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पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले श्रीलंकाई नागरिक को पांच साल की कैद - अरुण सेल्वराजन

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले श्रीलंकाई नागरिक को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है और उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. श्रीलंकाई नागरिक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के इशारे पर भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी करता था. पढ़ें पूरी खबर...

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एनआईए
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Published : Mar 15, 2020, 6:29 PM IST

चेन्नई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के इशारे पर भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी करने के जुर्म में श्रीलंका के एक नागरिक को दोषी ठहराने के बाद पांच साल कारावास की सजा सुनाई है और उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

एनआईए के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि अदालत ने अरुण सेल्वराजन को भादंसं, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, सरकारी गोपनीयता अधिनियम, स्वापक औषधि और मन: प्रभाी पदार्थ अधिनियम, विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत लगे सभी आरोपों में दोषी करार दिया है.

अधिकारी ने कहा कि कोलंबो के पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात आमिर जुबेर सिद्दीकी के नेतृत्व में पाक खुफिया अधिकारियों के इशारों पर जासूसी करने को लेकर तमिलनाडु के तंजावुर निवासी तमीम अंसारी को सितंबर 2012 में गिरफ्तार किया गया था. तमीम भारत में आतंकवादी हमलों की साजिश के तहत ऐसा कर रहा था.

एजेंसी ने कहा कि 17 सितंबर, 2012 को तमिलनाडु के त्रिची शहर के क्यू ब्रांच पुलिस स्टेशन में सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धाराओं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.

एनआईए ने इस संबंध में एक मई, 2013 को फिर से मामला दर्ज करते हुए जांच का जिम्मा संभाला था.

एजेंसी के अनुसार बाद में इस मामले में 10 सितंबर 2014 को श्रीलंकाई नागरिक सेल्वराजन को ऐसी ही जासूसी करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था.

एनआईए ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ मिलकर रची गई साजिश के मुताबिक अंसारी और सेल्वराजन ने तमिलनाडु के विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों व संवेदनशील स्थानों पर जासूसी की थी और सिद्दीकी को गोपनीय सूचनाएं पहुंचाई थीं. ऐसा कर उन्होंने भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया था.

छह मार्च, 2015 को अंसारी और सेल्वराजन के खिलाफ भादंसं, यूएपीए और सरकारी गोपनीयता कानून की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. सेल्वराजन पर एनडीपीएस अधिनियम की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए थे.

ये भी पढ़ें- पुलवामा हमला : एनआईए ने दो आरोपियों को सात दिन की रिमांड पर भेजा

सेल्वराजन के खिलाफ 30 मार्च 2016 को पासपोर्ट अधिनियम के अलावा विदेशी अधिनियम की धाराओं के तहत एक पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था.

एनआईए ने कहा कि जनवरी 2018 में अंसारी और सेल्वराजन के खिलाफ आरोप तय किए गए. सेल्वराजन को उसपर लगे सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया है. हालांकि, अंसारी के खिलाफ मुकदमा जारी है.

एजेंसी ने कहा कि पाकिस्तान खुफिया अधिकारी सिद्दीकी और अन्य के अलावा फरार आरोपी मोहम्मद अनवर मोहम्मद सिराज अली के खिलाफ जांच जारी है. अली श्रीलंका का मूल निवासी है.

चेन्नई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के इशारे पर भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी करने के जुर्म में श्रीलंका के एक नागरिक को दोषी ठहराने के बाद पांच साल कारावास की सजा सुनाई है और उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

एनआईए के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि अदालत ने अरुण सेल्वराजन को भादंसं, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, सरकारी गोपनीयता अधिनियम, स्वापक औषधि और मन: प्रभाी पदार्थ अधिनियम, विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत लगे सभी आरोपों में दोषी करार दिया है.

अधिकारी ने कहा कि कोलंबो के पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात आमिर जुबेर सिद्दीकी के नेतृत्व में पाक खुफिया अधिकारियों के इशारों पर जासूसी करने को लेकर तमिलनाडु के तंजावुर निवासी तमीम अंसारी को सितंबर 2012 में गिरफ्तार किया गया था. तमीम भारत में आतंकवादी हमलों की साजिश के तहत ऐसा कर रहा था.

एजेंसी ने कहा कि 17 सितंबर, 2012 को तमिलनाडु के त्रिची शहर के क्यू ब्रांच पुलिस स्टेशन में सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धाराओं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.

एनआईए ने इस संबंध में एक मई, 2013 को फिर से मामला दर्ज करते हुए जांच का जिम्मा संभाला था.

एजेंसी के अनुसार बाद में इस मामले में 10 सितंबर 2014 को श्रीलंकाई नागरिक सेल्वराजन को ऐसी ही जासूसी करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था.

एनआईए ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ मिलकर रची गई साजिश के मुताबिक अंसारी और सेल्वराजन ने तमिलनाडु के विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों व संवेदनशील स्थानों पर जासूसी की थी और सिद्दीकी को गोपनीय सूचनाएं पहुंचाई थीं. ऐसा कर उन्होंने भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया था.

छह मार्च, 2015 को अंसारी और सेल्वराजन के खिलाफ भादंसं, यूएपीए और सरकारी गोपनीयता कानून की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. सेल्वराजन पर एनडीपीएस अधिनियम की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए थे.

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सेल्वराजन के खिलाफ 30 मार्च 2016 को पासपोर्ट अधिनियम के अलावा विदेशी अधिनियम की धाराओं के तहत एक पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था.

एनआईए ने कहा कि जनवरी 2018 में अंसारी और सेल्वराजन के खिलाफ आरोप तय किए गए. सेल्वराजन को उसपर लगे सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया है. हालांकि, अंसारी के खिलाफ मुकदमा जारी है.

एजेंसी ने कहा कि पाकिस्तान खुफिया अधिकारी सिद्दीकी और अन्य के अलावा फरार आरोपी मोहम्मद अनवर मोहम्मद सिराज अली के खिलाफ जांच जारी है. अली श्रीलंका का मूल निवासी है.

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