाते हुए काम लेंगे, तो आप इन तरह के ठगों से बच सकते हैं.

फरीदाबाद: जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है. वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़ता जा रहा है. साइबर अपराधी अब हाई टेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग अब AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर लोगों से ठगी कर रहे हैं. वो लोगों के चेहरे और आवाज का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हरियाणा के फरीदाबाद से सामने आया है.

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एनआईटी साइबर थाना प्रभारी नवीन ने बताया कि पंचशील कॉलोनी के रहने वाले करण ने एफआईआर दर्ज करवाई है. जिसमें करण ने बताया कि उसके पास अनजान नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने उसके दोस्त की आवाज में बताया कि वो बाहर घूमने गया था. जहां उसका एक्सीडेंट हो गया. वो इस समय अस्पताल में भर्ती है और एक्सीडेंट के दौरान उसका फोन भी टूट गया. इस वजह से वो किसी दूसरे के फोन से बात कर रहा है.

AI के जरिए ठगी: करण के मुताबिक उसके दोस्त ने फोन पर इलाज के लिए 30 हजार रुपये मांगे. करण ने दोस्त की मुसीबत को सुन उसके बताए हुए नंबर पर 30 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए. बाद में करण ने जब अपने दोस्त का हाल जानने के लिए उसके नंबर पर फोन किया, तो उसके दोस्त ने बताया कि वो सही सलामत है. उसका कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ. जिसके बाद करण को अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ और उसने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई.

AI की मदद से तैयार किया जाता है आवाज का क्लोन: साइबर एक्सपर्ट और सेंट्रल साइबर थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि इन दिनों एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाता है. इसमें साइबर ठग को ठगी करने के लिए शख्स की आवाज का सैंपल चाहिए होता है. जिसके आधार पर आवाज का क्लोन बनाया जाता है और फिर उससे ठगी की वारदात को अंजाम दिया जाता है.

सोशल मीडिया के जरिए जुटाई जाती है जानकारी: आवाज का क्लोन तैयार करने के लिए साइबर अपराधी सबसे पहले इंटरनेट, सोशल मीडिया या किसी और माध्यम से उस व्यक्ति की जानकारी हासिल करते हैं. जिसकी आवाज का उन्हें क्लोन बनाना हो. इसके बाद अपराधी उस युवक का नाम और फोन नंबर जुटाते हैं. इसके बाद अपराधी उस युवक से कस्टमर केयर या अन्य सर्विस प्रोवाइडर बन कर कॉल करते हैं. इस दौरान अपराधी उनकी आवाज रिकॉर्ड कर लेते हैं.

इस तरह करते हैं ठगी: इस तरह सैंपल लेने के लिए अपराधी सोशल साइट्स पर अपलोड की गई वीडियो से भी आवाज को रिकॉर्ड कर लेते हैं. उसके बाद इस आवाज को क्लोन के लिए एआई टूल में अपलोड कर देते हैं. इसके बाद इस टूल के जरिए जब किसी को कॉल की जाती है, तो सामने वाले को हूबहू उस व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है. ऐसे में साइबर अपराधी टूल के जरिए खुद को मुसीबत में फंसा हुआ बताकर. लोगों के साथ ठगी करते हैं.

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AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्लोन की आवाज हूबू होने की वजह से लोग आसानी से विश्वास कर लेते हैं, कि वो तो उसका दोस्त या रिश्तेदार है. इसीलिए बिना सोचे समझे लोग उनके बताए गए नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. बाद में उन्हें ठगी का अहसास होता है.

सतर्कता ही बचाव का तरीका: इसका बचाव यही है कि जब भी आपके दोस्त या रिश्तेदारों का फोन रुपयों की मदद के लिए आए. या वो किसी इमरजेंसी में होने की बात कहे, तो ऐसे समय में बिल्कुल भी जल्दबाजी ना करें. तुरंत उसके पर्सनल नंबर या परिवार वालों से बात कर लें. इसके बाद ही रुपये ट्रांसफर करें. जल्दबाजी में अगर आपने पैसे भेज दिए, तो आपके साथ फ्रॉड हो सकता है. ऐसे में यदि आप थोड़ी समझदारी दिखाते हुए काम लेंगे, तो आप इन तरह के ठगों से बच सकते हैं.

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