वाशिंगटन : नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन यह दर्शाता है कि टीकाकरण से पहले जो लोग वायरस से संक्रमित हुए थे, उनमें उन लोगों की तुलना में सभी वैरिएंट के प्रति अधिक ठोस प्रतिरोधक क्षमता नजर आई जो इस संक्रमण की चपेट में नहीं आए थे और पूरी तरह टीकाकरण से गुजर चुके हैं.
ये परिणाम तथाकथित उपलब्धि में बढ़त के तौर सामने आए हैं क्योंकि टीका लगवा चुके लोगों में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण होने के बाद ये सवाल बने हुए थे कि क्या टीके उभर रहे नए वैरिएंट के प्रति व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं.
अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अकिको इवासाकी ने कहा कि टीके डेल्टा एवं अन्य वैरिएंट के विरूद्ध उच्च स्तर के एंटीबडी पैदा करते हैं . दो खुराक एक खुराक से बेहतर हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन से सामने आया कि बूस्टर डोज सार्स-कोव-2 को भगाने में प्रभावी हो सकती है.
अनुसंधान दल ने नवंबर 2020 से जनवरी 2021 तक अमेरिका के 40 स्वास्थ्य कर्मियों के रक्त नमूने उनके टीकाकरण से पहले लिए. उसके बाद के सप्ताह में उन्होंने समय पर उन लोगों के अतिरिक्त रक्त नमूने लिए जिन्हें मॉडर्ना या फाइजर की दूसरी खुराक ली.
यह भी पढ़ें-मोदी और जॉनसन ने टीका प्रमाणन, व्यापार, जलवायु सम्मेलन पर चर्चा की
अनुसंधानकर्ताओं को सभी रक्त नमूनों में वर्धित प्रतिरोधक प्रणाली का सबूत मिला. वैसे वैरिएंट एवं व्यक्ति में उसका प्रभाव अलग-अलग था.
(पीटीआई-भाषा)