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बेंगलुरु के 10 वर्षीय छात्र ने वकीलों की मदद के लिए बनाया ई-अटॉर्नी ऐप

बेंगलुरु के 10 वर्षीय छात्र आर. कनिष्कर (10 year old student R Kanishkar) ने वकीलों के काम को आसान बनाने के लिए 'ई-अटॉर्नी' नामक एक ऐप विकसित किया है. उसने अपने पिता की कठिनाई को जानकर अलग-अलग मामलों और क्लाइंट की जानकारी से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए ऐप बनाया है. इसके लिए उन्होंने अपने व्हाइट हैट जूनियर कोर्स में कोडिंग प्रोजेक्ट को चुना और ऐप को विकसित करना शुरू किया. शुरूआत में एक छोटा ऐप था लेकिन इसका महत्व समझते हुए व्हाइटहैट जूनियर संगठन ने इस ऐप को बड़े पैमाने पर विकसित करने के लिए लड़के का समर्थन किया है.

10-year-old boy develops E-Attorney app to help lawyers
10 वर्षीय लड़के ने बनाया ई-अटॉर्नी ऐप
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Published : Jan 27, 2022, 10:15 PM IST

बेंगलुरु : हाल ही में बेंगलुरु के 10 वर्षीय लड़के आर. कनिष्कर ने वकीलों के काम को आसान बनाने के लिए 'ई-अटॉर्नी' नामक एक ऐप विकसित किया है. यह ऐप उन्होंने अपने पिता को ध्यान में रख के बनाई, जो पेशे से एक वकील हैं. ऐप दुनिया भर के वकीलों के लिए काफी काम का साबित हो सकता है. कनिष्कर कुछ समय से कोडिंग सीखने में व्यस्त हैं. उन्होंने अपने पिता की कठिनाई को जानकर अलग-अलग मामलों और क्लाइंट की जानकारी से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए ऐप बनाया.

इसके लिए उन्होंने अपने व्हाइट हैट जूनियर कोर्स में कोडिंग प्रोजेक्ट को चुना और ऐप को विकसित करना शुरू किया. शुरूआत में एक छोटा ऐप था लेकिन इसका महत्व समझते हुए व्हाइटहैट जूनियर संगठन ने इस ऐप को बड़े पैमाने पर विकसित करने के लिए कनिष्कर का समर्थन किया है. यह ऐप वकीलों को अपने ग्राहकों के विभिन्न मामलों से संबंधित सभी प्रकार के दस्तावेज और जानकारी एकत्र करने की अनुमति देता है जिससे वकील अपने मुवक्किलों से सीधे संपर्क कर सकते हैं.

जिन मुवक्किलों को उनके वकील ने ऐप का एक्सेस दिया है, वे भी ऐप में संग्रहित अपने केस दस्तावेजों को आसानी से देख सकते हैं. इसमें ग्राहकों और वकीलों के बीच चैट करने का विकल्प भी है. मीडिया से बात करते हुए कनिष्कर ने कहा कि काम का बोझ बढ़ने के कारण, मेरे पिता हर रात देर से घर आते थे और जब मैं कभी-कभार उनके कार्यालय जाता था, तो मैं उनके कनिष्ठों और अन्य वकीलों को दस्तावेजों की तलाश में देखता था, जिससे देर हो जाती थी.

यह भी पढ़ें-Co-WIN ऐप में अब एक मोबाइल नंबर पर 6 रजिस्ट्रेशन : केंद्र सरकार

मैं चाहता था कि पिता अपना काम समय पर पूरा करें, जिससे वह ऑफिस से जल्दी घर आ जाएं. तभी मेरे मन में वकीलों की हर समस्या का समाधान खोजने के लिए एक ऐप बनाने का विचार आया. मैंने कोडिंग के अपने ज्ञान का उपयोग करने और एक ऐप बनाने का फैसला किया ताकि मेरे पिता और उनके जैसे अन्य वकील भी अपने दस्तावेज़ों को आसानी से संभाल सकें और उसे साझा कर सकें. यह काम मैंने स्कूल में शुरू किया था. इसे बड़े पैमाने पर बनाने के लिए मुझे स्कूल से स्कॉलरशिप मिली. ऑनलाइन समाधान नामक कंपनी से मुझे तकनीकी मदद दी जा रही थी. यह ऐप बेहद गोपनीय है. दूसरों की जानकारी को अनावश्यक रूप से लीक करना संभव नहीं है.

बेंगलुरु : हाल ही में बेंगलुरु के 10 वर्षीय लड़के आर. कनिष्कर ने वकीलों के काम को आसान बनाने के लिए 'ई-अटॉर्नी' नामक एक ऐप विकसित किया है. यह ऐप उन्होंने अपने पिता को ध्यान में रख के बनाई, जो पेशे से एक वकील हैं. ऐप दुनिया भर के वकीलों के लिए काफी काम का साबित हो सकता है. कनिष्कर कुछ समय से कोडिंग सीखने में व्यस्त हैं. उन्होंने अपने पिता की कठिनाई को जानकर अलग-अलग मामलों और क्लाइंट की जानकारी से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए ऐप बनाया.

इसके लिए उन्होंने अपने व्हाइट हैट जूनियर कोर्स में कोडिंग प्रोजेक्ट को चुना और ऐप को विकसित करना शुरू किया. शुरूआत में एक छोटा ऐप था लेकिन इसका महत्व समझते हुए व्हाइटहैट जूनियर संगठन ने इस ऐप को बड़े पैमाने पर विकसित करने के लिए कनिष्कर का समर्थन किया है. यह ऐप वकीलों को अपने ग्राहकों के विभिन्न मामलों से संबंधित सभी प्रकार के दस्तावेज और जानकारी एकत्र करने की अनुमति देता है जिससे वकील अपने मुवक्किलों से सीधे संपर्क कर सकते हैं.

जिन मुवक्किलों को उनके वकील ने ऐप का एक्सेस दिया है, वे भी ऐप में संग्रहित अपने केस दस्तावेजों को आसानी से देख सकते हैं. इसमें ग्राहकों और वकीलों के बीच चैट करने का विकल्प भी है. मीडिया से बात करते हुए कनिष्कर ने कहा कि काम का बोझ बढ़ने के कारण, मेरे पिता हर रात देर से घर आते थे और जब मैं कभी-कभार उनके कार्यालय जाता था, तो मैं उनके कनिष्ठों और अन्य वकीलों को दस्तावेजों की तलाश में देखता था, जिससे देर हो जाती थी.

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मैं चाहता था कि पिता अपना काम समय पर पूरा करें, जिससे वह ऑफिस से जल्दी घर आ जाएं. तभी मेरे मन में वकीलों की हर समस्या का समाधान खोजने के लिए एक ऐप बनाने का विचार आया. मैंने कोडिंग के अपने ज्ञान का उपयोग करने और एक ऐप बनाने का फैसला किया ताकि मेरे पिता और उनके जैसे अन्य वकील भी अपने दस्तावेज़ों को आसानी से संभाल सकें और उसे साझा कर सकें. यह काम मैंने स्कूल में शुरू किया था. इसे बड़े पैमाने पर बनाने के लिए मुझे स्कूल से स्कॉलरशिप मिली. ऑनलाइन समाधान नामक कंपनी से मुझे तकनीकी मदद दी जा रही थी. यह ऐप बेहद गोपनीय है. दूसरों की जानकारी को अनावश्यक रूप से लीक करना संभव नहीं है.

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