नई दिल्ली : सूत्रों की मानें तो पिछले महीने जम्मू कश्मीर में आम लोगों की हत्या में संलिप्त लगभग सभी आतंकवादी ढेर (Killed all terrorists) कर दिए गए हैं. सशस्त्र बल अब खुफिया-आधारित सर्जिकल ऑपरेशन (Intelligence-based surgical operation) पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. जिसमें केंद्रशासित प्रदेश में आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए छोटी टीम शामिल हैं. सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सेना के बीच बेहतर समन्वय के वास्ते एक अधिक सूक्ष्म ढांचे के तहत एक परिष्कृत दृष्टिकोण रखा गया है, जिसका उद्देश्य आसपास होने वाली आकस्मिक क्षति को कम करना है.
अपेक्षाकृत शांति के बाद जम्मू कश्मीर में पिछले महीने निर्दोष लोगों की हत्याओं का एक सिलसिला (A series of murders of innocent people) शुरू हो गया, जिससे इस क्षेत्र में हिंसा और अशांति की आशंका पैदा हो गई. सूत्रों ने कहा कि आतंकवाद रोधी अभियान (Counter terrorism operation) का मुख्य उद्देश्य रहा है कि इस दौरान निर्दोष लोगों की जान न जाए और सुरक्षाबलों की सभी शाखाएं इस उद्देश्य को हासिल करने की कोशिश कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि खुफिया-आधारित सर्जिकल ऑपरेशन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें छोटी टीम शामिल की गई हैं और इस तरह की कार्रवाइयों के लिए स्थानीय आबादी से समर्थन प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है.
सूत्रों ने कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार पाकिस्तान स्थित आतंकी आकाओं ने कश्मीर में सक्रिय अपने लोगों को निर्देश दिया है कि जब भी सुरक्षाबल आतंकवाद रोधी अभियान शुरू करें तो उस दौरान कम से कम 10 आम लोगों की हत्या की जाए. उन्होंने कहा कि 2018 में विभिन्न आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान 24 आम लोग मारे गए थे और 49 अन्य घायल हुए थे.
सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में, सुरक्षाबलों ने आसपास होने वाली इस तरह की आकस्मिक क्षति को न्यूनतम करने के लिए कई उपाय किए हैं और इस तरह के प्रयासों के परिणामस्वरूप 2021 में केवल दो आम लोग मारे गए तथा दो अन्य को मामूली चोटें आईं.
श्रीनगर के हैदरपुरा में हुई मुठभेड़ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एक खास वर्ग खोई हुई जगह पर फिर काबिज होना चाहता है. जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा था कि हैदरपुरा मुठभेड़ की चल रही जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में एक नेटवर्क ने आतंकवादियों की मदद की थी.
सूत्रों ने कहा कि सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्थानीय लोगों से कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी सहित समर्थन मिल रहा है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे दुष्प्रचार को खारिज कर दिया है. नाम उजागर न करने की शर्त एक सूत्र ने कहा कि ऐसे उदाहरण भी रहे हैं जब अभियान के दौरान आसपास होने वाले नुकसान की आशंका और निर्दोष लोगों की जान जोखिम में होने के कारण आतंकवादियों को भाग जाने दिया गया.
सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है और बताया कि 2018 में जहां 318 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2021 में केवल 121 आतंकी घटनाएं दर्ज की गई हैं. वहीं एक अन्य सूत्र ने कहा कि इसी तरह, 2019 में जहां पथराव की 202 घटनाएं हुईं वहीं 2021 में इस तरह के केवल 39 मामले दर्ज किए गए.
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के करीबी तत्व कश्मीरी लोगों को भड़काने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. गत सात अक्टूबर को आतंकवादी मेहरान यासीन शल्ला ने श्रीनगर के सफा कदल में एक राजकीय बाल उच्च माध्यमिक विद्यालय के अंदर दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी. सूत्रों ने बताया कि शल्ला को 24 नवंबर को सुरक्षाबलों ने मार गिराया.
अनंतनाग में लिटार बस अड्डे के पास आतंकी आदिल आह वानी ने सहारनपुर निवासी सगीर अहमद अंसारी की हत्या कर दी थी. सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने वानी को 20 अक्टूबर को शिरमल शोपियां में एक अभियान में ढेर कर दिया.
आतंकी गुलजार अहमद रेशी ने 17 अक्टूबर को कुलगाम के वानपोह में बिहार निवासी दो मजदूरों की हत्या कर दी थी और एक मजदूर को घायल कर दिया था. सूत्रों ने बताया कि रेशी को 20 अक्टूबर को सुरक्षाबलों ने मार गिराया.
(पीटीआई-भाषा)