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भारत-चीन तनाव : शीर्ष सैन्य अफसरों की बैठक में पीछे हटने पर बनी सहमति - भारत और चीनी सेना

भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से आज एक बार फिर सैन्य अधिकारियों की वार्ता होगी. इससे पहले सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की दूसरे दौर की वार्ता लगभग 11 घंटों तक चली. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से पीछे हटने को लेकर आम सहमति बन गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि सोमवार को हुई चर्चा के बाद आज एक बार फिर दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारी भारत-चीन तनाव को कम करने की कोशिशों पर बात करेंगे.

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Published : Jun 22, 2020, 11:53 PM IST

Updated : Jun 23, 2020, 1:41 PM IST

नई दिल्ली : पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से आज एक बार फिर सैन्य अधिकारियों की वार्ता होगी. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से पीछे हटने को लेकर आम सहमति बन गई है. बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर कर रहे हैं. मंगलवार को दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे.

सूत्रों ने बताया कि सोमवार को भारत-चीन के कॉर्प्स कमांडर स्तर के अधिकारियों की वार्ता में सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक और रचनात्मक माहौल रहा. सूत्रों ने बताया कि मोल्दो में आयोजित वार्ता में तनाव कम करने पर सर्वसम्मति बनी है.

सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के सभी क्षेत्रों में तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा की गई. इसे दोनों पक्षों द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा.

इससे पहले भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की दूसरे दौर की वार्ता हुई.

सोमवार की बैठक के पहले सूत्रों ने बताया था कि बैठक में दोनों पक्षों द्वारा छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की बातचीत में बनी सहमति को लागू करने समेत विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हो सकती है.

यह बैठक गलवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों में बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है. यह बीते 45 सालों के दौरान सीमा पर हुआ सबसे गंभीर टकराव था.

गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की तरफ चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का विरोध करने पर चीनी सैनिकों ने पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था.

झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के लिये कम से कम तीन बार मेजर जनरल स्तर पर बातचीत हो चुकी है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर की गई बातचीत में इस झड़प को पीएलए की पूर्वनियोजित कार्रवाई बताया था.

इस घटना के बाद सरकार ने चीन के साथ लगने वाली 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिये सशस्त्र बलों को पूरी छूट दे दी है.

सेना ने बीते एक हफ्ते में सीमा से लगे अग्रिम ठिकानों पर हजारों अतिरिक्त जवानों को भेजा है. वायुसेना ने भी झड़प के बाद श्रीनगर और लेह समेत अपने कई अहम ठिकानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के साथ ही अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की तैनाती की है.

पढ़ें - जयशंकर चीनी, रूसी समकक्षों के साथ मंगलवार को आरआईसी बैठक में शामिल होंगे

पूर्वी लद्दाख के गलवान और कुछ अन्य इलाकों में दोनों सेनाओं के बीच पांच मई से ही गतिरोध बना हुआ है जब पैंगोंग सो के किनारे दोनों पक्ष के सैनिकों में झड़प हुई थी.

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई. पैंगोंग सो में हुई घटना के बाद ऐसी ही एक झड़प नौ मई को उत्तरी सिक्किम में हुई.

इन झड़पों से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे थे कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति बनाए रखना जरूरी है.

नई दिल्ली : पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से आज एक बार फिर सैन्य अधिकारियों की वार्ता होगी. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से पीछे हटने को लेकर आम सहमति बन गई है. बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर कर रहे हैं. मंगलवार को दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे.

सूत्रों ने बताया कि सोमवार को भारत-चीन के कॉर्प्स कमांडर स्तर के अधिकारियों की वार्ता में सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक और रचनात्मक माहौल रहा. सूत्रों ने बताया कि मोल्दो में आयोजित वार्ता में तनाव कम करने पर सर्वसम्मति बनी है.

सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के सभी क्षेत्रों में तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा की गई. इसे दोनों पक्षों द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा.

इससे पहले भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की दूसरे दौर की वार्ता हुई.

सोमवार की बैठक के पहले सूत्रों ने बताया था कि बैठक में दोनों पक्षों द्वारा छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की बातचीत में बनी सहमति को लागू करने समेत विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हो सकती है.

यह बैठक गलवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों में बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है. यह बीते 45 सालों के दौरान सीमा पर हुआ सबसे गंभीर टकराव था.

गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की तरफ चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का विरोध करने पर चीनी सैनिकों ने पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था.

झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के लिये कम से कम तीन बार मेजर जनरल स्तर पर बातचीत हो चुकी है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर की गई बातचीत में इस झड़प को पीएलए की पूर्वनियोजित कार्रवाई बताया था.

इस घटना के बाद सरकार ने चीन के साथ लगने वाली 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिये सशस्त्र बलों को पूरी छूट दे दी है.

सेना ने बीते एक हफ्ते में सीमा से लगे अग्रिम ठिकानों पर हजारों अतिरिक्त जवानों को भेजा है. वायुसेना ने भी झड़प के बाद श्रीनगर और लेह समेत अपने कई अहम ठिकानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के साथ ही अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की तैनाती की है.

पढ़ें - जयशंकर चीनी, रूसी समकक्षों के साथ मंगलवार को आरआईसी बैठक में शामिल होंगे

पूर्वी लद्दाख के गलवान और कुछ अन्य इलाकों में दोनों सेनाओं के बीच पांच मई से ही गतिरोध बना हुआ है जब पैंगोंग सो के किनारे दोनों पक्ष के सैनिकों में झड़प हुई थी.

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई. पैंगोंग सो में हुई घटना के बाद ऐसी ही एक झड़प नौ मई को उत्तरी सिक्किम में हुई.

इन झड़पों से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे थे कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति बनाए रखना जरूरी है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 1:41 PM IST
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