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आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बने दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश - two new Union territories

आज देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय करने वाले देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बने दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए.

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Published : Oct 31, 2019, 12:01 AM IST

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को मिला राज्य का दर्जा आज खत्म हो गया और इसके साथ ही उसे औपचारिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के नए उपराज्यपाल (एलजी) क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर आज पदभार ग्रहण करेंगे. इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियुक्ति आज (31 अक्टूबर) होगी और ये केंद्र शासित प्रदेश आधी रात (बुधवार-गुरुवार) को अस्तित्व में आ गए.

ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में बदला गया हो या एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो, लेकिन ऐसा पहली बार है कि एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया.

इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात हो गई.

नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी.

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया. इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया.

कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने 72 साल पहले 26 अक्टूबर, 1947 को भारत के साथ विलय संधि की थी, जिसके बाद यह रियासत भारत का अभिन्न हिस्सा बन गई.

पढ़ें-सरदार पटेल की 144वीं जयंती पर विविध कार्यक्रमों में भाग लेंगे प्रधानमंत्री

दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन अस्तित्व में आएंगे, जिन्हें देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है.

देश में आज (31 अक्टूबर) का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मोदी और अमित शाह दोनों क्रमश: केवडिया (गुजरात) और नई दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे.

कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को मिला राज्य का दर्जा आज खत्म हो गया और इसके साथ ही उसे औपचारिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के नए उपराज्यपाल (एलजी) क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर आज पदभार ग्रहण करेंगे. इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियुक्ति आज (31 अक्टूबर) होगी और ये केंद्र शासित प्रदेश आधी रात (बुधवार-गुरुवार) को अस्तित्व में आ गए.

ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में बदला गया हो या एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो, लेकिन ऐसा पहली बार है कि एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया.

इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात हो गई.

नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी.

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया. इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया.

कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने 72 साल पहले 26 अक्टूबर, 1947 को भारत के साथ विलय संधि की थी, जिसके बाद यह रियासत भारत का अभिन्न हिस्सा बन गई.

पढ़ें-सरदार पटेल की 144वीं जयंती पर विविध कार्यक्रमों में भाग लेंगे प्रधानमंत्री

दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन अस्तित्व में आएंगे, जिन्हें देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है.

देश में आज (31 अक्टूबर) का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मोदी और अमित शाह दोनों क्रमश: केवडिया (गुजरात) और नई दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे.

कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.

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JK-UT
From midnight, JK will cease to be a state; two new UTs to come into existence
By Achinta Borah
         New Delhi, Oct 30 (PTI) History will be created on Thursday when Jammu and Kashmir, which has been part of the Union of India since 1947, will cease to be a state and will be bifurcated into two Union Territories.
         IAS officers Girish Chandra Murmu and R K Mathur, who have been appointed the new Lieutenant Governors (LG) for the Union territories (UTs) of Jammu and Kashmir, and Ladakh respectively, will be sworn-in at separate functions to be held in Srinagar and Leh on Thursday.
         Both Murmu and Mathur will be sworn in by Chief Justice of J&K High Court Gita Mittal.
         According to the Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019, the appointed day for the two UTs is October 31 and these will come into existence in the midnight (Wednesday-Thursday), nearly three months after the announcement in Rajya Sabha.
         This is for the first time that a state is converted into two UTs even though there are numerous example of a UT becoming a full state or a state bifurcating into two states.
         The total number of states in the country will be now 28 while the total UTs will go up to seven.
         The Narendra Modi government's decision and subsequent approval of Parliament to abrogate the special status given to Jammu and Kashmir under Article 370 and its bifurcation into two UTs was taken to redraw the map and future of a region at the centre of a protracted militancy movement.
         The electoral promise of the BJP to end the special status of Jammu and Kashmir came less than 90 days after the Modi 2.0 government assumed power in May end.
         The August 5 decision was taken 72 years after the then ruler of the princely state, Maharaja Hari Singh, executed the Instrument of Accession on October 26, 1947, making it part of the Union of India.
         The two UTs will come into existence on the day of the birth anniversary country's first Home Minister Sardar Vallabhbhai Patel, who is credited for merger of over 560 states into the Union of India.
         October 31 is observed as the National Unity Day and both Modi and Home Minister Amit Shah on Thursday will attend separate functions -- in Kevadia (Gujarat) and New Delhi respectively.
         According to the Act, the UT of Jammu and Kashmir will have a legislature like Puducherry while Ladakh will be a UT without legislature like Chandigarh and both the UTs will be headed by two separate Lieutenant Governors (LG).
         The Centre will be in direct control of the police and the law and order in Jammu and Kashmir from Thursday when it becomes a UT, while the land will be under the elected government there.
         The UT of Ladakh will be under the direct control of the central government which will administer the high altitude region through the LG.
         While moving the resolution in the Rajya Sabha that Article 370 -- which allowed Jammu and Kashmir to have its own Constitution and prohibited outsiders from buying land and property in the state, Shah had said these provisions will no longer be applicable and the central government will restore its statehood at "appropriate time" and after "normalcy" returns.
         "The government will not allow the situation to turn into another battle torn Kosovo... It was heaven on earth and will remain so," Shah had said, referring to the decades-old militancy in Jammu and Kashmir.
         Soon after the abrogation of the Article 370, several hundred political leaders and separatists were put under detention by the Jammu and Kashmir administration while restrictions were also imposed on movement of people, vehicles, telephone, mobile phones and internet.
         While most of the restrictions were removed since then, curb on internet is still continuing and situation in the Kashmir Valley is yet to be termed as complete normal.
         Among those put under detention include three former chief ministers -- Farooq Abdullah, Omar Abdullah and Mehbooba Mufti.
         The Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019 says the all India Services like the Indian Administrative Service (IAS) and the Indian Police Service (IPS), of J-K cadre will continue to serve in the two succeeding UTs while new recruits of these services will be allocated in the Arunachal, Goa, Mizoram Union Territory (AGMUT) cadre.
         The provincial service officers will continue serving in their current positions till a new order is issued by the Lt Governors for the two new UTs of Jammu and Kashmir and Ladakh.
         The IAS, IPS and other central service officers and the Anti-Corruption Bureau (ACB) will be under the control of the LG and not the elected government of the UT of Jammu and Kashmir.
         Mehbooba was the last chief minister of undivided Jammu and Kashmir whose tenure ended in June 2017 when central rule was imposed there after her coalition partner BJP withdrew support. Satya Pal Malik is the last governor whose tenure comes to an end on Wednesday. He has been transferred and appointed as Governor of Goa.
         Just a day before Jammu and Kashmir is divided into two UTs, the National Conference on Wednesday made a fervent last minute appeal to the Centre to shelve the plan and maintain the statehood of the "200-year-old state" dubbed as "crown of India". PTI ACB
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