Geeta Saar : जिस प्रकार सर्वत्र प्रवाहमान प्रबल वायु सदैव आकाश में स्थित रहती है, उसी प्रकार...

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Published : Nov 2, 2022, 9:30 AM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:31 PM IST

मनुष्य जो कुछ करता है, जो कुछ खाता है, जो दान देता है और जो भी तपस्या करता है , उसे परमात्मा को समर्पित करते हुए करना चाहिए. यह नि:संदेह भौतिक संसर्ग से उत्पन्न होने वाले दुःखों से वास्तविक मुक्ति है. मन अपनी चंचलता तथा अस्थिरता के कारण जहां कहीं भी विचरण करता हो, मनुष्य को चाहिए कि उसे वहां से खींचकर अपने वश में करे. तब मनुष्य शुद्ध मन से खुद को देख सकता है, अपने आप में ही आनंद उठा सकता है. समाधि की आनंददायी स्थिति को पाकर मनुष्य किसी कठिनाई में भी विचलित नहीं होता . योगाभ्यास के द्वारा सिद्धि या समाधि की अवस्था में मनुष्य का मन संयमित हो जाता है. Geeta Saar . Todays Motivational Quotes .
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:31 PM IST

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