नई दिल्ली : राज्य सभा में कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान जमकर हंगामा हुआ. इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सभापति ने आज आठ सांसदों को निलंबित कर दिया. निलंबन का विरोध कर रहे सांसदों ने राज्य सभा में जमकर विरोध किया. इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. निलंबित के विरोध में संसद परिसर में आठ सांसद प्रदर्शन कर रहे हैं.
निलंबित नेताओं ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इन नेताओं में TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, AAP के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा और सैयद नासिर हुसैन, माकपा के केके रागेश और एलाराम करीम शामिल हैं.
निलंबन के विरोध में कांग्रेस के लोक सभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मैं राज्य सभा के सदस्यों के इस तरह के बर्बर और अलोकतांत्रिक तरीके से निष्कासन की निंदा करता हूं. हम राज्य सभा में अपने सदस्यों की यथास्थिति बहाल करने तक विरोध करेंगे.'
कृषि विधेयकों के पारित होने के विरोध में दिल्ली कांग्रेस द्वारा भी सोमवार को जनपद पर विरोध प्रदर्शन किया गया. सैकड़ों की संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार के नेतृत्व में जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन की अनुमति ना होने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं को डिटेन कर लिया और उन्हें मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया है.
देवेगौड़ा ने कहा कि 20 सितंबर को राज्य सभा में जो भी हुआ इससे वह बहुत दुखी हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद अपनी बात ठीक तरीके से सदन के पटल पर नहीं रख सके. दुखी होने के कारण वह सदन से घर चले गए. उन्होंने कहा कि सरकार के दमन के खिलाफ लोकतांत्रिक ताकतें एकजुट हैं. खराब तबियत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वह सभी जगहों पर तो नहीं जा सकते लेकिन जहां भी संभव होगा वह लोकतंत्र के लिए हमेशा आवाज बुलंद करते रहेंगे.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल राव ने कहा कि सभी राज्य सभा और लोक सभा के नियमों को जानते हैं. किसी भी सांसद का मौलिक अधिकार है कि किसी भी विधेयक पर सवाल कर सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से खारिज किया गया. आठ सांसदों के निलंबन से हमारी आवाज को नहीं दबाई जा सकती है.
सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार की नीयत इतनी खराब है कि जितने भी विधेयक ला रही है. वह जनता के विरोध में ला रही है. कुछ मुट्ठी भर लोगों को प्रसंन्न करने के लिए या उनसे स्वंय लाभान्वित होने के लिए देश के करोड़ों लोगों को गला घोटा जा रहा है, जिसमें किसान से लेकर सभी शामिल हैं. हम सब लोग इसी का विरोध कर रहे है. इन्हीं किसान विरोधी-जन विरोधी विधेयकों का विरोध कर रहे थे. सरकार ने सारे विरोधों को नजरंदाज करके इन विधेयकों को पारित किया. इसकी निंदा पूरे देश में हो रही. इसके बाद भी हमारे आठ सांसदों को निलंबति कर दिया है. यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है.
जमकर हुआ गतिरोध
दिल्ली कांग्रेस के आह्वान पर सोमवार सुबह 11 बजे से ही जनपथ रोड पर कांग्रेसी कार्यकर्ता जुटने लगे थे. कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे. साथ ही साथ अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई थी. प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार के पहुंचते ही प्रदर्शन ने तेजी पकड़ ली और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. बैरिकेडिंग तोड़कर संसद की तरफ मार्च कर रहे प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने घसीटते हुए बसों में बैठाकर मंदिर मार्ग थाने ले गई.
जारी रहेगा प्रदर्शन
प्रदर्शन के दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि राज्य सभा में जो कृषि संशोधन बिल पास हुए हैं वह संविधान विरोधी है. सभापति ने मत विभाजन की भी इजाजत नहीं दी. बिल के वापस होने तक दिल्ली कांग्रेस का विरोध जारी रहेगा. सड़क से लेकर संसद तक दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ता अपना विरोध दर्ज कराएंगे.
'क्यों डरते हैं मत विभाजन से'
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि राज्य सभा में कृषि संशोधन बिल के पास होने से पहले कांग्रेसी सांसदों की मांग थी कि इस बिल पर मत विभाजन होना चाहिए. लेकिन सभापति ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मत विभाजन कराने से मना कर दिया. आखिर मैं पूछना चाहता हूं कि सभापति मत विभाजन करने से क्यों डरते हैं.